Friday 20 December 2019

ए री जाटणियो सुणियो री: जाटरात्रे (यह नवरात्रों से अलग हैं) शुरू हो रहे हैं 23 दिसंबर से 9 जनवरी तक!

23 दिसंबर - भारत की राजनीति के असली चौधरी यानि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी का जन्मदिवस (23/12/1902)|
25 दिसंबर - "एशियाई ऑडीसुस", "जाटों के प्लेटो" महाराजा सूरजमल सुजान का बलिदान दिवस (25/12/1763)|
1 जनवरी - सन 1670 की आधुनिक भारत की सबसे बड़ी "उदारवादी जमींदार क्रांति" के जनक व् नायक सर्वखाप यौद्धेय गॉड गोकुला जी महाराज का उनके ताऊ व् भतीजे समेत शहादत दिवस (1/1/1670)|
9 जनवरी - उत्तर भारत में आधुनिक जमींदारी-मजदूरी-व्यापारी की नींव रखने वाले सर छोटूराम जी का देहावसान दिन (9/1/1945)|
9 जनवरी - 1857 की क्रांति के नायक वल्लभगढ़ नरेश राजा नाहर सिंह का उनके दो साथियों समेत बलिदान दिवस (9/1/1858)|


इस उपलक्ष्य में 23 दिसंबर से 9 जनवरी तक जाट-खाप-हरयाणा-उदारवादी जमींदारी - दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर जैसे विषयों के कल्चर-हेरिटेज-ट्रेट्स-मान-मान्यता-आध्यात्म आदि पर रोज एक विषय चुनकर उस पर स्पेशल पोस्ट लाने की कोशिश करूँगा और साथ ही यह बताने की कोशिश होगी कि क्यों यह 18 दिन जाटरात्रों के रूप में मनाने शुरू किये गए| हालाँकि काम-जिंदगी की अन्य व्यस्तताओं के चलते किसी दिन मिस हुआ तो एडवांस में माफ़ी|

ज्यादा बड़ी वजह नहीं है बस 19 से 22 फरवरी 2016 ने यही सीख दी है कि भाड़ में गया सबकुछ, दुनियाँ को अपना दीन-धन-सहूलियत-सिद्द्त भी लुटा दोगे तो कोई ना तुम्हारे मरे पे सर नीचे गोड्डा देवे| बल्कि उलटे 35 बनाम 1 व् जाट बनाम नॉन-जाट और झिलवायेंगे, इसलिए अपने लिए भी जियो, बेबाक हो के जियो|

विशेष: जिसको इस पोस्ट में निरे जातिवाद की बू आती हो, वह अपनी नाक-भों सिकोड़ के पिछली गली से निकल सकता/सकती है अपनी सेहत पर फर्क नहीं पड़ता तुम्हारे बड़बड़ाने-बिदकने या भौंकने से| जाटरात्रे तो यूँ ही मनेंगे| और यह इसलिए मानेंगे क्योंकि जब-जब किसी भी बिरादरी-कल्चर-स्टेट-जाति वाले के जो-जो त्यौहार आते हैं, जाट ही सबसे ज्यादा भागीदारी व् सौहार्द से मनाते-मनवाते हैं तो क्या बदले में हम इतनी भी अपेक्षा ना रखें कि कोई "जाटरात्रे" ना मनाये तो हमारे द्वारा मनाने पर कम-से-कम नाक-भौं ना सिकोड़े, राइट?

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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