Thursday 24 September 2015

पंचायती राज चुनावों में शैक्षणिक योग्यता बारे यूरोपीय देशों की तरह जनता की राय लेवे हरयाणा सरकार!

पंचायती राज चुनावों में राज्य सरकार बनाम जनता एवं सुप्रीम कोर्ट के फंसे पेंच का लोकतान्त्रिक हल सुझाते हुए सर्वजातीय सर्वखाप की महिला अध्यक्षा डॉक्टर संतोष दहिया ने सरकार को इस मामले में जनता की राय ले कर चलने की सलाह दी| उन्होंने कहा कि जो मुद्दे जनता के मौलिक अधिकारों को सीधे तौर पर प्रभावित करते हों, उन पर सरकार को यूरोपीय देशों की भांति आमजन की वोटिंग के जरिये ही फैसला लेना चाहिए|

ऐसे मामलों में यूरोपीय देशों के राजनीतिज्ञ जो प्रक्रिया अपनाते हैं उस पर प्रकाश डालते हुए डॉक्टर दहिया कहती हैं कि जैसे अभी पिछले दिनों ग्रीक में आर्थिक संकट पर यूरोपियन यूनियन के सहयोग की शर्तों को मानने बारे ग्रीक के प्रधानमंत्री ने सीधी जनता से वोटिंग करके राय ली और जनता के निर्णय को मानते हुए अपना फैसला "नहीं" में दिया| उससे पहले इसी साल के शुरुवात में स्कॉट्लैंड, इंग्लैंड का हिस्सा "हो या नहीं" इसपे आमजन की वोटिंग के जरिये फैसला लिया गया और स्कॉट्लैंड इंग्लैंड में ही बना रहा|

ऐसे ही पंचायती राज चुनावों में शैक्षणिक योग्यता का मुद्दा एक ऐसा मुद्दा है जो आमजनता की वोटिंग के जरिये राय लेकर ही निर्धारित किया जाना चाहिए| इसमें हर वोटर की राय पूछी जाए और तब ही कोई निर्णय लिया जाए| इससे ना सिर्फ सरकार का जनता में विश्वास कायम रहेगा, अपितु भारतीय सविंधान की लोकतान्त्रिक परिभाषा को और सार्थकता व् सुदृढ़ता मिलेगी| और सरकार के इस कदम की ना सिर्फ राष्ट्रीय अपितु अंतराष्ट्रीय स्तर पर सरहाना भी होगी और सरकार का "सबका साथ, सबका विकास" नारा "सबका विचार, सबकी सहभागिता" को भी क्रियान्वित करेगा|

अत: इस तरह जनता और सुप्रीम कोर्ट भी सरकार के फैसले से ना सिर्फ सहमत करेंगे, वरन सरकार की भूरी-भूरी प्रशंसा भी होगी|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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