Thursday 15 September 2016

"आप" पार्टी को पंजाब में दिखा सर छोटूराम में उनकी पतवार का खेवनहार!


हम वैसे ही थोड़े सर छोटूराम को मसीहा कहते हैं| हरयाणा-देश यानी वर्तमान हरयाणा-दिल्ली-वेस्ट यूपी-उत्तरी राजस्थान में तो बहुत अलख जगा ही रहे हैं उनके नाम का, साथ ही विदेशों में बसे हरयाणवी-डायस्पोरा (Haryanvi Diaspora) में उनको ले जा रहे हैं और क्यों ले जा रहे हैं; समझिये उसका माद्दा, आप वालों के इस टवीट और उनके मेनिफेस्टो में आये सर छोटूराम के जिक्रे से|

अब आपियों के बहाने ही सही; पंजाब वाले किसान भी यादें ताजा कर लें कि कितना बड़ा महामानव अवतार रहा होगा वो युगपुरुष कि "आप" पार्टी वालों को उनको पंजाब में फिर से उठाना ही उनकी नैया का खेवनहार लग रहा है|

पंजाब चुनावों के मद्देनजर "आप पार्टी" वालों के मेनिफेस्टो में "सर छोटूराम एक्ट" का जिक्र देख के अहसास हुआ कि क्यों जाट की आज ऐसी दुर्गत हो रही है कि बेगाने तो उनके पुरखे के नाम पर चुनाव जीतने की सोचते हैं और खुद जाट अपने पुरखे को ढंग से अपना कहने से भी कतराने वाले हो चले हैं| किसी ने सही कहा है जो कौमें अपने पुरखों और अपने इतिहास को तवज्जो नहीं दे सकती, उनकी ऐसे ही रे-रे माटी हुआ करती है|

जाटों के पास तो महानता-जौहर-विरासत-संस्कृति व् हस्तियों के नाम की इतनी बड़ी धरोहर है कि वो ढंग से इसको ही संजों लें तो दूसरों के मुंह ताकने की जरूरत ही ना पड़े| सच कह रहा हूँ यही अपने पुरखों व् इतिहास को नकारने, "घर की मुर्गी, दाल बराबर" वाली तर्ज पर उनको दरकिनार करने का श्राप है कि जाट आज "जाट बनाम नॉन-जाट" झेल रहा है|

साथ ही हम युनियनिस्टों को यदाकदा एक सेंचुरी पुराने हो चुके उनके अवतार काल व् उनकी पॉलिटिक्स को आज के परिवेश में आउट ऑफ़ कॉन्टेक्स्ट बताने वाले भी देखें कि वो कोई साधारण मानव नहीं, वो साक्षात् बागबान व् भगवान था और भगवान् कभी आउट ऑफ़ कॉन्टेक्स्ट नहीं हुआ करते, वो सदाबहार हुआ करते हैं|
गर्व से कहता हूँ, मेरा राम, सर छोटूराम!

विशेष: मैं आप पार्टी से कोई सम्बन्ध नहीं रखता, यह पोस्ट सिर्फ इसलिए जारी की है ताकि उनके सदाबहार जादू का जलवा आप तक पहुँचाया जा सके|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक





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