Wednesday, 30 September 2015

सरदार भगत सिंह की फांसी में दादा लालचंद फोगाट का कोई हाथ नहीं था; इस अफवाह से बचें!

विगत 2-3 दिन से सोशल मीडिया पर किसी पूर्वनिर्धारित साजिश के तहत सी प्रतीत होती एक बात बीच-बीच में उछल के आ रही है कि सरदार भगत सिंह की फांसी में राय बहादुर दादा लालचंद फोगाट का हाथ था| यह सिर्फ एक अफवाह मात्र है जिसका मैं इन तथ्यों के आधार पर खंडन करता हूँ:
1) राय बहादुर साहब की पत्नी सिख जाट थी|
2) वो भरतपुर रियासत के शाही दीवान थे, जहां से उनको काफी प्रॉपर्टी इनाम स्वरूप मिली थी व् कुछ उन्होंने अन्य स्त्रोतों से जोड़ी थी| जबकि फैलाया यह जा रहा है कि शोभा सिंह चोपड़ा और शादीलाल की भांति उनको यह प्रॉपर्टी अंग्रेजों से भगत सिंह मामले में मदद करने के ऐवज में मिली थी|
3) राय बहादुर साहब, सर छोटूराम और सेठ छाजुराम की गहरी नजदीकी सपोर्ट थे और सरदार भगत सिंह के कलकत्ता प्रवास के दौरान उनको जब सेठ छाजूराम के कलकत्ता बंगले में छुपाया गया था तो वो इसमें सहयोगी थे|
तो ऐसे में यह तथ्य अपने आप निरस्त हो जाता है कि उनका शहीद-ए-आज़म की फांसी में उनका कोई हाथ था| हालाँकि व्यापार कारोबार को लेकर उन पर कुछ केस जरूर बताये जाते हैं|
हाँ, शोभा सिंह चोपड़ा ने जरूर उनको असेंबली में बम फेंकते हुए देखने की गवाही दी थी और शादीलाल अग्रवाल जज ने उनको फांसी की सजा सुनाई थी| इसके ऐवज में इन दोनों को जरूर अंग्रेजों से इनाम स्वरूप ढेर सारी प्रॉपर्टी, मिल्स और बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स मिले थे|
भगत सिंह बारे शादीलाल से लोगों की नाराजगी का तो यह आलम था कि जब वह स्वर्ग सिधारे तो बागपत-शामली इलाके की दुकानों पे किसी दुकानदार ने उनके लिए कफ़न तक भी नहीं दिया था| उनके लड़के दिल्ली से जा के कफ़न लाये थे|
इसलिए इस प्रकार की अफवाह से बचें और जैसा माहौल चल रहा है उसको देखते हुए समझें कि यह अफवाहें कहाँ और किस लॉबी से आ रही होंगी और किसलिए आ रही होंगी|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

1 comment:

Shailendra Singh Jadaun said...

दीवान चंद फोगाट का नाम जरूर लिया जा रहा है।