Thursday 31 March 2016

अभिभावक प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चे के दाखिले के वक्त ध्यान देवें!

 

बहुत से प्राइवेट स्कूलों में मनुवाद चल रहा है|

आपके बच्चों के दाखिले का महीना आ गया है| मान लो एक क्लास विशेष में विद्यार्थियों की संख्या इतनी है कि चार सेक्शन बनते हों तो इस तरह से सेक्शन बनाते पाये गए हैं यह लोग:

1) सेक्शन A - 90 से 100% "ब्राह्मण-बनिया-अरोड़ा/खत्री" के बच्चे - 20000 महीने या इससे ऊपर की तनख्वाह वाले अध्यापक - यूँ समझ लो जैसे मनुवाद का ब्राह्मण व् वैश्य वर्ण - जबकि बच्चे की फीस एक ही|
2) सेक्शन B - 90 से 100% अग्रणी किसानी जातियों के बच्चे - 12000 से 15000 महीने की तनख्वाह वाले अध्यापक - यूँ समझ लो जैसे मनुवाद का क्षत्रिय व् शुद्र वर्ण - जबकि बच्चे की फीस एक ही|
3) सेक्शन C - 90 से 100% ओबीसी जातियों के बच्चे - 8/9000 से 12000 की तनख्वाह वाले अध्यापक - यूँ समझ लो जैसे मनुवाद का काश्तकार शुद्र वर्ण - जबकि बच्चे की फीस एक ही|
4) सेक्शन D - 90 से 100% एससी-एसटी के बच्चे - 5/6000 से 7/8000 की तनख्वाह वाले अध्यापक - यूँ समझ लो जैसे मनुवाद का दलित शुद्र वर्ण - जबकि बच्चे की फीस एक ही|

यह पोस्ट अप्रैल-फूल नहीं है, इसको सीरियसली लेवें| और हाँ जो पत्रकार बन्धु निष्पक्ष और निडर पत्रकारिता करते हों, उनके लिए इसमें बहुत बड़ा शोध कहें या जासूसी से ले भंडाफोड़ का स्कोप है|

माँ-बाप चुप ना रहें, अपने बच्चों के दाखिले के वक्त स्कूल की मैनेजमेंट से सीधे पूछें कि हमारे बच्चे का सेक्शन कौनसा है और क्यों?

जैसे कई डेड-सयाने स्कूल वाले सेक्शन "बी" में दाखिले पे जवाब देंगे कि आपका बच्चा अच्छा खिलाडी बन सकता है इसलिए इस सेक्शन में है| यानि पहली-दूसरी-तीसरी-चौथी कक्षा में होते हुए ही इन्होनें उस बच्चे के लिए यह भी निर्धारित कर दिया कि यह तो पुलिस-फ़ौज-खिलाडी क्षेत्र में ही जायेगा और उसी हिसाब से पढ़ाया जायेगा। मतबलब उसके डॉक्टर-इंजीनियर-प्रोफेसर-अफसर बनने के स्कोप यह लोग शुरू से मिटा के चल रहे हैं। ऐसे जवाबों पे आपने क्या जवाब देना है और क्या कार्यवाही करनी है, आप मेरे से बेहतर जानते होंगे|

विशेष: यह बीमारी नीचे से ले मध्यम दर्जे के प्राइवेट स्कूलों में ज्यादा नहीं देखी गई है; लेकिन हाँ शहरों में जो अव्वल दर्जे के प्राइवेट स्कूल हैं, उनमें यह "द्रोणाचारी" नीति का भेदभाव धड़ल्ले से चल रहा है|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

No comments: