5 बार फलाना मंत्रोचार करो,
फलाना घी फलाने हवन में डालो,
फलाना जानवर की नासिका से नासिका लगा खड़े हो जाओ, ऑक्सीजन मिलेगी
इनको सोमनाथ मंदिर की लूट याद दिलाओ| वहां जब महमूद ग़ज़नी मंदिर के अंदर बढ़ रहा था तो तमाम पुजारी गगनभेदी मंत्रोचार ही कर रहे थे, कभी भयमुक्त होने वाले मंत्र, कभी ध्यान-भटकाने वाले मंत्र तो कभी कोई से कभी कोई से| परन्तु ग़ज़नी इन सबको को उसी मंदिर में दफना के सारा खजाना ऊंटों पे लाद ले निकला था|
वह तो शुक्र मनाओ, आगे सिंध के मैदानों में जेली-लठ-तलवार-भालों वाली सर्वखाप सेना ने दादा चौधरी रायसाल खोखर की अगुवाई में वो सब ऊँट लूट के देश की लाज बचाई थी|
यें निरे कान फोडन के हैं, "झींगा-ला-ला हुर्र-हुर्र" टाइप कलह मचा के; ना साइंस इनके पास से हो के गुजरी, ना साहस गुजरा| सारा आयुर्वेद भी थारे-म्हारे पुरखों को खेतों-बोझड़ों-जंगलों में काम-करते देख, उनके तरीके उनकी उपज उनके लाइफ-स्टाइल से कॉपी-पेस्ट मार के पोथे पाथें बैठे हैं; वह भी बिना उन पुरखों को कोई क्रेडिट या रिफरेन्स दिए|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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