Thursday, 14 May 2015

सिसौली आळे बाबा फेर आ ज्या!

Presenting a poetic tribute to Late. Dada Ch. Baba Mahendra Singh Tikait Ji on thou 4th death anniversary (15/05/2011). -

धर्म छोड्या ना, कर्म छोड्या ना, फिरगे पाखंडी चौगरदे कै|
सिसौली आळे बाबा फेर आ ज्या, यें खागे चूंट तेरे भोळे नैं||

धर्म नैं चिलम भरी थारी हो, थमनै होण दी ना पाड़ कदे,
अल्लाह-हू-अकबर - हर-हर-महदेव, राखे एक पाळ खड़े|
अवाम खड़ी हो चल देंदी, जब-जब थमनें हुम्-हुंकार भरे,
सिसौली से दिल्ली अर वैं ब्रज-बांगर-बागड़ के मैदान बड़े|
चूं तक नहीं हुई कदे धर्म पै, आज यें हाजिरी लावैं ढोंगियों कै|
सिसौली आळे बाबा फेर आ ज्या, यें खागे चूंट तेरे भोळे नैं||

किसान यूनियन रोवै खड़ी, पाड़ उतरगी भीतर म्ह,
तीतर-बटेरों का झुण्ड हो रे, खा गये चूंट कैं चित्र नैं|
स्याऊ माणस लबदा ना, यू गहग्या सोना पित्तळ म्ह,
राजनीति डसगी उज्जड न्यूं, ज्यूँ कुत्ते चाटें पत्तळ नैं||
एक्का क्यूकर हो दादा, खोल बता ज्या इस त्यरे टोळे नैं|
सिसौली आळे बाबा फेर आ ज्या, यें खागे चूंट तेरे भोळे नैं||

मंडी भाव-खाणी रंडी हो री, दवन्नी पल्लै छोड्ती ना,
आंधी पिस्सै कुत्ते चाटें, त्यरे भोळे की भोड़ती ना|
कमर किसान की तोड़दी हाँ, या आढ़त खस्मां खाणी,
गए जमाने लुटे फ़साने, कर्मां बची फांसी कै गसखाणी||
अन्नदाता की राहराणी बणै, तू ला ज्या बात ठिकाणे नैं|
सिसौली आळे बाबा फेर आ ज्या, यें खागे चूंट तेरे भोळे नैं||

खाप त्यरी यैं बिन छतरी-चिमनी का हो री चूल्हा,
बूँद पड़ी अर चौगरदे नैं धूमम्म-धूमा-धूमम्म-धूमा|
टकसाळाओं की ताल जोड़ दे, ला चबूतरा सोरम सा,
'फुल्ले-भगत' मोरणी चढ़ा दे, अर पैरां तेरे तोरण शाह||
या चित-चोरण सी माया तेरी, करै निहाल सारे जटराणे नैं|
सिसौली आळे बाबा फेर आ ज्या, यें खागे चूंट तेरे भोळे नैं||

धर्म छोड्या ना, कर्म छोड्या ना, फिरगे पाखंडी चौगरदे कै|
सिसौली आळे बाबा फेर आ ज्या, यें खागे चूंट तेरे भोळे नैं||

शब्दावली: भोळा/भोळे = किसान

जय योद्धेय! - फूल मलिक

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