Thursday 1 October 2015

गाय को लेकर अभी हमारे देश को दो कानूनों की सख्त जरूरत है!

1) सरकार गाय पे लेक्चर देने वालों के जूतों-कपड़ों में लैदर जांचने हेतु जिलास्तर पर ऑफिस खोले: सर्दियां आ रही हैं तो सबकी लैदर जैकेट, स्कार्फ़, टोपी, जूते (हालाँकि जूते तो गर्मियों में भी चलते हैं) संदूकों, अलमारियों से बाहर निकलेंगे और गाय पे लेक्चर देने वाले उर्फ़ भक्त भी निकालेंगे। तो क्या है कि हर भक्त के ऊपर बताये हर कपड़े की जाँच शुरू करवाई जाए कि कहीं उसके जैकेट-जूते वैगेरह में गाय का चमड़ा तो प्रयोग नहीं हो रखा? और जिसके में हो रखा हो उसको सबसे पहले और नैतिक जिम्मेदारी के तहत नैतिकता के आधार पर खुद आरएसएस (और इस तरह के तमाम संगठन) उस बन्दे या बंदी को बीच-बाजार चौराहें पे फाँसी तोड़े। 

2) देश में कानून बने कि अगर आपके खुद के घर में गाय नहीं बंधी है तो आप दूसरों को गाय पे किसी भी प्रकार के लेक्चर नहीं झाड़ोगे: और इस कानून के तहत ना सिर्फ व्यक्तिगत अपितु आरएसएस जैसे संगठन भी खुद को शामिल करवावें और वक्तव्य जारी करें कि जब तक आरएसएस के एक भी कार्यकर्त्ता के घर गाय नहीं बंधी है तब तक आरएसएस ना ही तो अपने मंचों से और ना ही अपने कार्यकर्ताओं से गाय संबंधित लेक्चर या प्रचार करवाएगी। पहले खुद बांधों और फिर भारतीय कानून के तहत किसी की निजता और आस्था को प्रभावित किये बिना जो प्रचार करना चाहो, करो।

और मुझे सिर्फ उम्मीद ही नहीं अपितु पूरी आशा है कि आरएसएस जैसे संगठन मेरी इस बात का सहर्ष समर्थन करेंगे।

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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