Author: Sir Jasbir Singh Malik, Editor-in-Chief Jat Ratan Magazine
Agreed upon all except figures picked from mythology! - Phool Malik
(1) धन्ना जाट भक्त - हरचतवाल गोत्री,
(2) पूर्ण भक्त उर्फ बाबा चौरंगीनाथ - संधु (सिन्धड़) गोत्री
(3) सन्त गरीबदास - धनखड़ गोत्री
(4) बाबा दीपसिंह - संधु गोत्री
(5) बाबा जोगी पीर - चहल गोत्री
(6) पीर बाबा काला मेहर - संधु गोत्री (पाकिस्तान)
(7) हाफीज बरखुरदार - भराइच गोत्री (पाकिस्तान)
(8) लाखन पीर - चीमा गोत्री
(9) सन्त निश्चलदास - दहिया गोत्री
(10) भक्तशिरोमणि रानाबाई - घाना गोत्री (राज.)
(11) पीर साखी सरवर - सरवर गोत्री (पाकिस्तान)
(12) बाबा सिद्ध भोई - धालीवाल गोत्री
(13) पीर बादोके - चीमा गोत्री
(14) बाबा हरिदास - डागर गोत्री (दिल्ली)
(15) बाबा कालूनाथ - गिल गोत्री
(16) बाबा सिद्ध कालींझर - भुल्लर गोत्री
(17) बाबा मेहेर मांगा - बाजवा गोत्री
(18) बाबा आल्टो - ग्रेवाल गोत्री
(19) बाबा सिद्धासन - रणधावा गोत्री
(20) बाबा तिलकारा - सिन्धु गोत्री
(21) सिद्ध सूरतराम - गिल गोत्री
(22) बाबा तुल्ला - बासी गोत्री
(23) बाबा अकालदास - पन्नु गोत्री
(24) बाबा फाला - ढिल्लो गोत्री
(25) शहीद स्वामी स्वतंत्रानन्द सरस्वती - सरोहा गोत्री
(26) बाबा अदी - गर्चा गोत्री
(27) बाबा उदासनाथ - तेवतिया गोत्री
(28) पीर बादोक्यान - चीमा गोत्री
(29) जट्ट ज्योना - मौर गोत्री, लेकिन इनको ब्राह्मणवाद ने ज्यानी चोर कहकर बदनाम किया, क्योंकि ये दक्षिण एशिया में अपने समय के महान् बुद्धिमान् व्यक्ति थे जो बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। इन्होंने ही राजकुमारी महकदे की रक्षा की थी।
(30) स्वामी आनन्द मुनि सरस्वती - राणा गोत्री (उत्तरप्रदेश)
(31) स्वामी केशवानन्द - ढाका गोत्री (राजस्थान) - इन्होंने राजस्थान में शिक्षा क्षेत्र में महान् कार्य किया। संघरिया शिक्षा संस्थान इन्हीं की देन है।
(32) भक्त फूलसिंह - मलिक गोत्री। इनके नाम पर हरियाणा के सोनीपत जिले के खानपुर गांव में महिला विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है।
(33) लोक देवता वीर तेजा जी - धौला गोत्री, राजस्थान के घर-घर में पूज्यनीय वीर देवता तथा प्रेरणा-स्रोत। इन्हीं के गोत्री भाइयों ने धौलपुर (राज.) शहर बसाया था।
(34) बाबा मस्तनाथ - जाटवंशज
(35) बाबा शिवनाथ - खत्री गोत्री, अस्थल बोहर जिला रोहतक के मुखिया रहे।
(36) सन्त सदाराम जी - रेवाड़ गोत्री जाट, जोधपुर के पूजनीय संत।
(37) सन्त मूदादास जी - वास गोत्री जाट, जोधपुर क्षेत्र में पूजनीय।
(38) साधवी फूलाबाई जी - नागौर क्षेत्र में लोग उनके दर्शन से धन्य होते थे, मांझू जाट गोत्र में जन्मी।
(नोट- याद रहे हरयाणा के पूर्व मुख्यमन्त्री चौ० भजनलाल का भी यही गोत्र है जो हरयाणवी बिश्नोई जाट हैं न कि शरणार्थी पंजाबी।) इनके परिवार ने अवश्य कुछ दिन पाकिस्तान की भारत सीमा के साथ बहावलपुर स्टेट में अपने रिश्तेदारों के यहां खेती की थी। लेकिन ये सन् 1946 में ही वापिस अपने गांव आ गए थे। पर इनका जिक्र न ही करे तो अधिक अच्छा है 7-5-1991 के इन्होंने ही जाट आरक्षण रद्द करके जाट कौम के साथ ऐतिहासिक गद्दारी करी थी ।
(39) चूअरजी जाट जूझा - जिनकी मूर्ति राजस्थान में भगवान् की तरह पूजी जाती है।
(40) सन्त बख्तावर जी - झांझू गोत्री जाट, जिनकी मेवाड़ (राज.) क्षेत्र में पूजा होती है।
(41) हरिभगत कल्याण जी - जाठी गोत्री जाट जोधपुर राजाओं के गुरु कहलाये।
(42) महादानी भगत हर्षराम - फड़गौचा गोत्री जाट जिन्होंने खाटू से 12 कोस दूर पर विस्मयकारी कुंआं बनवाया जो आज भी अजूबा कहलाता है।
(43) गोगामेड़ी वाले - चहल गोत्री जाट, राजस्थान के गजरेरा गांव के रहने वाले थे, जिनके नाम पर मेड़ीधाम विख्यात है। यहां सभी धर्मों के लोग इन्हें पूजने जाते हैं।
(44) दानवीर सेठ छाजूराम - लांबा गोत्री जाट, जिनकी दान आस्था व सामर्थ्य कभी बिड़ला सेठ से भी अधिक थी।
