Friday 12 April 2024

पंजाबी सिनेमा भूत-भूतनियों के कांसेप्ट की चपेट में इतना पहले कभी ना था, जितना आजकल चल रहा है!

पंजाबी फिल्मों में आजकल भूत-भूतनियों के कांसेप्ट की जैसे बाढ़ सी आई हुई है; हर दूसरी फिल्म में यह सब्जेक्ट जरूर है| फंडी फाइनेंसिंग है इसके पीछे, 'पिछले दरवाजे से लोगों के दिमागों में शक-शुबाह डलवा के लोगों को भरम की लाइन पे ले आने की'| ताकि जो नहीं भी मानते हों, वह भी imagery-memory में इन्हीं चीजों के relfection देखते रहें| उससे फिर जो-जो भरम में आएगा, यह उसको अपनी अंटी में लेते जाएंगे; यही तरीके हैं इनके आपसे लड़ाई लड़ने के| ड्रग्स बेइंतहा उतरवा दो, शिवजी जैसे गॉड को नशेड़ी-सुल्फेडी बना-बढ़ा दो, भूत-भूतनियों के किस्से फिल्मों में बढ़वा दो; आदि-आदि| जबकि हमारे यहाँ कल्चर यह रहा है कि किसी को ऐसे सपने या भरम भी होते हैं तो उसको वह भुलवाने की कोशिशें की जाती हैं| 


इस मामले में ईसाईयों का 31 अक्टूबर वाला Halloween का दिन, यानि भूत-भूतनियों का दिन सही तरीका है; लोगों के भीतर से ऐसी भ्रांतियों से संबंधित imagery-memory को खेल-खेल में साफ़ करने-करवाने का| हालाँकि फ़िल्में इस विषय पर हॉलीवुड भी बनाता है; परन्तु 100 में कोई 1| पंजाबी सिनेमा में ऐसी फ़िल्में पहले विरली ही दिखती थी, परन्तु आज के दिन जो बाढ़ आई हुई है, यह चिंता का विषय होनी चाहिए; पंजाबी समुदाय समेत, हर उस के लिए जो पंजाबी सिनेमा देखता है| बॉलीवुड की हालत इस मामले में सबसे ज्यादा खस्ता रही है, यह सिर्फ फिल्म ही नहीं वरन टीवी सेरिअल्स तक में यह कांसेप्ट बढ़ा-चढ़ा के दिखाते हैं| हरयाणवी यूट्यूबर्स भी आजकल इस विषय पर काफी कंटेंट निकाल रहे हैं; हर किसी की वीडियो सीरीज में यह सम्मिलित है, कोई हरयाणवी फिल्म मेकर, युट्यूबर इससे अछूता नहीं; मैं इसको इन पर बॉलीवुड व् फंडियों का डायरेक्ट कनेक्शन होंगे, कारण मानता रहा हूँ| परन्तु पंजाबी सिनेमा को क्या हुआ है, वहां तो दस गुरुओं का सिस्टम है; जो भूत-भूतनियों से लगभग दूर ही समझा जाता है| 


जय यौधेय! - फूल मलिक

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