Tuesday 24 January 2023

सुसरा, कुछ तो है इस जाट शब्द में!

जिसनैं देखो ओहे पाछै पड़ रह्या सै!

और तो और आरएसएस के लोग भी चुप हैं; उसी आरएसएस के कि जिनकी शाखाओं में आपने अपने परिचय में "फूल मलिक" नाम बता दिया तो; शाखा प्रभारी का शहद से भी मीठी चिपड़ी जुबान में उपदेश आएगा कि, "बेटा, हम जाति-गोत्र विहीन तंत्र हैं, जाति-गोत्र तो हमें खत्म करनी है; इसलिए सिर्फ "फूल" बोलो, "मलिक" को छोड़ दो; फिर बेशक तो इनकी टॉप कार्यकारिणी जैसे कि "मोहन भागवत" अपने नाम के पीछे "भागवत" लगाए रखे या इनकी ही पोलिटिकल विंग बीजेपी से WFI प्रेजिडेंट बृजभूषण शरण, उसकी संस्था में भेदभाव बारे वर्ल्ड-क्लास रेसलर क्रीम उसको शिकायत करे, तो भी उनको गंभीरता से लेने की बजाए "जाति-विशेष" बोल के टरकाता नजर आए| और इसपे ना बीजेपी बोलती है ना आरएसएस?
रै आरएसएस आल्यो, फेर थारे में और पंडाल में कथा-कहानी सुना के लोगों का फद्दू काटने वालों में क्या फर्क; सिर्फ इतना कि वह पंडाल में बैठ के फद्दू काटता है और तुम शाखाओं में?
मतलब यार, एक ऐसी कम्युनिटी जो तुम्हारे अनुसार हिन्दू भी है, समर्पित भी है व् दान-धर्म के नाम पर सबसे ज्यादा तुम्हें देती भी है; उसकी ऐसी रे-रे माट्टी कि उनके यहाँ से किसान आवाज उठाये तो "खालिस्तानी"; जवान उठाये तो "देशद्रोही", पहलवान उठाये तो "जाति-विशेष"? यह तो धर्म नहीं होता, विश्व की कौनसी किताब में यह परिभाषा है धर्म की; या अपनी ही घड़े बैठे हो?
और एक और नया सगूफा: हरयाणे की लगभग हर एमपी सीट पर बीजेपी-आरएसएस के लोग लोगों के कानों में फूंकते फिर रहे हैं कि:
1 - जाट, तुम्हें दबा लेंगे; इसलिए हमारे साथ रहो!
2 - जाटों से तुम्हारा अभिमान ऊंच रहना चाहिए, इसलिए हमारे साथ रहो!
3 - जाटों को सबक सिखाना है इसलिए हमारे साथ रहो!
4 - तुम्हारा अहम्, जाट से कम है क्या?
अरे, किस जाट ने कही कि किसी का अहम् उनसे कम है या कोई जाट किसी को दबा लेगा? अब जाट का कल्चर-किनशिप का सिस्टम ही ऐसा है कि उसके यहाँ से 90% ओलिंपिक मटेरियल पहलवान निकलते हैं तो इसमें जाट ने किसको दबाया? उसको किसानी सबसे अच्छी आती है तो इसमें किस से कम्पटीशन कर लिया उसने? उसको हक-न्याय के लिए आवाज उठानी आती है तो इससे कोई क्यों जलेगा जाट से, तुम्हारे कहे से?
और कमाल है अगर सिर्फ इन कुतर्कों पर कोई जाट से छिंटकता है तो| फिर तो ऐसे लोग वाकई में बुद्धि से बहुत पीछे चल रहे हैं| मैं नहीं, मानता कि ऐसे समाजों के बुद्धिजीवी लोग, अपने लोगों को ऐसे शियारों की बहकाई आने से रोकने हेतु उनको यह शिक्षा नहीं देते होंगे कि, "अगर जाट में यह गुण हैं तो उनसे जलो मत, रीस करो"|
खैर फंडियो; चिंता मत ना करो; न्यू मत ना समझियों जाट इन हरकतों से दबते जायेंगे; नहीं; बल्कि इतिहास याद रखो, और वह मौके भी याद रखो जब जिनकी बदौलत यह कहावतें चली कि, "जाट को सताया तो ब्राह्मण भी पछताया"|
किसी ने सही कही है, "जाट हो जाना, यूँ ही अकस्मात नहीं होता"! थोबेंगे तुम्हारे मुंह और वो भी बड़ी सुथरी ढाळ थोबेंगे! थमने पांच पीढ़ी लगी, हो सके हमें भी लगें परन्तु एक-दो पीढ़ी में ही बंदोबस्त कर देंगे थारा; हम थारी ढाळ पांच-पांच पीढ़ी ना लगावें!
जय यौधेय! - फूल मलिक

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