Friday, 27 November 2015

दिन-रात जाटों के खिलाफ पड़ी बीजेपी, आरएसएस और मीडिया का जाट-विरोधी तबका महर्षि दयानंद से सीख लेवे!

जाटलैंड के ब्राह्मण समाज को समझाना चाहिए इन आरएसएस, नागपुर और बाकी के क्षेत्रों से आने वाले ब्राह्मणों को कि ऐसा नहीं है कि जाट ब्राह्मण का आदर नहीं करता या उसको इज्जत नहीं देता, बशर्ते कि वो ब्राह्मण जाटों के साथ महर्षि दयानंद जैसा आचरण करता हो, महर्षि दयानंद की भांति अपनी पुस्तकों में जाटों की स्तुति करता हो, जाट के सकारात्मक पहलुओं की इस हद तक प्रशंसा करता हो कि वो जाट के अच्छेपन से आल्हादित होकर जाट को अपनी सत्यार्थ प्रकाश में "जाट जी" तक लिख डालता हो| जाटों की इन बातों को अंगीकार कर इनका समर्थन करता हो|

महर्षि दयानंद ने भले ही जाट को सिख धर्म में जाने से रोकने हेतु अपनी लेखनी में जाट का ऐसा बखान किया हो, परन्तु जाट ने उसको लौटाया सूद-समेत। आज तक पूरी जाटलैंड पे महर्षि दयानंद जितना सम्मानित दूसरा कोई और ब्राह्मण नहीं हुआ। और यह सब इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने जाटों को अपने व्यवहार और लेखनी दोनों में वो इज्जत बख्शी जिसके कि जाट वास्तव में अधिकारी होते आये। 

आप लोग डरें नहीं और ना ही जाटों को ऐसा समझें कि जाट वजह हो या बेवजह हो, हर वक्त उददंड ही होते हैं इसलिए इनको सिर्फ उद्दंड ही बोलते-लिखते जाओ। कभी महर्षि दयानंद जैसा जज्बा भी ठान के लिख के देखो, पूरे विश्वास से कहता हूँ जाट तुम्हें सूद समेत वापिस करेंगे, ठीक वैसे ही जैसे महर्षि दयानंद को किया है।

और नहीं तो भाई इसी परिपाटी पे चलना है तो हम फिर यही समझेंगे कि तुम्हारी निगाह हमारी सामाजिक साख गिराने, हमारा सामाजिक दायरा समेटने और हमारे और हमारे पुरखों के द्वारा हाड़तोड़ मेहनत से बनाये संसाधनों और सुविधाओं को लूटने अथवा मिटाने पर है।

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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