Thursday 15 September 2016

क्षीरसागर का पूरा कांसेप्ट जाटू-सभ्यता की आदर्श खानपान परम्परा से चुराया गया है!

वो कैसे, वो ऐसे; क्षीरसागर (असल में कोई सागर नहीं, अपितु एक पेय का नाम है) जिन पांच अमृत व्यंजनों से बना/बनाना बताया गया है वो हैं दूध, दही, घी, गुड़ और शहद|

अब कहने की जरूरत नहीं कि यह पाँचों व्यंजन खाने के लिए जाट व् इसकी मित्र जातियों के समूह (जो कि मिलके प्राचीन हरयाणा देश की धरती पर रहते हैं) ही सबसे ज्यादा जाने जाते हैं| और इसीलिए कहावत भी है कि "देशों में देश हरयाणा, जित दूध-दही का खाना|" हरयाणा देश यानी वर्तमान हरयाणा-दिल्ली-वेस्ट यूपी-उत्तरी राजस्थान व् दक्षिणी उत्तराखण्ड का क्षेत्र|

मेरी दादी बताया करती थी, कि हमारे यहां का खाना इतना मशहूर रहा है कि बनारस-पूना तक के बाबे-साधू यह क्षीरसागर छकने हमारी धरती तक उड़े चले आते हैं| परन्तु इनको ज्यादा वक्त अपने यहां रखना लाभकारी नहीं क्योंकि यह इनके इलाकों का मांसाहारी खाना और भांग-धतूरे का नशे का सामान भी साथ उठा लाते हैं|

तो अन्ना-रस्स्कला माइंड इट, यह जो जाटों के खाने को (खासकर चिकन-बीफ-मट्टन-मच्छी कल्चर वाले) कोसते रहते हैं, वो नोट करें कि जाटू-सभ्यता का तो खानपान भी ऐसा बाई-डिफ़ॉल्ट दैवीय है कि इसका गुणगान करने वालों तक को इसे छकने के लिए हरयाणे की धरती पर आ, यहां के घरों के आगे अलख जगानी पड़ती है|

लेकिन दुःख है कि इस खाने को अमृत बताने वाले इतने बेगैरत और साम्प्रदायिक हैं कि चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने थे तो इन्हीं में से बहुतों ने कहा था कि अब एक गुड़-घी खाने वाला देश का शासन चलाएगा|

विशेष: चुराया गया इसलिए कहा क्योंकि इसके लिखने वालों ने इसको बिना रिफरेन्स-क्रेडिट दिए लिखा; ठीक वैसे ही जैसे कोई अनाड़ी शोधकर्ता किसी की थीसिस चुरा ले और क्रेडिट भी ना दे|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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