Monday, 14 July 2025

वो तीन केस जिन्होंने चौधरी छोटूराम की जिंदगी बदल दी!

पहला: राजपूत विधवा का

दूसरा: ब्राहम्ण किसान का

तीसरा: गोहाना की बूढी औरत का


चौ० साहब रोहतक में वकालत करते थे। उस समय अदालतें कर्जों की वसूली के दावों से भरी पड़ी थीं। आये दिन सामान की कुर्की, जमीनों की मुसताजरी और जायदादों की निलामी होती थी। कलानौर के एक साहूकार महाजन ने एक राजपूत विधवा के खिलाफ कर्जे की डिगरी हासिल कर ली। उसका मकान कुर्क हो गया, जज ने कुर्की का हुकम मन्सूख करने से इन्कार कर दिया क्योंकि "कानून ऐसा था।"


दूसरा दावा में एक ब्राह्मण किसान की जमीन कुर्क हुई, निलाम हो गई। चौधरी साहब ब्राह्मण के वकील थे। वह उसकी जमीन नहीं बचा सके क्योंकि "कानून ऐसा था।"


एक तीसरा दावा ग्राम गांवड़ी तहसील गोहाना की एक बुढ़िया के खिलाफ था। साहूकार ने तीन हजार रुपये की डिगरी कराली। इजरा दायर कर दी। बुढ़िया का सामान कुर्क कर लिया गया। यहां तक कि उसकी हाथ से पीसने वाली चक्की में पड़ा हुआ आटा भी नहीं छोड़ा। चौ. साहब ने कुर्की तुड़वाने के लिए डिस्ट्रिक्ट जज की अदालत में अपील की।


स्वर्गीय बाबू नानकचन्द जैन, प्रसिद्ध दीवानी के वकील, ने मुझे यह घटना बताई थी। कानून उस समय बड़ा स्पष्ट था, जो ऋणी के विरुद्ध और ऋणदाता के हक में था। अतः ऋण अदा न करने की हालत में ऋणी की अवस्था और वेसरोसमानी को कोई वजन नहीं मिलता था। अदालतों में जज अधिकतर शहरी बिरादरियों के ही होते थे। उनका झुकाव स्वाभाविक तौर पर ऋणदाताओं के हक में होता था। अतः वे नैतिकता और न्याय के नाम पर अपनी स्वेच्छा (discretion) का प्रयोग ऋणी के हक में नहीं करते थे।


बहस सुनकर जज साहब ने कहा—

"चौ० साहब! कानून आपकी मदद नहीं करता, मैं क्या करूं।"


चौ० साहब ने सामाजिक न्याय और आचार-व्यवहार पर भी अपील की, परन्तु जवाब वही था—

"चौ० साहब! मैं कानून से बंधा हुआ हूं, मजबूर हूं।"


इस पर चौधरी छोटूराम के दिल पर गहरी ठेस लगी। उन्होंने दावे का लिफाफा जज साहब की मेज पर रख दिया और यह कहकर बाहर निकल गए—

"बहुत अच्छा जज साहब! आपके हाथ जिस कानून से बंधे हुए हैं, मैं आज से उस कानून के विरुद्ध विद्रोह करूंगा। अब इस कानून को ही बदलना है।"


चौ० साहब ने वकालत छोड़ दी और कानून को बदलने की धुन में जुट गए। हालांकि इसका खामियाजा से ये हुआ कि उनको हिंदू विरोधी कहकर बदनाम किया जाने लगा और कुछ तो उनको छोटूखान ही बताने लगे। 


सूरजमल सांगवान, किसान संघर्ष व विद्रोह


#ChaudharyChhotuRam


 


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