(45) संत गंगा दास - ये महान् कवि संत थे जिनकी रचना ‘गंगा सागर’ संत सूरदास की रचनाओं के समक्ष मानी जाती है। ये गाजियाबाद के पास रसलपुर-बहलोलपुर के मुंडेर गोत्री जाट थे।
(46) बाबा सावनसिंहं - ग्रेवाल गोत्री - राधा स्वामी ब्यास
(47) जगदेवसिंह सिंह सिद्धान्ती - अहलावत गोत्री, यह महान् आर्यसमाजी तथा सांसद भी रहे ।
(48) राधा स्वामी ताराचन्द - मल्हान गोत्री - राधा स्वामी दिनोद सत्संग के संस्थापक।
(49) भगवानदेव आचार्य उर्फ स्वामी ओमानन्द – खत्री गोत्री, यह महान् आर्यसमाजी जिन्होंने कन्या गुरुकुल नरेला तथा गुरुकुल झज्जर की स्थापना की।
(50) सन्त जरनैलसिंह भिण्डरवाला - बराड़ गोत्री जिन्होंने सन् 1984 में विद्रोह किया।
(51) संत कैप्टन लालचन्द - जिला चुरू के रहने वाले सहारण गोत्री जाट जिन्होंने एक नया अध्यात्मक विचार पैदा किया।
(52) त्यागी मनसाराम व बूज्जाभगत - श्योराण गोत्री, आदि-आदि।
कुछ अन्य वीर योद्धा व विख्यात जाट, जिन्हें इतिहास ने भुलाया
कह न सकेगा देव भी, जाट वंश की गौरव कहानी ।
प्रेम से जिसने मिटा दी, देश हित में अपनी निशानी ॥
यह प्रामाणित सत्य है कि जो व्यक्ति अपने पूर्वजों के साहसिक कार्य पर गर्व नहीं करेगा वह अपने जीवन में ऐसा कुछ नहीं कर पायेगा जिस पर उसके वंशज गर्व कर सकें।
(1) वीर जाट द्रह्म - ये चन्द्रवंशी जाट थे जिन्होंने 2207 ईसा पूर्व चीन के तातार प्रदेश में पहुंचकर राज की स्थापना की, जिसे बाद में यूती जाति के नाम से जाना गया। यही चीन के पहले राजा हुए हैं।
(2) जाट योद्धा स्कन्दनाभ - ये चन्द्रवंशी जाट थे जो सबसे पहले अपने दल के साथ 500 ईसा पूर्व एशिया माइनर से होते हुए यूरोप पहुंचे तथा इसी नाम पर स्कंदनाभ राज बनाया जो बाद में स्कैण्डीनेविया कहलाया तथा जटलैण्ड की स्थापना की जिसे आज भी जटलैण्ड ही कहा जाता है। इसके बाद बैंस, मोर, तुड् आदि अनेक गोत्रीय जाट गए जो पूरे यूरोप में फैले जिन्हें बाद में गाथ व जिट्स आदि नामों से जाना गया।
(3) राजा गज - इन्होंने सबसे पहले अफगानिस्तान में गजनी राज की स्थापना की तथा गजनी के पास बुद्ध का एक बड़ा विश्व प्रसिद्ध
ऐतिहासिक स्तूप बनवाया था जिसे सन् 2001 में सभी विरोधों के बावजूद तालिबानियों ने डायनामाइट से उड़वा दिया। राजा गज के वंशज राजा बालन्द ने इस्लाम धर्म अपनाया। इसके बाद वहां के सभी जाट मुस्लिम धर्मी हो गए और इन जाटों ने चंगताई नामक मुगलवंश की स्थापना की।
(4) राजा वीरभद्र - इन्हें जाटों का प्रथम राजा कहा जाता है, जिन्होंने हरद्वार पर राज किया। इनके नाम पर हरद्वार के पास रेलवे स्टेशन है। इनका वर्णन देव संहिता में है। नील गंगा को जाट खोद कर लाये थे जिसे आज भी जाट गंगा कहा जाता है।
(5) मता जाट राजा - ये शिवी गोत्री जाट थे, जिन्होंने शिवस्तान पर राज किया।
(6) राजा चित्रवर्मा - ये बलोचिस्तान के राजा थे, जिनकी राजधानी कुतुल थी।
(7) राजा चन्द्रराम - हाला गोत्री जाट, जिसने सूस्थान पर राज किया।
(8) नरेश मूसक सेन - मौर गोत्र के जाट राजा जिन्होंने सिन्ध पर राज किया। इन्होंने सिकन्दर को सिन्ध से ब्यास तक पहुंचने पर 19 महीने तक उलझाए रखा।
(9) राजा सिन्धुसेन - मौर गोत्री जाट, जो सिन्ध के प्रसिद्ध राजा हुए।
(10) महाराजा जगदेव पंवार - अमरकोट के प्रसिद्ध राजा हुए जो पंवार गोत्री थे। गुजरात के जाट राजा सिद्धराज सोलंकी ने अपनी सुन्दर कन्या वीरमती का इनसे विवाह किया था। लोहचब पंवार गोत्र भी इन्हीं के वंशज हैं।
(11) वहिपाल - कुलडि़या गोत्री जाट, जिसने मारवाड़ (राज.) पर राज किया।
(12) नरेश कंवरपाल - कंसवा गोत्री जाट, जिन्होंने जांगल प्रदेश (राज.) पर राज किया। इनका राज सातवीं सदी तक था। ये महान् प्रशासक थे।
13) नरेश कान्हा देव - ये पूनियां गोत्री जाट राजा थे। इनका पश्चिमी राजस्थान पर राज था। इन्हें कभी नहीं हारनेवाला राजा कहा गया है।
(14) राजा जयपाल - दसवीं सदी के महान् जाट राजा हुए, जिनका विशाल राज्य था। इन्हीं का पुत्र राजा आनन्दपाल तथा इनका पौत्र सुखपाल हुआ, जिसने मुस्लिम धर्म अपनाया और नवाबशाह कहलाये।
