Monday 24 July 2023

अगर कोर्ट व् WFI कानूनों पे ट्रायल दे के जाने वाले व् बिना ट्रायल दे के जाने वाले दोनों सही ठहरते हैं तो दोनों को डंके की चोट पर सही ठहराओ, बजाए डिफेंसिव हो सफाई देने लगने के!

पहलवान मुद्दे पर हम उन चीजों के लिए बहस ना ही करें तो बेहतर, जो कोर्ट व् कुश्ती फेडरेशन के नियम निर्धारित कर रहे हैं| अगर कोर्ट व् WFI उनको बिना ट्रायल खेलने के नियम रखती है तो उन नियमों को आगे करो; उन दो के लिए जो बिना ट्रायल खेलने जा रहे हैं व् जो एक ट्रायल दे के जाना चाहती है, उसको उसके लिए प्रोत्साहित करो| 


यह सोशल ब्रांडिंग व् मार्केटिंग के ये फंडे हैं, इनको समझिये व् अगर कानूनी व् एडमिनिस्ट्रेटिव नियमों में आपके दोनों तरह के पहलवान फिट बैठ रहे हैं तो दोनों सराहिए| कम से कम यह उन फंडियों की तरह तो नहीं कर रहे जो अपने लोगों के उन गलतों तक को सही ठहराने लग जाते हैं वरन जुलूस तक उनके समर्थन में निकालते हैं, जो कानून की भाषा में बलात्कार है, आगजनी है, जान से मारने की धमकी है| फिर उदाहरण में क्या सेंगर, क्या गोधरा काण्ड के 12 अपराधी छोड़ने व् क्या बृजभूषण का मसला| आप लोग तो उन बातों पे अपने खिलाडियों को गलत-सही ठहराने पे लगे हो, जिनको कोर्ट व् खुद WFI के कानून वैध देते हैं; तो जब कानूनी वैध हैं दोनों मामले, तो उनका हवाला दे के दोनों को सराहे व् प्रोत्साहित किये रखें| 


अन्यथा इतने पानी-पाड़ न्याय करने चले हो तो योगेश्वर दत्त के करवा लो ओलिंपिक व् CWG के मेडल्स वापस, ऐसी बिना ट्रायल दिए खेलने जाने पे आपत्ति जता के न्यायकारी बन रहे हो तो; क्योंकि सबके सामने खुल के आ चुकी अब तो कि वह कितनी बार बिना ट्रायल्स दिए गया है| या फिर सुशिल कुमार को निर्दोष घोषित करवाओ, जिसने यही बात कही थी कि 2016 में ट्रायल दे के जाए जो जाए, परन्तु बीजेपी ने अपनी जाट बनाम यादव पॉलिटिक्स खेलने व् सुशिल कुमार कहीं लगातार तीन जीत में व् तीसरी में गोल्ड ना ले आये व् तीन ओलिंपिक मेडल्स आने पे उसको "भारत रत्न" ना देना पड़ जाए सचिन तेंदुलकर की तरह; इसलिए नर सिंह यादव की बलि चढ़वाई वो अलग व् सुशिल को "भारत-रत्न" तक पहुँचने से रोका वह अलग व् इन दोनों समुदायों में राड़ लगवाई वह अलग|  


यह अधिक से ज्यादा उदारवादी व् भावुकता ही आपको ऐसे सिस्टम में सर्वाइव नहीं करने दे रही| हाँ, वह दो खिलाडी बिना ट्रायल अगर कोई कोर्ट या WFI का कानून तोड़ के या उसका नाजायज एक तरफा फायदा ले के बिना ट्रायल जा रहे हैं तो बेशक उनको गलत बोलो| अन्यथा दोनों मामलों को सपोर्ट करो| और जिनको खाज हो, उनके आगे डेनफेन्सिव होने की बजाए कोर्ट-WFI नियम अड़ाओ| अन्यथा WFI के नियम बदले जाने की आवाज उठाओ| 


जय यौधेय! - फूल मलिक