Sorry, "Jai Mata Di" but I am disconnecting myself from you!
जाट समाज में एक देवी के रूप में आपका प्रत्यार्पण ज्यादा नया नहीं है, मात्र 30-40 साल पुराना ही है| हमारे समाज में आपका प्रत्यार्पण भी जब आपके मूल-पूत (हिन्दू अरोड़ा/खत्री) आपको साथ लाये तभी के अड़गड़े हुआ था, उससे पहले जाट समाज में ना तो कोई आपको जानता था और ना ही कोई मानता था| नमस्कार/ राम-राम/जय दादा खेड़ा की जगह "जय माता दी" यही कहा करते थे|
वो क्या है ना "जय माता दी" हम जाट दिल के बड़े कोमल, निर्मल, सामयिक व् सौहार्दी होते हैं| इसलिए हमारे यहां अल्लाह, गॉड, भगवान, वाहे-गुरु सब खप जाते हैं और ऐसे ही आप भी खप गई थी| परन्तु हाँ खपते हैं सिर्फ हमारी मर्जी और अनुकम्पा से ही, जब तक हमें यह लगता है कि जो जिस भगवान को हमारे बीच हमारा और हमारी कौम का आदर-मान रखते हुए इंट्रोड्यूस कर रहा है हम उसको इंट्रोड्यूस करने देते हैं, लेकिन हमारे यहां सिवाय "दादा खेड़ा" और "जाट अवतारों" के बाकी कोई भगवान स्थाई नहीं| इन दोनों कॅटेगरियों को छोड़ के बाकी का भगवान हमारे यहां कितने दिन चलेगा वो निर्भर करता है कि उसको इंट्रोड्यूस करने वाला हमारा और हमारी कौम का कितना आदर मान करता है| इसको एक लाइन में लयबद्ध करूँ तो कुछ यूँ कहूँगा कि, "भगवान और भक्ति की वजह से जाट नहीं हुआ, अपितु जाट की वजह से भगवान और भक्ति हुई!"।
अब बात आती है कि मैं क्यों आपका परित्याग करना चाहता हूँ? अब आपसे तो कुछ छुपा नहीं हुआ| देख ही रही होंगी हरयाणा में इनके समाज का क्या सीएम क्या बना, पूरे जाट समाज के दुश्मन हुए खड़े हैं|
1) अच्छा "जय माता दी" यह बताओ 2005 में पंचकुला से कोई साहनी हैं, उन्होंने खापों और जाटों के खिलाफ पंजाब और हरयाणा हाईकोर्ट में अर्जी डाली और वो भी तब जब जाटों का ही सीएम था| तो क्या फिर भी किसी जाट या खाप ने उसको कुछ कहा?
2) फिर उसके बाद से तो आधिकारिक तौर पर मीडिया में बैठे आपके यह पूत दिन-रात जाट और खाप के पीछे पड़े रहे| क्या किसी जाट ने इनको कुछ कहा, वो भी बावजूद जाट सीएम होने के?
3) अभी हाल ही में जब इनके समाज का सीएम बना तो किसी भी जाट ने सामूहिक तौर पर ना तो कोई विरोध किया और ना कोई आपत्ति| अपितु सहर्ष अपनाया, स्वीकार किया वो भी बावजूद यह तथ्य जानते हुए कि यह गैर-हरयाणवी समाज से हैं| वरना आप तो जानती ही हैं उत्तराखंड में एक हरयाणवी सीएम बना था, उत्तराखंडी मूल का ना होने की वजह से छ महीने में ही हटा दिए गए थे| और महाराष्ट्र जैसे राज्य में तो "जय माता दी" कोई एक गैर-मराठी को सीएम बना के ही दिखा दे और फिर वो गैर-मराठी बिहारी या पूर्वांचली हो तो कहने ही क्या|
4) और अब जब से इनका सीएम बना है तब से तो "जय माता दी" यह लोग यह भी भूल गए कि अरे जो तुम्हारे भगवान यानी आप "जय माता दी" तक को पूज रहे हैं, तुम्हारी संस्कृति तक अपनी संस्कृति में मिला ली है, जाटों के इन सकारात्मक पहलुओं को दरकिनार करके देखो "जय माता दी" यह जाटों से कैसे-कैसे भाईचारे निभा रहे हैं:
अ) मई 2015 में जाट आरक्षण से इनका कोई लाभ-हानि ना होते हुए भी, उससे कोई लेना-देना ना होते हुए भी यह लोग जाट आरक्षण के विरुद्ध इनके "हरयाणा पंजाबी स्वाभिमान संघ" से धरना भी दिए और ज्ञापन भी|
