हामी नेपाल:-
नेपाल में जो कुछ हो रहा है वह अचानक हुई घटना नहीं है, यह नेपाल में जातिगत संघर्ष का परिणाम है , नेपाल सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध तो बस "ट्रिगर प्वाइंट" था।
दरअसल यह सारा मामला तो जातियों के संघर्ष का था जो ब्राह्मण और गुरुंग+मद्धेशिया के बीच का संघर्ष के रूप में परिणित हुआ है। आज के मौजूदा कत्लेआम और प्रधानमत्री "खड्ग प्रसाद शर्मा ओली" के तख्ता पलट की पटकथा एक लंबे संघर्ष का ही परिणाम है , क्योंकि गुरुंग जनजाति और मद्धेशिया जाति नेपाल को पुनः "हिन्दू राष्ट्र" बनाने के आह्वान के विरुद्ध जनजाति नेता "सुदन गुरुंग" और "बालेन शाह" के नेतृत्व में कई साल से संगठित हो रहीं थीं...
आपको याद होगा कि भारत के विभिन्न मीडिया हाउस में नेपाल में "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ" के समकक्ष या प्रेरित संगठन "हिंदू स्वयंसेवक संघ" (HSS) के उभार की खबरें प्रसारित की जा रहीं थीं जो नेपाल में हिंदुओं "हिंदू संस्कृति", हिन्दू एकता, उग्र राष्ट्रवाद और हिंदू राष्ट्र को बढ़ावा देने का काम करता है इसीलिए HSS को नेपाल का RSS कहा जाता है। ब्राह्मण प्रधानमंत्री केपी ओली उस HSS के समर्थन में थे।
HSS की स्थापना 1992 में हुई थी। यह नेपाल में RSS की विचारधारा को फैलाने के लिए शुरू किया गया, जब नेपाल आधिकारिक रूप से हिंदू राष्ट्र था और RSS के स्वयंसेवकों ने इसकी शुरुआत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नेपाल में HSS का ठीक वही पैटर्न रहा है जैसे भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मगर HSS का दुर्भाग्य यह कि नेपाल में मुसलमान 5.09% ही हैं जो पूरे नेपाल में ना फैलकर नेपाल कज तराई क्षेत्र जैसे रौतहट, पर्सा, बारा, बांके में ही रहते हैं। दूसरे यह कि नेपाल में कभी मुग़ल शासक नहीं रहे जिससे इतिहास को तोड़-मरोड़कर नेपाली लोगों को सांप्रदायिक ज़हर परोसा जा सके, तीसरे पाकिस्तान से उसका दूर दूर तक संबंध नहीं।
अर्थात भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सफलता के तीनों शस्त्र नेपाल में नहीं जिससे वह वहां सांप्रदायिक दंगे करा सके मगर HSS हिंदू पहचान को मजबूत करने, धर्मांतरण को रोकने और सनातन धर्म की रक्षा के साथ साथ "हिंदू राष्ट्र" के लिए वहां काम कर रहा है और नेपाल को हिंदू राष्ट्र के रूप में बहाल करने की मांग करता रहा है।
2008 में नेपाल के धर्मनिरपेक्ष घोषित होने के बाद HSS और ऐक्टिव हुआ और यह यह हिंदू त्योहारों, जैसे दशहरा और विजयादशमी, का आयोजन करके वहां अपना एजेंडा चलाने लगा।
नेपाल लंबे समय तक एक हिन्दू राजतंत्र था और 1768 से लेकर 2008 तक नेपाल एक हिन्दू राज्य रहा। 2008 में नेपाल ने राजशाही को समाप्त करके नेपाल को लोकतांत्रिक गणराज्य (Federal Democratic Republic of Nepal) बनाया गया और उसी समय नेपाल ने अपने संविधान में धर्मनिरपेक्ष राज्य होने की घोषणा की।
HSS इसी के विरुद्ध नेपाल में काम पर वैसे ही लगा हुआ है जैसे भारत में RSS...और गुरुंग जाति के सुदन गुरुंग इसके सामानांतर "हामी नेपाल" संगठन बनाकर आंदोलन करने लगे।
गुरुंग जाति मुख्य रूप से बौद्ध धर्म या बौद्ध-हिंदू मिश्रित परंपराओं का पालन करते हैं और वह हिंदू वर्ण व्यवस्था को नहीं मानते। नेपाल में यह मात्र 14% नहीं 2% हैं....और यह जाति समुदाय पूर्वी नेपाल और भारतीय सीमा के निकट रहता है।
इसी गुरुंग जाति के 36 वर्षीय युवा "सुदन गुरुंग" नेपाल के एक प्रमुख युवा कार्यकर्ता उद्यमी और गैर-सरकारी संगठन NGO "हामी नेपाल" के संस्थापक हैं , इसकी स्थापना उन्होंने 2020 में की। सुदन गुरुंग को युवाओं की आवाज के रूप में जाना जाता है। वह युवा पीढ़ी के मुद्दों, जैसे बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, पर फोकस करते रहें हैं।
यह संगठन नेपाल के युवाओं की आवाज बनने के लिए भ्रष्टाचार, नेपोटिज्म अर्थात भाई-भतीजावाद और "नेपो किड्स" अर्थात नेता परिवारों के विशेषाधिकार के खिलाफ जागरूकता फैलाने लगे।
एक तरफ HSS दूसरी तरफ़ "हामी नेपाल"...