(15) सम्राट् कक्कुक - काक गोत्री जाट, जिसने जोधपुर क्षेत्र पर राज किया।
(16) नरेश सिद्धराज विष्णु - पल्लव गोत्री जाट, जिसने दक्षिणी भारत पर राज किया।
(17) नरेश नरसिंह वर्मन - नरेश सिद्धराव के पौत्र जिसने सन् 640 में श्रीलंका पर विजय पाई।
(18) राजा रिसालू - सातवीं सदी में स्यालकोट क्षेत्र पर राज किया।
(19) राजा भोज - पंवार गोत्री जाट, जिनका इतिहास आज भी गांव के लोगों की जनश्रुतियों में है।
(20) राजा मुंजदेव - पंवार गोत्री जाट, जिनका दसवीं सदी में मालवा (पंजाब) क्षेत्र पर राज था।
(21) राजा अजीत व राजा बछराज - मोहिल गोत्री जाट, जिनका राजपूतों से पहले जोधपुर पर राज था। याद रहे जोधपुर व जालौर के किले दहिया जाट राजाओं ने बनवाये थे।
(22) राजा शिशुपाल - चेदि गोत्री जाट, जिसने बुन्देलखण्ड पर राज किया।
(23) सम्राट् चकवाबैन - इनका पूरे पंजाब पर राज रहा, इन्हीं के पौत्र मघ ने स्वप्नसुन्दरी राजकुमारी निहालदे से विवाह किया। इसी चकवाबैन से जाटों के बैनीवाल गोत्र की उत्पत्ति हुई।
(24) राजा छत्रसाल - गोहद (मध्यप्रदेश) के राजा, जिन्होंने लड़ाई में मराठों को हराया।
(25) सरदार झूंझा - नेहरा गोत्री जाट योद्धा जिसके नाम पर झूंझनू (राजस्थान) शहर बसाया। नेहरा जाटों का राज राजस्थान में नरहड़ और नाहरपुर पर था। इसलिए इस क्षेत्र (राज.) को पहले नेहरावाटी कहते थे, जो बाद में शेखावाटी कहलाया।
(26) कंवरपाल जाट - कसवां गोत्री जाट, जिसने राजस्थान में राठौर राजपूतों से आखिर तक लोहा लिया।
(27) तोला सरदार - तोयल गोत्री योद्धा जाट जिसने नागौर (राज.) जिले के खारी क्षेत्र पर राज किया। यहां शिलालेख मिला है जिस पर लिखा है-
अकबर सूं तोला मिला करके बात करारी।
पट्टी रहू मैं नगौररी घर म्हारा खारी।।
(28) बीजल जाट - मान गोत्री जाट जिसने ढोसी (हरयाणा) पर राज किया।
(29) राजा विजयराव - भटिण्डा क्षेत्र के राजा राव गोत्री जाट जिसने एक बार गजनी को लूटकर नंगा कर दिया था। राव गोत्री जाटों के गांव उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ जिले में हैं। सांगवानों के गांव खेड़ी बत्तर में भी राव जाटों के कुछ घर हैं।
(31) विजयपाल जाट - इन्होंने आज के भरतपुर (राज.) के पास तवणगढ़ बसाया फिर डीग के पास सिनसिनी गांव बसाया और यही सिनसीनवार गोत्री जाट कहलाए, जिन्होंने सन् 1723 में भरतपुर राज्य की विधिवत् स्थापना की।
(32) चूड़ामन जाट - ये बहादुर चूड़ामन जाट सिनसीनवार जाट खाप के प्रधान थे जिन्होंने बहादुर जाटों की अपनी एक सेना बना ली थी जो मुगलों के दक्षिण से आने वाले खजानों को लूट लेती थी और अपने क्षेत्र से मुगलों को जमीन की कोई भी मालगुजारी नहीं देते थे। यही वीर चूड़ामन जाट वास्तव में भरतपुर रियासत के आधार रखने वाले थे, जिन्हें ‘बेताज बादशाह’ कहा जाता है। जाटों को लुटेरा कहे जाने का एक कारण चूड़ामन जाट है जिन्होंने केवल मुगलों को ही जी भर कर लूटा था।
(33) महाराजा बदनसिंह - जैसा कि ऊपर लिखा है कि भरतपुर रियासत का आधार चूड़ामन जाट ने रखा था, लेकिन इस रियासत के विधिवत् पहले राजा बदनसिंह थे, जिन्होंने इसको एक विशाल रियासत का पूर्ण रूप देकर अपनी सीमाओं का विस्तार किया।
(34) वीर चरहतसिंह जाट - पंजाब में अब्दाली को धावा बोलकर लूटा।
(35) योद्धा रोरियासिंह जाट - सिनसिनवार गोत्री जाट, जिसने अपने ब्रज क्षेत्र में जाट खापों को इकट्ठा करके सबसे पहले सन् 1635 में मुगल शासन का विरोध किया।
(36) नन्दराम जाट सरदार - ठेनुवा गोत्री जाट जिसने जमनापार मुगलों के विरुद्ध झण्डा बुलन्द किया।
(37) योद्धा मोहन मढान - मढान गोत्री जाट, जिसने सन् 1526 के आसपास किलायत (हरयाणा) रियासत की स्थापना की। बाद में इन्हीं के वंशजों से मुस्लिम धर्म अपनाया और चौधरी लियाकत अली खां पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमन्त्री इसी खानदान से थे।
(38) वीर योद्धा रामलाल खोखर - खोखर गोत्री जाट - जिसने 15 मार्च सन् 1206 को मोहम्मद गौरी उर्फ साहबुद्दीन गौरी को लाहौर के पास लड़ाई में मारा था।