ब) रोहतक के वर्तमान एमएलए श्रीमान मनीष ग्रोवर (हिन्दू अरोड़ा/खत्री जाति) की ऑफिसियल लेटर-पैड पर एमडीयू को लेटर जाता है कि यूनिवर्सिटी में जितने भी जाट अध्यापक अथवा कर्मचारी हैं उनके रिकॉर्ड चेक किये जाएँ। और पूछे जाने पर एमएलए साहब बड़ी गैर-जिम्मेदाराना ब्यान के साथ ना सिर्फ इससे खुद को अनजान बताते हैं वरन जो यह कृत्य करने वाला था उसकी छानबीन भी नहीं करवाते।
स) 2014 के चुनाओं के मौके पर पानीपत शहर में ट्रकों के कारोबार में जाटों द्वारा बढ़त बना लेने पर वहाँ के स्थानीय हिन्दू अरोड़ा/खत्री नेता श्रीमान सुरेन्द्र रेवड़ी कहते हैं कि जाटों ने कब्जा कर उनका कारोबार छीन लिया। और यह कहते हुए वह 1947 से लेकर आज तक जाट समाज ने उनके समाज को यहां बसने में जो सहयोग दिया उसको एक झटके में सिरे से ख़ारिज करते हैं। वैसे तो आजतक किसी जाट ने ऐसी बात कही नहीं, फिर भी अंदाजा लगाइये "जय माता दी" कि अगर एक जाट यह बात कह दे कि इन्होनें हमारे रोजगार से ले कारोबार तक बंटवा लिए तो इनकी क्या प्रतिक्रिया होगी?
द) "गुड्डू-रंगीला" फिल्म में "हुड्डा खाप" का मजाक उड़ाने पर जब जाट समाज कलेक्टर को इस फिल्म के डायरेक्टर श्रीमान सुभाष कपूर (हिन्दू अरोड़ा/खत्री जाति) के खिलाफ शिकायत करने जाते हैं तो बजाय उनसे माफ़ी मंगवाने में सहयोग करने के आपके यह पूत इसको जाटों की तानाशाही चिल्लाने लगते हैं| मतलब उल्टा चोर कोतवाल को डांटे|
य) और यह तो यह पानी सर से तो तब गुजरा जब खुद सीएम साहब जाटों को "डंडे के जोर पे हक लेने वाले" कह उठे और फिर यकायक दूसरा बयान यह भी दे बैठे कि "हरयाणवी कंधे से नीचे मजबूत और कंधे से ऊपर कमजोर होते हैं!"
र) अरे "जय माता दी" यह तो यह भी नहीं सोच रहे कि जाट समाज में मेरे जैसे जाट भी हैं जिन्होनें हमेशा इनको "रेफ़ुजी", "पकिरस्तानी" कहने वालों का विरोध किया|
अब "जय माता दी" आप ही बताओ यह तो वाकई में पानी सर से ऊपर गुजरने वाली बात हो गई ना?
अब किसी दूसरी जाति वाले को खुद में हरयाणत व् हरयाणवी महसूस नहीं होता हो तो क्या किसी जाट को भी नहीं होगा? अब अगर दूसरे समाजों ने स्वार्थों या जिस भी वजह के चलते चुप्पी साध ली है तो क्या हरयाणवी शब्द के अपमान पे जाट भी चुप्पी साध जाए? बस यह नहीं हुआ हमारे पूर्व कमांडेंट हवा सिंह सांगवान जी से और सीएम साहब को उनका ओरिजिन याद दिलवाना पड़ा|
अरे "जय माता दी" ओरिजिन तो सिर्फ सांगवान साहब क्या एस.जी.पी.सी. (S.G.P.C.) के चीफ श्री अवतार सिंह मक्क्ड़ भी याद दिला गए, कह गए कि सीएम का गृह जिला करनाल नहीं अपितु पाकिस्तान में झंग है और सीएम पाकिस्तानी है|
तो अब बताओ "जय माता दी" मुझे क्या गधे ने काटा है कि एक ही बयान देने वाले दो लोगों में से यह सिर्फ सांगवान साहब का पुतला फूंकें और मैं आपको मेरे दिल और घर से बाहर ना करूँ|
वैसे आप भी हैरान हो रही होंगी, कि यह कैसा जाट है कि लठ उठा के उनका सर फोड़ने की बजाय मुझे ही घर से निकाल रहा है| वो क्या है ना "जय माता दी" वो कहते हैं ना कि "चोर को क्या मारना, चोर की माँ को मारो!"। वैसे भी क्योंकि जब आपकी भक्ति करने से भी इनमें इतनी अक्ल नहीं आ पाई कि जाट इनके मित्र हैं या शत्रु तो "जय माता दी" मेरे इनको लठ मारने से थोड़े ही आएगी, बस इसीलिए आपको आज से मेरे घर से बाहर कर रहा हूँ|
