Friday, 17 October 2025

IPS पूरण कुमार व् ASI संदीप लाठर आत्महत्या मामलों से 180° घूमती हरयाणे की राजनीति!

निचोड़: फरवरी 2016 से ले आज तक साढ़े नौ साल जिस 1 से नफरत-भय-द्वेष की राजनीति से चाक्की चलाई, आज उसी 1 की गोदी चढ़ने को आतुर हुए फिरते हैं! जिसको भविष्य की राजनीति करनी है, उनको आगे की दिशा दिखा गया यह दोहरा आत्महत्याकाण्ड!


हिसार सुशीला कांड हो, जिंद का जितेंद्र पहल कांड हो आदि-आदि; यह ऐसे ही हत्याकांड रहे जैसा "IPS पूरण कुमार व् ASI संदीप लाठर आत्महत्या मामलों" वाला; बस फर्क है तो सिर्फ इतना कि पहले वालों में सिर्फ नेता-अफसरी नेक्सस व् गैंगों की लड़ाई थी; जबकि अब वाले में नेता-अफसरी नेक्सस व् गैंगों के साथ-साथ नेता-अफसरी नेक्सस में घुस चुके वर्णवाद व् जातिवाद अहम्-दंभ साफ़ सामने आए हैं और हत्याकांडों की बजाए अब वाले आत्महत्या के मामले बने| जिनके कि विश्लेषण से सोशल मीडिया की वाल्स अंटी पड़ी हैं| परन्तु इन्होनें हरयाणा की गाम-गली-मोहल्ले की राजनीति इतनी प्रभावित नहीं की थी; जितनी यह दो आत्महत्याएँ कर रही हैं| आईए जानें कैसे:


1) हरयाणा में फरवरी 2016 से "तथाकथित 35 बनाम 1" में "तथाकथित 35" के झंडबदार बने हुओं के मुंह से नकाब उतर गए जब पता चला कि नायब सिंह सैनी को इतनी भी पावर नहीं कि वह एक चपड़ासी की भी बदली कर सके| "तथाकथित 35" इसलिए कहा क्योंकि हकीकत में 35 में भी कई जातियां तो मेजोरिटी में इनके साथ नहीं| और जो-जो इनके साथ हैं वो ऐसे हैं जिन्होनें धक्के से शूद्रता अपने ऊपर ओढ़ी हुई है| तभी तो बोलता कोई नहीं, इतना बड़ा पटाक्षेप होने के बाद भी; परन्तु भीतर-ही-भीतर सदमा सभी को लगा हुआ है| 

2) विधानसभा चुनाव 2024 में दलित से अलग कर DSC बना तो लिया, परन्तु एक DSC IPS पूरण कुमार द्वारा आत्महत्या करने पर इन "तथाकथित 35" के झंडबदार बने हुओं का कैसा पर्दफ़ाश हुआ; इसको देख के खुद DSC वाले सकते में हैं| क्योंकि इतने वर्णवादी तो वह भी नहीं जितना उनपे वर्णवाद का जनक होने के नाते इल्जाम लगता है; जितना "तथाकथित 35 के झंडबदार" निकले| 

3) हरयाणे में जब 1 वाले सीएम हुआ करते थे, तो इल्जाम लगते थे सारे असफर इनके व् बला-बला; जबकि हकीकत में ऐसा कभी नहीं रहा कि 1 वाले उनकी जनसंख्या अनुपात से सवाई भी ज्यादा रहे हों, A व् B ग्रेड जॉब्स में तो जनसंख्या अनुपात तक भी नहीं हुए कभी| परन्तु हो-हल्ला ऐसा रहता था कि जैसे 100% पोस्ट्स पर 1 वाले ही बैठे हैं| 

4) हरयाणा में फरवरी 2016 से "तथाकथित 35 बनाम 1" में "तथाकथित 35" के झंडबदार, IPS पूरण कुमार पर रीझने की अपेक्षा 1 वाला जो ASI आत्महत्या कर गया, उस पर टूट के रीझे हुए हैं, खुद सुपर-सीएम तक घोषणाएं कर रहा है, रोहतक में आ के खुद उपस्थित हो रहा है? मतलब लगभग साढ़े-नौ साल जिस 1 के खिलाफ "तथाकथित 35" में भर-भर नफरत-द्वेष-भय-भ्रम भर व् आगजनी कर-कर के सत्ता पाई; आज उसी 1 की गोदी में आने को आतुर हो रहे? तो फिर इन "तथाकथित 35" वालों का क्या होगा; जिनको पिछले 9 साले से फद्दू बनाए हुए थे? मतलब जब लगा कि कहीं DSC-दलित-ओबीसी इन "तथाकथित 35 के झंडबदारों की हकीकत जान" इनपे टूट न पड़े तो लगे 1 की गोदी चढ़ने? 


1 वालों समेत तमाम इनके इस घेरे मारे हुए "तथाकथित 35" में जो आज भी इनसे दूर हैं, वह सभी बचना इनसे; बूढ़े इसलिए इनको 'उघाड़े' कहा करते! तब सिर्फ सुनते थे, इस केस से प्रैक्टिकल भी देख ही लिया होगा? बल्कि अब मौका है गाम-गाम गली-गली इनकी फैलाई नफरत-द्वेष-भय-भ्रम के तमाम जालों, बहम, बवालों का पटाक्षेप कर अपने हरयाणे को वापिस इसकी सही वाली राजनैतिक लाइन पर लाने का! और ये तमाम विपक्षी पार्टियां कर लो अपने कैडर को एक्टिव ग्राउंड पे अभी से; वरना भूल जाओ 2029 भी अगर यूँ हाथ-पे-हाथ धरे बैठे रहे व् इलेक्शन से तीन महीने पहले मात्र आ के एक्टिव हुए तो! और जो-जो अभी एक्टिव हैं, वह जरा अपनी राजनैतिक दशा व् दिशा का आंकलन करके चलो; अन्यथा कोई फायदा नहीं अगर उन्हीं की subsidiary की लाइन वाली बातों के साथ ग्राउंड पे रहना है तो; फिर थारा किते कोई बट्टा-खात्ता नहीं! और एक काम यह भी हो कि तुम्हारे बारे जो-जो भरमजाल फैलाए गए हैं, उनके खुद को स्पष्टीकरण तैयार कर, पब्लिक में लटका दो; ताकि तुम्हारे विरुद्ध तुम्हारी पीठ-पीछे 'कान-फुंकाई' करने वाली गैंग डिफ्यूज की जा सके! अन्यथा कोई रास्ता नहीं!


जय यौधेय! - फूल मलिक

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