Sunday, 27 July 2025

ज्यादा भावुक मत होवो, एक लाइन का निचोड़ है उपराष्ट्रपति के इस्तीफे का!

आरएसएस जो मोदी को 75 साल का होते ही रिटायर होने बारे डरा-धमका रहा था, उनको सेट-बैक देने के लिए धनखड़ का इस्तीफा करवाया गया है| व् संदेश दिया है कि टिक के बैठो, मैं यहाँ जब तक चाहूंगा तब तक हूँ| बस धनखड़ साहब सस्ता बलि का बकरा इसलिए बने क्योंकि उनका "चमचागिरी" का रिकॉर्ड सबसे ऊपर था| बाकी जो बातें, बताई जा रही हैं वह सब लीपापोती है, उनमें एक भी बात इतनी गंभीर नहीं कि यूँ अकस्मात इस्तीफा हो जाए| 


यह जो तथाकथित जाति से जोड़ के इन चीजों को देख के यह कह रहे हैं कि धनखड़ की जाति वाले वफादार नहीं होते, और कहते हैं कि यह नहीं समझते कि मोदी उनको आगे लाना चाहता है; एक तो वह यह सनद रखें कि चमचागिरी से किसी का बनना या अपना बनाना, एक अस्थाई करार होता है लाइफलॉन्ग गारंटी वाला नहीं; यह ऐसे लोग होते हैं जिन्होनें कभी अपनी कल्चर-किनशिप को समझ के चलने की बजाए, उसको अपनी बपौती बना के चला होता है| और दूसरा, जहाँ-जहाँ भी धनखड़ की जाति वालों ने इनको वफादारी दिखाई है, वहां-वहां मिला क्या है? उदाहरण समेत बताऊँ:

1 - अभी दिल्ली में धनखड़ की जाति वालों ने किस बात पे सत्ता दी थी इनको? - प्रवेश वर्मा को सीएम बनाने के लिए; बनाया क्या? 

2 - मुज़फ्फरनगर दंगों के बाद, वेस्ट-यूपी वालों को क्या मिला; आज तक भी अधिकतर बच्चे जेलों में ही बताए जा रहे हैं, उस दंगे के; या बाहर आए हैं तो उनकी जिंदगी खराब है? हिन्दू-मुस्लिम के नाम का दंगा बाद में एक जाति बनाम मुस्लिम बनाया गया, यह मिला का वफ़ादारी का तमगा?

3 - पहलवान आंदोलन वाली बेटियों को तो मेडल लाने पे उनके साथ डेस्क पे खड़ा हो चाय पीते हुए उनको अपने घर की बेटी बोलता था ना; क्या किया उनके साथ; पहलवान आंदोलन याद है ना? तो कौनसी वफ़ादारी की बात करते हो?

4 - पीएम बनते ही सर्वखाप वालों को बुला के चाय-पानी करवाया था व् कहा था कि सेण्टर में धनखड़ की जाति वालों का आरक्षण अभी लागू करवाऊंगा; आई वो अभी, आज तक भी? जबकि जो था वह भी हटवा दिया हरयाणा जैसी स्टेट में तो? हरयाणा वालों को इतनी तो तसल्ली है कि इनको वोट दे के ठगे नहीं गए, अभी तक, 75-78% वोट तीसरी बार भी इनके खिलाफ ही पड़ा धनखड़ की बिरादरी वालों का|

5 - किसान आंदोलन में 700 किसान शहीद हुओं पे क्या बोल थे याद होंगे? MSP दे दिया क्या; जो इनसे वफाई की दुहाई देते हो?

6 - फरवरी 2016 को भूल सकते हो क्या? 


एक और बात चल पड़ी है कि जो इनके बैकग्राउंड के नहीं उनको मत लो; प्रवेश वर्मा तो 2-3 पीढ़ियों से ही इनका है, क्या तमगा मिला उसकी वफादारी का उसको; जबकि पालम 360 तक पूरी गेल लग के वोट डलवाई, धनखड़ की जाति वालों के? अभी जो दिल्ली की सीएम है वह क्या बोल रही थी वर्मा की जाति वालों बारे, भूल पड़ गई क्या?


इसलिए अपने निजी उद्देष्यों की सिद्धि हेतु बेशक इनसे लगे रहो; व् जरूर अपने हित साधो| परन्तु अपने निजी हितों को साधने की स्ट्रेटेजी को समाज की कैसे बोल दोगे; ऊपर के उदाहरण साफ़-साफ देखते हुए?


जब तक यह नहीं समझोगे कि तुम्हारे "उदारवादी जमींदारा" की जेनेटिक लर्निंग व् बेसिक इंस्टिंक्ट क्या होती हैं व् इनके वाले "सामंती जमींदारे" की क्या हैं; तब तक खामखा भावुक भी होते रहोगे व् अपने आपको इनके और नीचे और नीचे ही देते चले जाएंगे, ऐसे लोग जो अब इनके साथ वफाई व् बेवफाई की दुहाई में पड़ रहे हैं| 


जय यौधेय! - फूल मलिक 

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