Friday 28 April 2017

औरत के नाम पर धर्म का शोषण, या धर्म के नाम पर औरत का शोषण; मुझे तो दोनों ही बातें पसंद नहीं!

हिन्दू धर्म में औरत का शोषण:

धर्मस्थलों पर शोषण:

1) दक्षिण व् मध्य भारत में मंदिरों में दलित-ओबीसी की बेटियां बावजूद कानून बन जाने के आज भी हजारों में मंदिरों में देवदासी (यानि पुजारी की सेक्स-गुलाम) बना के बैठाई जा रही हैं| - http://www.thenational.ae/news/world/asia-pacific/tragic-plight-of-indias-young-temple-girls
2) झारखण्ड-उड़ीसा-बिहार की तरफ की प्रथमव्या व्रजसला हुई लड़की का "शुद्धि-भोज" की कुप्रथा| और होता क्या है इस "शुद्धि-भोज" में, उस 12-14 साल की बच्ची का शुद्धिकरण के नाम पर मंदिर के गृभगृह में पुजारी लोग सामूहिक भोग (यानी गैंगरेप कर रहे होते हैं) लगा रहे होते हैं, और उसी मंदिर के ऊपर बाहर प्रांगण में लड़की के परिवार वाले समाज को भोज छका रहे होते हैं|


"शुद्धि-भोज" कुप्रथा पर 2001 में बनी बॉलीवुड फिल्म 'माया' के क्लाइमेक्स का वीडियो:

watch end to end, if not then from minute 3 to 7 a must!

https://www.youtube.com/watch?v=ufahjIahbVw&t=12sइस वीडियो को देख के आम-इंसान तो क्या भक्तगण भी स्तब्ध रह जायेंगे|
3) विधवा-आश्रम कुप्रथा: हरयाणा-पंजाब-वेस्ट यूपी को छोड़ दें तो तमाम देश में हिन्दू धर्म की विधवा को दिवंगत पति की चल-अचल सम्पत्ति से बेदखल कर, विधवा-आश्रमों में अनजान व् तथाकथित मठाधीशों के सानिध्य में सेक्सुअली एक्सप्लॉइट होने हेतु छोड़ (मैं तो फेंक दिया जाता है कहूंगा) दिया जाता है|

सामाजिक परिवेश में शोषण:
ऊपर वाले बिंदु हुए वह कुछ कुकर्म जो हिन्दू धर्म में औरत के साथ धर्म के नाम पर होते हैं| इसके अलावा सामाजिक स्तर पर दहेज़, हॉनर किलिंग, भ्रूण हत्या और पर्दा-प्रथा वो घिनोने चेहरे हैं हिन्दू धर्म के कि इंसानियत रखने वाला आदमी तो कम से कम जरूर शर्मसार हो जाए|

मुस्लिम धर्म में औरत का शोषण:

धर्मस्थलों पर शोषण:
इनके यहां धर्म-स्थलों पर औरत का शोषण देखने को नहीं मिलता; फिर भी कुछ मेरी नजरों से बचा हो तो जरूर बताएं|

सामाजिक परिवेश में शोषण:
लेकिन हाँ, सामाजिकता में इनके यहाँ तीन तलाक के नाम पर, पर्दा-प्रथा के नाम पर औरत का शोषण होता है| गैर-धर्मी यह भी कह देते हैं कि इनके यहां औरत को सिर्फ बच्चा जनने की मशीन माना जाता है; हाँ जैसे माइथोलॉजी चरित्र वाली गांधारी ने 100 पुत्र जनने से पहले धर्म-परिवर्तन कर इस्लाम अपना लिया था|

भक्तों को अपने धर्म के अंदर इन बुराइयों का सफाया करने की बजाये, बस दूसरे धर्म पे ऊँगली ताननी सिखाई गई है| कायदे से देखो तो अंधभक्त अगर "देवदासी" व् "शुद्धि-भोज" वाली प्रथा वाले इलाकों से आते होंगे तो इनको खुद नहीं पता होगा कि इनके परिवार की बहु-बेटियों ने धर्म के नाम पे क्या-क्या कुकर्म झेला हुआ होगा|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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