(39) सेनापति कीर्तिमल - लड़ाई में राणा सांगा का मुख्य सेनापति, जो राणा सांगा को घायल अवस्था में युद्धभूमि से खींचकर बाहर लाये तथा उनका ताज पहनकर लड़ते हुए शहीद हुए। ये वीर योद्धा धौलपुर के भम्भरोलिया गोत्री जाट थे।
(40) सरदार श्यामसिंह - यह एंगलो सिक्ख लड़ाई में सेनापति थे जो बराड़ गोत्री जाट थे।
(41) रहमत खाँ भराइच - भराइच गोत्री जाट, जिसने गुजरात किले पर कब्जा किया।
(42) सरदार भीमसिंह - ढिल्लों गोत्री जाट, जिसने भंगी मिसल की स्थापना की।
(43) भीमसिंह राणा - जाटों की गोहद रियासत के राजा जिन्होंने ग्वालियर किले को फतेह किया- राणा इनकी उपाधि थी, गोत्र भम्भरोलिया था। इसी विजय को मध्यप्रदेश के जाट आज भी हर वर्ष राम नवमी के दिन एक विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। ग्वालियर के चारों ओर जाटों की अनेक गढि़या हैं।
(44) छत्तरसिंह राणा - ग्वालियर के आखरी जाट राजा, भम्भरोलिया गोत्र के जाट थे। जाटों ने गवालियर पर सन् 1755 से 1785 तक शासन किया।
(45) वीर सज्जनसिंह - बालियान गोत्री जाट थे जिन्होंने सतारा (महाराष्ट्र) रियासत की स्थापना की।
(46) वीर विक्रमशाह राणा वीरेन्द्रसिंह - नेपाल नरेश के पूर्वज गहलोत वंशी जाट थे।
(47) जयसिंह कान्हा - सिन्धु गोत्री, जिसने कान्हा मिसल की स्थापना की।
(48) सरदार हीरासिंह भंगी - ढिल्लों महान् योद्धा भीमसिंह का भतीजा।
(49) राजा जोधासिंह - बराड़ गोत्री जाट, जिसने कोटकपूरा (पंजाब) रियासत की स्थापना की।
(50) राजा जाटवान - मलिक गठवाला गोत्री जाट, जो दिपालपुर (हरयाणा) राज के राजा थे जिसने कतुबुद्दीन ऐबक को नाकों चने चबाये।
(51) राजा हस्ती - तक्षक (टोकस) गोत्री जाट जिसका सिंध पर राज था तथा राजा पोरस के रिश्तेदार थे जिन्होंने सिकन्दर से बहादुरी से लोहा लिया।
(52) शालेन्द्र जाट - महाराजा कनिष्क के रिश्तेदार तथा पंजाब के मालवा से कोटा तक राज किया, इन्हीं के वंशज शालीवाहन ने स्यालकोट बसाया।
(53) नवाब कपूरसिंह - विर्क गोत्री जाट, जिसने ‘दल खालसा’ तथा सिंघपुरिया मिसल की स्थापना की।
(54) खौसालसिंह - रामगढि़या मिसल की स्थापना की।
(55) राव दुलसिंह - बराड़ गोत्री जाट, जिसने फरीदकोट (पंजाब) रियासत की स्थापना की।
(56) सरदार बघेलसिंह ढिल्लो के पुत्रों ने कसलिया और फतेहगढ़ (पंजाब) रियासत की स्थापना की।
(57) कलियाणा जाट सरदार उज्जैन (मध्यप्रदेश) के शासक रहे जिससे जाटों का कल्याण गोत्र प्रचलित हुआ।
(58) वीर दरगा - सिन्धु गोत्री जाट जिसने सिराववाली (पंजाब) राज की स्थापना की।
(59) वीर गुरदतमल - सिन्धु गोत्री जिसने बडाला (पंजाब) रियासत की स्थापना की।
(60) दयानल - रणधावा गोत्री जाट जिसने ‘खंदा’ (पंजाब) रियासत की स्थापना की।
(61) भगत जाट औम - सिन्धु गोत्री जाट जिसके वंशजों ने भटिण्डा, कैथल व दूनोली (पंजाब) पर राज किया।
(62) वीरराज रामधन - दलाल गोत्री जाट जिसने कुचेसर (उत्तरप्रदेश) रियासत की स्थापना की।
(63) वीर योद्धा सुन्दरसिंह - जिसने जारखी (उत्तरप्रदेश) रियासत की स्थापना की।
(64) वीर नन्दरामसिंह - जिसने हाथरस (उत्तरप्रदेश) रियासत की स्थापना की।
(65) वीरराज जयदेव - भम्भरोलिया गोत्री जाट जिसने धौलपुर (राजस्थान) और गोहद (मध्यप्रदेश) रियासतों की स्थापना की।
(66) वीरशिरोमणि भज्जासिंह - सिनसिनवार गोत्री जाट, जिसने शहजादा बेदाबख्त तथा बिशनसिंह राजपूत की सेनाओं को सिनसिनी युद्ध में नाकों चने चबाये।
(67) वीर कैलाश - बाजवा गोत्री जाट जिसने कैलाश बाजवा (पंजाब) रियासत की स्थापना की।
(68) वीर सूरजप्रकाश जाट - दहिया गोत्री जाट, सर्व खाप हरयाणा का वीर एक सेनापति जिसने तुर्कों को करनाल के मैदान में हराया।
(69) दसोदासिंह - गिल गोत्री जाट जिसने निशानवाला मिसल की स्थापना की।
(70) चतरसिंह - शिवी गोत्री जाट जो महाराजा रणजीतसिंह के दादा थे जिन्होंने सुकरचकिया मिसल की स्थापना की।
