कम पढ़ाई बहुत खतरनाक बात होती है, इसी के कारण चौधरी छोटूराम को समझने में कई भाई भूल कर जाते हैं हकीकत ये है कि चौधरी साहब नहीं होते तो आज जाट, अहीर, गुजर, राजपूत, रोड़, माली, गौड़ ब्राह्मण, चौहान, जांगडा के पास एक कनाल जमीन भी नहीं होती.
पंजाब भूमि हस्तांतरण पर रोक
पंजाब में भूमि के हस्तांतरण को रोकने के लिए चौधरी छोटूराम ने दस जातियों को 'वैधानिक कृषक जनजाति' की श्रेणी में रखवाया। इन जातियों में अहीर, जाट, गुर्जर, राजपूत, रोड़, माली, बिलोच, मुगल, सैयद, पठान जातियां थी।
इन जातियों के लोगों की जमीन गैरजमींदार नहीं खरीद सकता था। 'रहन' पर रखी जमीन की अवधि भी 20 वर्ष से अधिक नहीं हो सकती थी। जाहिर है कि इस वैधानिक कृषक जनजाति कानून से किसान जातियों को न केवल राहत मिली, बल्कि, अत्यधिक लाभ भी हुआ। यदि यह कानून नहीं बनाया जाता, तो इन जातियों के किसानों की भूमि गैरजमींदार खरीद लेते और ये कृषक जातियां भूमि-विहीन हो जाती।
सुरक्षित जाति कानून
सन् 1925 में चौधरी छोटूराम ने निजी प्रयास करके गौड़ ब्राह्मण, चौहान, जांगड़ा और कुरैशी जातियों को भी भूमि हस्तांतरण के संबंध में सुरक्षित जातियां घोषित करवा दिया, जिससे इन जातियों के लोगों को भी इस कानून के अंतर्गत सुरक्षा मिल गई और उनके द्वारा साहूकारों से लिए गए कर्ज के बदले में उनकी जमीन साहूकारों के हाथों में जाने से बच गई, वरना, वे कृषक जमीन रहित होकर दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हो जाते।
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