Monday 20 June 2022

अग्निवीर के बारे में कुछ बहम!

1) इससे आरएसएस के कैडर को ट्रैन किया जाएगा? ऐसा ही होता तो एनसीसी भी तो गोलियां चलाना सिखाती है, व् इतना ट्रेनिंग भी करती है कि 90% आरएसएस वाला तो उसी से थक के भाग खड़ा हो? या नहीं? तो 4 साल की फ़ौज वाली ट्रेनिंग में जायेंगे तो जरूर, पर वही जो जाते रहे हैं|

2) अडानी-अम्बानी या नेताओं आदि के सिक्योरिटी गार्ड बनेंगे: वह तो अभी भी बनते आ रहे हैं, बस जुल्म यह हुआ है कि पहले 37-40 की उम्र में जा के बनते थे अब 20-21 की उम्र में बनेंगे|
3) देशभक्ति की भावना को कोई फर्क नहीं पड़ेगा: बिलकुल पड़ेगा व् लुप्तप्राय हो जाएगी| विश्व का कोई भी रोजगार उठा के देख लो, लम्बी नौकरी में ही इंसान का अपनी जिम्मेदारी व् संस्था के प्रति लगाव व् समर्पण पैदा होता है| फ्रांस में तो प्राइवेट सेक्टर तक में सरकारी की तरह जॉब सिक्योर होती है, एक बार उस पर चढ़ गए तो कोई आपकी नौकरी नहीं छीन सकता, सिवाए आप दिवालिये व् जानबूझ के परफॉर्म करना छोड़ दो तो| यह पॉइंट सबसे खतरनाक होगा, इस पालिसी में| 17 साल न्यूनतम वाली नौकरी में फौजी स्थाई होते ही ब्याहा भी जाता था यानि 20-21 साल की उम्र में बंदा नौकरी व् शादी दोनों में सेटल, इससे उसका सिस्टम व् देश के प्रति मोह व् प्रतिबद्धता बढ़ती थी; देशभक्ति चरम छूती थी| और यह तभी होता है जब 17 साल वाली जॉब वाला स्थाईत्व हो यानि वो कहते हैं ना कि "भूखे पेट देशभक्ति नहीं होती"| 4 साल वाली में तो बंदा कहाँ इन बातों तक की भावना तक जा पाएगा, अपितु 2 साल होते ही दूसरी नौकरी व् ब्याह की चिंता में डिस्टर्ब रहेगा| यह बहुत घातक कदम में इस सरकार का; वह भी राष्ट्रभक्ति का दम भरने वाली सरकार का| ताज्जुब है राष्ट्रभक्ति रटने वाली सरकार को यह नहीं पता कि राष्ट्रभक्ति बना के कैसे रखी जाती है|
4) 25% में सब ईमानदारी से लिए जाएंगे| नहीं लिए जाएंगे, असली घपला ही यहाँ होगा| भाई-भतीजावाद, चाटुकारिता चरम पर बढ़ेगी, 25% में शामिल होने को| स्वछंद कर्मचारी का कल्चर खत्म करेगी यह योजना|
5) फौजियों की अर्निंग कैपेसिटी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा: पड़ेगा, 60 व् 70 हजार की सैलरी पर पहुँच कर, पेंशन समेत रिटायर होने वाले फौजियों का जमाना लद गया है इससे| कहाँ तो 2022 के पंजाब-यूपी आदि एलेक्शंस में सिविल जॉब्स में पेंशन स्कीम वापिस आ रही थी, कई राज्यों ने घोषणा भी कर दी थी; तो उसका पक्का इलाज बांधा गया है कि किसी को भी पेंशन नहीं दी जाए| फौजी तो गए ही इससे, साथ ही सिविल में भी देखना शायद ही कोई राज्य पेंशन की पुनर्बहाली की घोषणा करे| ऐसा किसी गुलाम स्टेट में ही हो सकता है, आज़ाद में नहीं| शायद ही दुनिया में ऐसा कोई देश हो, जो अपने कर्मचारियों को रिटायर पेंशन नहीं देता हो| इन दोनों ही बातों से आम फौजी की अर्निंग कैपेसिटी कभी भी 70 हजार महीना नहीं पहुँच पायेगी वरन इससे आधे के नीचे रह लेगा| इनकी कैपेसिटी आधी यानी कंस्यूमर कैपेसिटी आधी| जिससे ना सिर्फ फ़ौज को नुकसान होगा, आने वाले वक्त में कंस्यूमर कैपेसिटी आधी होने के चलते, बिज़नेस वालों का सामान भी आधा बिकेगा यानि बिज़नेस पर सीधा-सीधा असर| बिज़नेस वालों को इससे इसलिए फर्क नहीं पड़ता क्योंकि बिज़नेस का कल्चर ही "बड़ी मछली, छोटी को खाने वाला" होता है; तो रोड्स पर तो आएंगे परन्तु छोटे व् मझले व्यापारी| यानि इजराइल अमेरिका से अग्निवीर की कॉपी करने से पहले, वहां के छोटे व् मझले व्यापारी को कैसे बचा के रखा जाता है इसकी भी कॉपी करते तो अग्निवीर लागू करने की सोचते ही नहीं|

लेकिन लगता है मनुवाद इनके सर चढ़ कर बोल रहा है| अभी सचेत हो जाओ, यह हिन्दू राष्ट्र के नाम पर भी तुमको "मनुवाद" परोसने वाले हैं; कहीं कहो कि किसी ने चेताया नहीं था|

जय यौधेय! - फूल मलिक

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