(71) करोड़ासिंह - विर्क गोत्री जाट जिन्होंने ‘करोड़ा सिंघया’ मिस़ल की स्थापना की।(72) तीलोका - सिन्धु गोत्री जाट फूलसिंह का लड़का जिसके दो पुत्रों ने नाभा (पंजाब) व जीन्द (हरयाणा) रियासतों की स्थापना की। फूलसिंह के वंशजों ने ही नाभा, जीन्द और पटियाला रियासतों की स्थापना की, इसलिए ये फूलकिया रियासत कहलाई।
(73) ठाकुरसिंह सन्धानवाला - सिन्धु गोत्री जाट जिसने ‘सिंघसभा’ की स्थापना की।
(74) हीरासिंह - नकई गोत्री जाट जिन्होंने ‘नकई’ मिसल की स्थापना की।
(75) बाबा आलासिंह - सिन्धु बराड़ गोत्री जाट जिसने ‘पटियाला’ रियासत की स्थापना की। नोटः- बराड़ गोत्र का निकास संधु, सिन्धु, सिधु व सिन्धड़ गोत्र से है। सिंधु गोत्र के 36 गांव हैं । रामपुरा फूल जिला भटिण्डा (पंजाब) में है।
(76) स्वामी केशवानन्द - ये राजस्थान के रहने वाले ढाका गोत्री जाट थे जो अत्यन्त गरीबी में पैदा हुए जिनके पास बचपन में पहनने के लिए जूते भी नहीं होते थे। इन्होंने अपने महान् तप और तपस्या से राजस्थान के संघरिया शिक्षण संस्थानों की नींव डाली। सन् 1927 में गुरु ग्रंथसाहिब का हिन्दी में अनुवाद करवाया तथा 1945 में सिक्ख इतिहास का हिन्दी में अनुवाद किया। राजस्थान में जाटों की शिक्षा की उन्नति में स्वामी जी का बड़ा हाथ है जिससे राजस्थान के जाट इनके बहुत ही ऋणी अनुभव करते हैं। जाट जाति को इन पर गर्व है।
(77) भरतपुर नरेश कृष्ण सिंह - ये अंग्रेजों के समय 26 अगस्त 1900 को भरतपुर रियासत के राज्याधिकारी बने जिन्होंने अपनी प्रजा के लिए अनेक सार्वजनिक कार्य किए। इन्हें हमारी जाट कौम से विशेष स्नेह था। भारत के इतिहास} में सबसे पहले इन्होंने ही नगर पालिका की स्थापना करी थी जो आज भारत सरकार के लिए आदर्श है ।
(78) जननायक राजा मानसिंह - राज मानसिंह एक जननायक कर्मठ और शेर-ए-दिल इंसान थे जिनकी निर्मम हत्या दिनांक 21 फरवरी 1985 को डींग की अनाज मण्डी में राजस्थान के मुख्यमन्त्री शिव चरण माथुर के हेलीकाप्टर को अपनी जीप से टक्कर मारकर तोड़ डालने के कारण की गई, जिसका कारण था चुनाव में इनके पोस्टर और बैनर फाड़ दिए गए थे।
(79) आला-उद्दल-मलखान - वत्स गोत्री जाट जिनके साथ युद्ध में पृथ्वीराज चौहान का पुत्र पारस मारा गया था।
(80) जाटनी सदाकौर - कन्हैया मिसल की सरदार (मुखिया) महाराजा रणजीतसिंह की सास।
(81) अकाली फूलासिंह - सहारण गोत्री जाट महाराजा रणजीतसिहं के सेनापति तथा अकाल तख्त के जत्थेदार।
(82) वीर कान्हा रावत - मेवात के रहने वाले रावत गोत्री जाट जो औरंगजेब के विरुद्ध लड़कर शहीद हुए। इस वीर जाट को औरंगजेब ने जिंदा जमीन में गड़वा दिया था जिनका इतिहास बहुत लम्बा है।
(83) क्रांतिकारी राजा महेन्द्रप्रताप - ठेनुवा गोत्री मुरसान (उ०प्र०) के जाट राजा जिसने देश की आजादी के लिए अपनी रियासत की बलि चढ़ा दी और 32 साल विदेशों में रहकर ‘आजाद हिन्द सरकार’ की स्थापना करके आजादी का बिगुल बजाते रहे। आई.एन.ए. के वास्तविक संस्थापक वही थे, नेता जी इसके सेनापति थे तो राजा जी इसके राष्ट्रपति थे। लेकिन अफसोस है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र को छोड़कर जाट भी उनके बारे में नहीं जानते।
(84) जनरल मोहनसिंह - नेता जी सुभाष की आई.एन.ए. में एक प्रमुख सेनापति थे।
(85) वीर योद्धा पदमसिंह जाट - आई.एन.ए. में वीरता की सबसे बड़ी उपाधि ‘वीर-ए-हिन्द’ थी, जिसमें एकमात्र हिन्दू को यह उपाधि मिली बाकी दो मुसलमानधर्मी जाट थे। नेता जी को इन पर बड़ा गर्व था।
(86) वीर अजीतसिंह संधू शहीद भगतसिंह के चाचा जी तथा महान् क्रांतिकारी जिन्होंने नारा दिया 'पगड़ी सम्भाल ओ जट्टा पगड़ी सम्भाल’।
(87) शहीद वीर बन्तासिंह - दायमा गोत्र के जाट, शहीद भगतसिंह के साथी तथा महान निडर क्रान्तिकारी।
(88) शेरे दिल अवतारसिंह शराबा - ग्रेवाल गोत्री शहीद भगत सिंह के आदर्श, जिनको फांसी की सजा सुनाने के 4 महीने बाद जब फांसी हुई तो 8 किलो वजन बढ़ा हुआ मिला।
(89) वीर बाबा बेशाखासिंह - महान् क्रांतिकारी और अंग्रेजी सरकार का बड़ा सिरदर्द।
(90) शेरे दिल शहीद हरिकिशन - महान् क्रांतिकारी जिसको फांसी सुनाने पर उन्होंने जज से कहा - very good.