"हामी नेपाल" को साथ मिला वहां के प्रमुख उद्योगपति दीपक भट्टा का जो इन्फिनिटी होल्डिंग्स के मालिक हैं, शंकर ग्रुप के साहिल अग्रवाल और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित और प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डॉ. संदुक रुइत का और आंदोलन ने गति पकड़ ली और "ट्रिगर प्वाइंट" मिला नेपाल में सरकार द्वारा 4 सितंबर, 2025 को फेसबुक , व्हाट्सएप, ट्विटर, यूट्यूब सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाना है।
सरकार का तर्क था कि इन प्लेटफॉर्म्स ने नेपाल के नियामक प्राधिकरण के साथ रजिस्ट्रेशन नहीं कराया। प्रतिबंध से युवाओं की कमाई बंद होने का खतरा महसूस हुआ और इसका व्यापक विरोध शुरू हुआ।
ऐसी संभावना है कि यह अमेरिका की एजेंसी CIA के दख़ल से ही शुरू हुआ क्योंकि डॉ. संदुक रुइत को नेपाल में CIA का एजेंट ही कहा जाता है।
आंदोलन ने गति पकड़ी, तमाम मंत्री और प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दिया , CIA का एजेंडा सफ़ल हुआ, उसकी तमाम कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने वाली सरकार अपने अंजाम तक पहुंच गई।
9 सितंबर 2025 को सुदन गुरुंग ने आंदोलन से पीछे हटने का ऐलान किया जिसका काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने विरोध किया और इसी कारण #BoycottHamiNepal और #BackOffHamiNepal ट्रेंड करने लगा इसके बाद "हामी नेपाल" अचानक इस आंदोलन से पीछे हट गई।
अब इसके बाद 9 सितंबर से यह आंदोलन काठमांडू के मेयर बालेनद्र शाह के नेतृत्व में चला गया।
बालेंद्र शाह को प्यार से उनके समर्थक "बालेन" कहते हैं बालेन शाह नेपाल के एक प्रमुख युवा नेता, रैपर, इंजीनियर और राजनीतिक हस्ती हैं और "जेन-जेड क्रांति" (Gen-Z protests) के बैनर तले नेपाल के मौजूदा आंदोलन का नेतृत्व करने लगे।
35 वर्षीय बालेन शाह काठमांडू में एक "न्यूार बौद्ध" परिवार से आते हैं, न्यूार समुदाय नेपाल की एक प्रमुख स्वदेशी जनजाति है, जो काठमांडू घाटी में रहती है। बालेन एक सफल रैपर और गीतकार हैं। उन्होंने नेपाली हिप-हॉप सीन में अपनी पहचान बनाई, जहां वे सामाजिक मुद्दों जैसे भ्रष्टाचार, युवा बेरोजगारी और सांस्कृतिक पहचान पर गाने गाते हैं। सोशल मीडिया पर वह एक स्टार हैं, जहां उनके वीडियो और लिरिक्स वायरल होते रहे।
2022 के स्थानीय चुनावों में बालेन शाह ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में काठमांडू मेयर का चुनाव लड़ा और नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की। वह 32 वर्ष की आयु में काठमांडू के सबसे युवा मेयर बने। उनकी जीत को युवा विद्रोह का प्रतीक माना गया, क्योंकि उन्होंने पारंपरिक दलों के खिलाफ वोट मांगे।
बालेन शाह को HSS और भारत का कट्टर विरोधी माना जाता है। उन्होंने नेपाली संस्कृति की रक्षा के लिए काठमांडू में भारतीय फिल्मों और टीवी शो पर प्रतिबंध लगाया।
इसके अतिरिक्त वह अपने कार्यालय में "ग्रेटर नेपाल" का नक्शा लगाते हैं, जिसमें सिक्किम, उत्तराखंड और अन्य भारतीय क्षेत्र शामिल थे, जो भारत-नेपाल सीमा विवाद से जुड़ा माना गया। बालेन शाह को अमेरिका का मोहरा कहा जाता है और अमेरिकी राजदूत डीन आर. थॉम्पसन से उनके गहरे संबंध रहें हैं।
नेपाल सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद शुरू हुए युवा आंदोलन में "हामी नेपाल" के पीछे हटने के कारण "बालेन शाह" ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया और काठमांडू में सड़कों पर उतरे और छात्रों के साथ खड़े दिखे।
उन्हें अब नेपाल के अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें HSS पर प्रतिबंध लगाने की संभावना जताई जा रही है। मतलब कि भारत का एक और पड़ोसी उसका दुश्मन होने जा रहा है, और प्रधानमंत्री बस नेपाली में ट्वीट कर रहे हैं...
हिन्दू राष्ट्र की बात करने वाले मंत्री की हत्या कर दी गई, गोली चलाने का आदेश देने वाले की हत्या कर दी गई, पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी को ज़िंदा जला दिया गया....ऊपर से तुर्रा यह कि सहिष्णु हैं और शांति के पुजारी हैं "शांति दूत" हैं....
कुल मिलाकर नेपाल की मौजूदा स्थिति की जड़ कहां है समझ लीजिए , नेपाली बहुत जल्दी समझ गये...
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