Saturday, 28 March 2015

जाट आरक्षण रद्द होने से मंडी-फंडी सीधे-सीधे यह निशाने साध रहा है!


1) इनकी दशकों से मन में दबी आरक्षण को टोटली ख़त्म करने की मंशा को हवा और पंख मिल रहे हैं, वो कैसे देखो दूसरे पॉइंट में|

2) एक भाई ने लेख लिखा "Many Undeserving, Why Target Jats?", यह लेख और कोई उद्देश्य हासिल करे ना करे परन्तु जाटों को भड़काने वाला जरूर है, जिसकी कि जाट को वाकई जरूरत नहीं है|

 3) राव इंदरजीत के बाद अब कुरुक्षेत्र के एमपी भी कह रहे हैं कि जाटों को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए, यानी ओबीसी की जातियां स्वत: ही मंडी-फंडी का ओबीसी जातियों में फूट बढ़ाने की मंशा को साध रही हैं| जबकि इनको सोचना तो यह चाहिए कि कहीं जाटों के बाद अब अगला निशाना तुम होवो रिजर्वेशन से बाहर निकाले जाने का| लेकिन यह नादान चेतने और चेताने की बजाय अभी भी उलझे पड़े हैं वोट पॉलिटिक्स में|

 4) जाट को दबाने-कुचलने और कंगाल बनाने का इनका सर्वोपरि उद्देश्य तो खैर फसलों के कम दाम, यूरिया किल्लत, लैंड बिल (नुकसान बाकी किसान जातियों का भी हुआ इससे) और जाट आरक्षण रद्द के जरिये काफी लम्बा खींच ही लाये हैं यह लोग, अब तो इंतज़ार इसका है कि "What next"?

कौन कहता है कि "बांटों और राज करो" अंग्रेज भारत ले के आये थे, अरे खुद अंग्रेजों ने हमारे मंडी-फंडी से सीखा था| ना यकीन हो तो मनुस्मृति के काल से उठा के आजतक का इतिहास उघाड़ लो|

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