(91) ताना जाट - मलसूरा गोत्री जाट जिसने शिवाजी व उसके पुत्र सम्भाजी को औंरगजेब की जेल से मिठाई के टोकरों में बाहर निकाला।
(92) मेजर जयपालसिंह मलिक - महान् क्रांतिकारी जो अंग्रेजी सेना के सीने में कील थे।
(93) शहीद रंगासिंह व शहीद वीरसिंह - आजादी के दीवाने।
(94) वीर योद्धा सज्जनसिंह जाट - सतारा रियासत के संस्थापक (महाराष्ट्र)।
(95) हरफूल जाट जुलानीवाला - श्योराण गोत्री जाट, इनकी बहादुरी मंगल पाण्डे से कई गुणा अधिक थी। ये जींद जिला हरयाणा के जुलानी गांव के रहने वाले थे।
(96) हीर-रांझा - दक्षिण एशिया के महान् जाटयुगल प्रेमी हुए जिसमें लड़की का नाम हीर तथा गोत्र ‘स्याल’ था, लड़के ढिल्लो गोत्र रांझा था।
(97) मिर्जा और साईबा - महान् प्रेमीयुगल हुए, जिसमें मिर्जा खरल गोत्री जाट तथा साईबा भराईच गोत्री जट्ट पुत्री थी।
(98) पील्लू जट्ट - मिर्जा साहिबा पर लोकगीत लिखकर एक विशाल साहित्य की रचना की।
(99) कादर यार - सन्धु गोत्री जाट जिसने पूरण भक्त पर लोकगीत तथा साहित्य की रचना की।
(100) भाई मनीसिंह - ‘दौलत’ गोत्री योद्धा। एक लेखक और शहीद जिन्होंने मौलिक ‘गुरुग्रंथ’ को लिपिबद्ध किया।
(101) भाई महताबसिंह - भंगू गोत्री वीर योद्धा जाट – जिसने स्वर्ण मन्दिर को अपवित्र करने वाले रांघड़ों (मुस्लिम राजपूतों) से बदला लिया।
(102) राजा राव नैनसिंह - ये कश्यप गोत्री जाट थे, राव इनकी उपाधि थी। इनका छोटा सा व आखिरी राज 12वीं सदी में ब्यावर (राज.) के लहरीग्राम में था। जो आज रैबारी जाति का ग्राम है। ये चौ. संग्रामसिंह जिनके नाम पर सांगवान गोत्र का प्रचलन हुआ, के पिता थे। पहले इन कश्यप गोत्री जाटों का बड़ा पंचायती राज सारसू जांगल (राज.) पर था। राव व सांघा इन जाटों की उपाधि रही हैं। 14वीं सदी में चरखी दादरी (हरयाणा) क्षेत्र में आए।
(103) धौलपुर नरेश उदयभानुसिंह - इन्होंने दिल्ली के बिरला मन्दिर की नींव अपने करकमलों से सन् 1932 में रखी थी। इसका पत्थर मन्दिर के बायीं तरफ पार्क में लगा हुआ है।
(104) वीर योद्धा रामसिंह - ये खोजा गोत्री जाट थे, जिन्होंने राजस्थान में 11वीं सदी में टोंकरा शहर बंसाया जो आज टोंक कहलाता है।
(105) वीर नल्ह विजयराणिया - इतिहासकार लिखते हैं कि इनके पूर्वज सिकन्दर की सेना में भारत आये थे। ये स्वयं भी सिकन्दर के एक सेनापति थे। ये विजयराणा इनकी पदवी थी, इन्हीं के वंशज योद्धा जगतसिंह, वीरसिंह व देवराज आदि हुए। यह पदवी इनके गोत्र में बदल गई और आज गलत उच्चारण करके इन्हें लोग बिजाणियां बोलते हैं।
याद रहे सिकन्दर की सेना में काफी जाट थे। इस प्रकार हम देखते हैं कि हमेशा जाट ही जाट से लड़ते रहे। जब सिकन्दर की यूनानी सेना ने ब्यास से आगे बढ़ने से मना कर दिया तो सिकन्दर ने कहा था “मैं जाटों के साथ आगे बढ़ जाऊंगा”।
(106) वीर खेमसिंह - भूखर गोत्री जाट, जिसका सांभर प्रदेश (राज.) पर राज था। इन्हीं के वंशज योद्धा उदयसिंह हुए।
(107) जाटनरेश सम्मतराज - ये भादु गोत्री महान् योद्धा जाट राजा हुए, जिन्होंने राजस्थान में भादरा बसाया और राज किया।
(108) शेर जाट रणमल - इस योद्धा जाट ने जहां रणखंभ गाड़ा था वही बाद में राजस्थान में रणथम्भौर कहलाया। बाद में यह राज चौहान राजपूतों के हाथ चला गया।
(109) नरेश नागावलोक - यह नागिल गोत्री जाट थे जिनका मेदपाट (राज.) पर राज था। बाद में इन जाटों ने नागौर व नोहर पर भी राज किया।
(110) सरदार लाडसिंह - यह जाखड़ गोत्री जाट थे, जिन्होंने हरयाणा में लाडान गांव बसाया। ये योद्धा जाखड़ गोत्र के कुछ जाटों को राजस्थान से हरयाणा क्षेत्र में लाये।
(111) वीर बादल और गौरा - राणा रायमल के दो जाट सेनापति थे जिनके नाम पर चितौड़ में दो गुम्बजदार मकान हैं। ये चाचा भतीजे थे।
(112) वीर शहीद माड़ू उर्फ उदयसिंह - ये वीर योद्धा शूरवीर गोकुला जाट के साथ शहीद हुए।
(113) नेता श्रीपत माखन - ठेनुवा गोत्री जाट, जो जाटों को ब्रज क्षेत्र में लाये और टप्पा रावरा (उ.प्र.) रियासत की स्थापना की।
