Sunday 24 July 2022

हरयाणा से अबकी बार लगभग 50% कम कावड़ लेने गए हैं लोग!

शामली-बुढ़ाना-कैराला-कांधला रूटों पर मौजूद हमारे सूत्रों (दुकानदार व् कावड़ यात्रा सुरक्षा कर्मचारी) की रिपोर्ट के आधार पर यह बात निकल कर आई है कि अबकी बार हरयाणा से 50% से भी कम भीड़ आई है| 

साथ ही मुजफ्ररनगर-मेरठ-बागपत-बड़ौत के स्थानीय जाट लगभग नगण्य ही कावड़ लेने गए हैं| 

इसकी दो वजहें बताई जा रही हैं: एक तो किसान आंदोलन की पीड़ा, टीस व् इनकी किसान के प्रति तथाकथित अपनेपन के थोथेपन बारे किसान बालकों में आई  जागरूकता व् दूसरा ढोंग-पाखंड के खिलाफ चल रहे विभिन्न मिशनों-पंचायतों-संगठनों की जागरूकता का असर| 

एक नया बदलाव जो इस साल देखने को मिला है वह यह कि एक तो "जय भीम" व् नीले झंडों की कावड़ ज्यादा आ रही हैं| और दूसरी बात सबसे ज्यादा भीड़ ग़ाज़ियाबाद व् मेरठ के मध्य रुट पर रहने वाले व् दिल्ली में रहने वाली लेबर क्लास ज्यादा ला रही है जो कि अधिकत बिहारी या बंगाली दिख रहे हैं| 

जय यौधेय! - फूल मलिक 

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