Wednesday 27 July 2022

वास्तव में धर्म क्या है?

लेख का निचोड़: आपकी दुर्गति धर्म ने नहीं की है, अपितु धर्म की गलत चॉइस ने की हुई है; आपका DNA किसी और दार्शनिकता का है व आप ढो उसके विपरीत को रहे हैं| 

 

धर्म वह उच्च स्तरीय राजनीति है जिसको मनी पॉलिटिक्स कण्ट्रोल करती है व् जो सत्तात्मक राजनीति व् सामाजिक राजनीति को कण्ट्रोल करता है; वह धर्म है| यानि दुनिया में 4 प्रकार की राजनीति हैं:

1 - आर्थिक राजनीति (इसको आर्थिक संसाधन कब्जाने की राजनीति कहते हैं)

2 - धार्मिक राजनीति (इसको मानसिक संसाधन कब्जाने की राजनीति कहते हैं)

3 - सत्तात्मक राजनीति (इसको किसी देश-राज्य का सिस्टम कब्जाने की राजनीति कहते हैं)

4 - सामाजिक राजनीति (यानि सोशल इंजीनियरिंग, इसको समाज में प्रभाव कायम रखना कहते हैं)


इन चारों में धर्म 1 के नीचे है व् 2 के ऊपर| 


दरअसल वास्तविक धर्म क्या है?: कम्युनिटी मैनेजमेंट की वह प्रणाली जो अपने व्यक्ति को मन की शांति, सम्मानजनक अस्तित्व का आत्म-साक्षात्कार, सामाजिक सुरक्षा-न्याय-समानता और सामाजिक आर्थिक स्वतंत्रता की भावना प्रदान करती है। इसके विपरीत जो है वह सब फंडी-प्रणाली है| 


धर्म का नाम दे कर फंडी कैसे फलता-फूलता है?: व्यक्ति में 2 दिमाग होते हैं, एक छोटा व् एक बड़ा| छोटा दिमाग हमेशा अर्ध-सुसुप्त अवस्था में होता है, जिसमें हमारे जीवन के अनसुलझे, अतृप्त खट्टे-मीठे, डरावने-दुखद-सुखद, पहलु पड़े रहते हैं| इन पहलुओं में वह पहलु भी होते हैं जो आपकी जिंदगी के फॉर्मेट के हिसाब से जीवन की प्राथमिकताओं के चलते सुलझाए या खुद को समझाये नहीं गए होते, जिसमें लालसाएं-महत्वाकांक्षाएं-पीड़ाएं भी होती हैं| अधिक स्याणे लोग या कहो फंडी लोग इन अनसुलझे पहलुओं को पकड़ते हैं व् आपको इन सबके सोलूशन्स देने के दावे करके धर्म के नाम पर नचाते हैं व् आर्थिक-मानसिक रूप से लूटते व् गुलाम बनाते हैं| जबकि असली धर्म का काम निस्वार्थ हो इनके हल देने का होता है| जो ऐसा नहीं करता, वह फंड है पाखंड है धर्म नहीं| इसलिए फंड व् फंडी दोनों से बचो व् अपने लोगों को बचाओ| 


तो पहले तो जरूरी है कि अपनों से सरजोड़ो व् अपने मूल-स्वभाव को समझो व् उसकी मूलता के अनुरूप पुरखों ने जो सिद्धांत स्थापित किये जिसको कि "दार्शनिक विरासत यानि KINSHIP" बोलते हैं उसको जानो; तब समझ आएगा कि आपका असली धर्म क्या है व् किनशिप की अनुपस्तिथि में आप धर्म के नाम पर क्या बवाल ढो रहे हो| 


जय यौधेय! - फूल मलिक 

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