(114) जाट योद्धा भागमल - मीठा गोत्री जाट, जिसने इटावा (उ.प्र.) के पास फफूद राज्य की स्थापना की।
(115) वीर योद्धा पाखरिया - महाराजा जवाहरसिंह भरतपुर नरेश के सेनापति। खुटेल गोत्री जाट जिसने लाल किले के किवाड़ उतारकर भरतपुर पहुंचाये।
(116) सेनापति पूर्ण जाट - गढवाल गोत्री जाट, जो मलखान के
सेनापति थे। इन्हीं के पूर्वजों ने उत्तर प्रदेश के गढ़मुक्तेश्वर का निर्माण करवाया (117) प्रचण्ड वीर खेमकरण - शूर गोत्री जाट, जिनके कारण शौरसेन क्षेत्र कहलाया।
(118) योद्धा रामकी चाहर - चाहर गोत्री जाट, जिसने ब्रज क्षेत्र में मुगलों का छाया की तरह पीछा किया। मुगल औरतें अपने बच्चों को इनका नाम लेकर डराया करती थीं।
(119) वीर योद्धा हाथीसिंह - खुटले गोत्री जाट, जिसने सोख (उ.प्र.) किले का निर्माण करवाया।
(120) राजा सरकटसिंह - शेखपुरा (पंजाब) के जाट राजा जो लड़ाई में दुश्मन का सिर काटने में माहिर थे, जिस कारण इनका नाम सरकटसिंह पड़ा।
(121) जाट नरेश शेरसिंह - अफगानिस्तान के हजारा राज के प्रसिद्ध राजा हुए।
(122) योद्धा पदार्थसिंह - इन्होंने सहारनपुर (उ.प्र.) रियासत की स्थापना की।
(123) योद्धा फोदासिंह - कुन्तल गोत्री जाट, जो महाराजा सूरजमल के एक सेनापति थे।
(124) वीर शहीद हरबीर गुलिया - बादली (हरयाणा) के गुलिया गोत्री जाट योद्धा जिसने तैमूरलंग की छाती में भाला मारकर सख्त घायल किया। लेकिन स्वयं 52 घाव होने पर लड़ते हुए शहीद हुए।
(125) हरावल जाट - महाराजा सूरजमल के एक अन्य वीर सेनापति।
(126) शंकर जाट - भरतपुर नरेश नवलसिंह के महान् योद्धा सेनापति।
(127) राजा भूपसिंह - मुरसान तथा हाथरस (उ.प्र.) के जाट राजा जिसने कभी जाटों को भूमिकर नहीं देने दिया।
(128) महारानी जिन्दा - महाराजा रणजीतसिंह की महारानी जिन्होंने कुछ समय के लिए महाराजा रणजीतसिंह के राज पर राज किया।
(129) योद्धा वीरदत्ता - बराड़ गोत्री जाट, जिसने नाभा (पंजाब) रियासत की स्थापना की।
(130) रावसिध - बराड़ गोत्री योद्धा, जिसने फरीदकोट (पंजाब) रियासत की स्थापना की।
(131) सुखचैन - बराड़ गोत्री जाट, जीन्द (हरयाणा) रियासत के संस्थापक।
(132) महारानी किशोरी देवी - महाराजा सूरजमल की बहादुर रानी जिसने लाल किले की चढ़ाई में भाग लिया तथा पुष्कर में पर भी की लूट का कारण बनी तथा वहां जाट घाट बनवाया।
(133) बलराम जाट - रानी किशोरी का भाई, जो लाल किले की लड़ाई में किले के दरवाजों पर पीठ लगाकर हाथी से टक्कर मरवाकर शहीद हुए।
(134) वीरांगना समाकौर - मलिक जाटों की बेटी तथा अहलावत जाटों की बहू, जिसने कलानौर नवाब की गलत प्रथाओं को मानने से इनकार किया तथा नवाब और उसके परिवार के अन्त का कारण बनी।
नोट - इस कुप्रथा के बारे में लोगों ने बहुत अनाप-शनाप लिखा ह। इसे ‘कलानौर का कोला पूजा प्रथा’ कहा जाता था। कोला का अर्थ है मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ के हिस्से, जिसको वहां से गुजरनेवाली नई नवेली दुल्हन को नवाब की कोठी (गढ़ी) के दरवाजे के साथ दीपक जलाकर साथ पतासे रखकर दोनों तरफ कोलों पर पानी के छीटें मारकर पूजा करनी पड़ती थी। इसके अलावा जो बतलाते हैं कोरी बकवास है जिसके प्रमाण हैं। चौधरी सूरजमल सांगवान ने भी इसका पूरा सच्चा वर्णन अपनी पुस्तक ‘किसान संघर्ष और विद्रोह’ में किया है।
(135) योद्धा ढलैत - सांगवान गोत्री जाट, जो सर्वखाप सेना के सेनापति थे, जिसने कलानौर नवाबी का नाश किया। इनकी यादगार गांव गढ़टेकना (रोहतक) में बनी है।
(136) बीबी साहिबकौर - सरदार जाट गुलाबसिंह की पुत्री, जिसने सन् 1787 में राजगढ़ के मैदान में मराठों को लड़ाई में धूल चटाई।
(137) वीरांगना सोमा देवी - चाहर गोत्र की जाटपुत्री, जिसने बीकानेर में सिधमुख स्थान पर लड़ाई में मुगलसेना टुकड़ी को धूल चटाई।
(138) वीरांगना हरशरणकौर - मान गोत्र की जटपुत्री, जिसने 1837 में जमरोद (पाकिस्तान) के किले की अपनी बहादुरी से रक्षा की।
(139) सम्राट् अवन्ती वर्मन - उत्पल गोत्री महान् सम्राट्, जिसने नौवीं सदी में सम्पूर्ण काश्मीर पर दृढ़ता से शासन किया तथा अवन्तीपुर शहर बसाया, जहां उसके बौद्ध मन्दिरों के खण्डरात आज भी मौजूद हैं।
(140) हरिसिंह नलवा - खत्री गोत्री जाट, जो महाराजा रणजीत सिंह के एक मुख्य सेनापति थे।
(141) करणीराम जाट - झूंझनूं (राजस्थान) में अपनी जाति के लिए शहीद होने वाले पहले वकील।
(142) भूरा तथा निघाइया नम्बरदार - लजवाना (हरयाणा) गांव के दलाल गोत्री जाट, जिन्होंने राजा जीन्द से 6 महीने तक छापामार युद्ध किया।
(143) कर्नल दिलसुख - मान गोत्री जाट, जो आई.एन.ए. में नेता जी के साथ रहे, वरना ये इतने सीनियर थे कि ये भारतीय थल सेना के अध्यक्ष बन सकते थे।
(144) कप्तान कंवल सिंह दलाल - नेताजी सुभाष के साथ बर्लिन से टोकियो तक पनडुब्बी में साथ रहे।
(145) जमादार हरद्वारी लाल - जिन्होंने संसार में सबसे पहले 10 हजार फुट की ऊंचाई पर अपना टैंक चढ़ाया।
(146) सूबेदार बस्ती राम - पहले भारतीय जिनको सन् 1839 में इण्डियन आर्डर आफ मैरिट (आई.ओ.एम.) बहादुरी का पदक मिला।
(147) सिपाही भवानी सिंह - गिलजाई की लड़ाई में पहला आई.ओ.एम. बहादुरी का पदक मिला। याद रहे 1856 के बाद विक्टोरिया क्रास (वी.सी.) मिलना प्रारम्भ हुआ।
(148) कैप्टन भोला सिंह - हिन्दू डोगरा जाट, जो भारतीय सेना के प्रथम योद्धा जिन्हें ओ.बी.आई. (आर्डर आफ ब्रिटिश इण्डिया) का वीरता का पदक मिला जिनकी मूर्ति देवलाली आर्मी सैन्टर में लगी है। इन्हें जम्मू क्षेत्र के जाटों को जम्मू काश्मीर लाईट इन्फैन्टरी में स्थान दिलाने का श्रेय है।
(149) मेजर होशियारसिंह (बाद में ले. कर्नल) दहिया गोत्री जाट जिसे भारतीय सेना में जीवित अवस्था में प्रथम ‘परमवीर चक्र’ मिला। अन्य जाट थे -
(150-151) ला. ना. कर्मसिंह तथा स्का. लि. निर्मलजीत सिंह शेखों (दोनों सिख जाट)।
सन् 1856 से लेकर सन् 1947 तक कुल 1346 सैनिकों को ‘विक्टोरिया क्रास’ मिला, इनमें 40 भारतीय थे और इनमें से 10 ‘विक्टोरिया क्रास’ जाटों के नाम हैं। नाम इस प्रकार हैं -
1-रिसलदार बदलूसिंह धनखड़ (पहले भारतीय जिनको यह पदक मिला),
2-सिपाही ईश्वर सिंह,
3-सूबेदेदार रिछपाल राम लाम्बा,
4-हवलदार प्रकाश सिंह,
5-हवलदार छैल्लूराम कोठारी,
6-नायक नन्दसिंह,
7-सिपाही कमलराम,
8-जमादार ज्ञानसिंह (इन्हें 1948 की लड़ाई में महावीर चक्र भी मिला था।)
9-कैप्टन परमजीत,
10-जमादार अब्दुल हमीज (यह प्रथम जाट बटालियन के थे. वैसे जाति से रांघड़ थे)।
(150) शहीद पायलट शैफाली चौधरी - लोदाना गांव (उ.प्र.) - भारतीय वायुसेना में ‘शौर्य चक्र’ प्राप्त करने वाली प्रथम महिला।
(151) डा. रामधनसिंह - जिसने सबसे पहले गेहूं की नई नस्ल का आविष्कार किया, लेकिन नोबल पुरस्कार डा. बोरलंग ले उड़े।
(152) डॉ. पी.एस. गिल - पहले भारतीय जिन्होंने दूसरे विश्वयुद्ध के समय अमेरिका की ‘एटम बम्ब मैनहैटन योजना’ में कार्य किया।
(153) कैप्टन भगवान सिंह - हिन्दू जाटों के पहले आई. सी. एस. अधिकारी थे। ये राजदूत भी रहे तथा कई वर्षों तक अखिल भारतीय जाट महासभा के अध्यक्ष भी थे।
(154) मेजर जनरल सूभेगसिंह - भंगू गोत्री जाट, भाई महताबसिंह के वंशज- जिन्होंने सन् 1984 के विद्रोह में सन्त जनरेलसिंह भिन्डरवाला का साथ दिया।
(155) ए.एस.चीमा - प्रथम भारतीय जो ‘माउंट एवेरेस्ट’ पर चढ़े।
(156) कै० सुमन सांगवान - प्रथम वर्दीधारी उच्च-अधिकारी महिला जो ‘माउंट ऐवरस्ट’ पर चढ़ी ।
(157) शेरसिंह ढिल्लों - ढिल्लों गोत्री जाट, जिन्होंने हिन्द महासागर को पैडल बोट से पार करने में विश्व रिकार्ड कायम किया।
(158) कृष्ण कुमार चहल - चहल गोत्री जाट, जिसने मैमोरी (यादगार) में सन् 2006 में विश्व रिकार्ड बनाया।
(159) नवीन गुलिया - गुलिया गोत्री जाट, जिसने शतप्रतिशत विकलांग होते हुए कार चलाने में विश्व रिकार्ड बनाया।
(160) बिजेन्द्र सिंह बैनीवाल - पहले भारतीय जो विश्व बाक्सिंग रैंकिंग में प्रथम स्थान पर आये और खेल रत्न से नवाजे गए।
(161) साइना नेहवाल - नेहवाल गोत्री जट पुत्री, जो बैडमिंटन में विश्व में अब दूसरे स्थान पर है इन्हें भी ‘खेल रत्न’ से नवाजा गया है।