क्या है "जय माता दी" कि यह समझ रहे हैं कि हमने हमारे कोमल, निर्मल, सामयिक व् सौहार्दी स्वभाव के चलते उनके द्वारा दी गई आप और उनके काफी सारे अन्य रीती-रिवाज, दूध में पानी की तरह क्या मिला लिए कि वह तो इसको उनकी कोई बहुत बड़ी चालाकी या दिमागी ताकत का प्रतीक मान बैठे हैं| जबकि उनको यह नहीं पता कि उत्तरी भारत में उनके समाज से बाहर अगर आपकी इतनी बड़ी पहचान बनी है तो वो तब जब हम जाट उनसे भाईचारा मानते हुए आपको पूजने लगे, वही "भगवान और भक्ति की वजह से जाट नहीं हुआ, अपितु जाट की वजह से भगवान और भक्ति हुई!" वाली बात के तहत| परन्तु "जय माता दी" अब बहुत हुआ, अब मुझसे आपकी पूजा और आदर का सिलसिला ढोंग लगने लगा है| महसूस होने लगा है कि जब आपके मूल पुत्र ही आपकी पूजा करने की वजह से इतने जहरी और नफरत करने वाले बनते हैं तो फिर कहीं मैं भी उनके जैसा ही ना हो जाऊं, इसलिए मैं आज से आपको मेरे दिल, आत्मा और घर से निकाल कर बड़े आदर सहित बाहर कर रहा हूँ| क्योंकि जब आप उनको ही प्रेम से रहना नहीं सीखा सकती तो मुझे क्या सिखाएंगी| इसलिए आखिरी बार "जय माता दी"!
ओह हाँ चिंता ना करें, वो आपको पूजते रहेंगे मुझे उससे कोई ऐतराज नहीं, परन्तु अब आपको मेरे खुद के अंदर से, मेरे घर के अंदर से, मेरे रिश्तेदारों और मेरे प्रभाव और संबंध में आने वाले हर जाट के घर से आपकी चौकियों की, जगरातों की और भंडारों की विदाई आजीवन सुनिशिचित करवाता चलूँगा यह मन में धार लिया है|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
जाट समाज में एक देवी के रूप में आपका प्रत्यार्पण ज्यादा नया नहीं है, मात्र 30-40 साल पुराना ही है| हमारे समाज में आपका प्रत्यार्पण भी जब आपके मूल-पूत (हिन्दू अरोड़ा/खत्री) आपको साथ लाये तभी के अड़गड़े हुआ था, उससे पहले जाट समाज में ना तो कोई आपको जानता था और ना ही कोई मानता था| नमस्कार/ राम-राम/जय दादा खेड़ा की जगह "जय माता दी" यही कहा करते थे|
वो क्या है ना "जय माता दी" हम जाट दिल के बड़े कोमल, निर्मल, सामयिक व् सौहार्दी होते हैं| इसलिए हमारे यहां अल्लाह, गॉड, भगवान, वाहे-गुरु सब खप जाते हैं और ऐसे ही आप भी खप गई थी| परन्तु हाँ खपते हैं सिर्फ हमारी मर्जी और अनुकम्पा से ही, जब तक हमें यह लगता है कि जो जिस भगवान को हमारे बीच हमारा और हमारी कौम का आदर-मान रखते हुए इंट्रोड्यूस कर रहा है हम उसको इंट्रोड्यूस करने देते हैं, लेकिन हमारे यहां सिवाय "दादा खेड़ा" और "जाट अवतारों" के बाकी कोई भगवान स्थाई नहीं| इन दोनों कॅटेगरियों को छोड़ के बाकी का भगवान हमारे यहां कितने दिन चलेगा वो निर्भर करता है कि उसको इंट्रोड्यूस करने वाला हमारा और हमारी कौम का कितना आदर मान करता है| इसको एक लाइन में लयबद्ध करूँ तो कुछ यूँ कहूँगा कि, "भगवान और भक्ति की वजह से जाट नहीं हुआ, अपितु जाट की वजह से भगवान और भक्ति हुई!"।
अब बात आती है कि मैं क्यों आपका परित्याग करना चाहता हूँ? अब आपसे तो कुछ छुपा नहीं हुआ| देख ही रही होंगी हरयाणा में इनके समाज का क्या सीएम क्या बना, पूरे जाट समाज के दुश्मन हुए खड़े हैं|
1) अच्छा "जय माता दी" यह बताओ 2005 में पंचकुला से कोई साहनी हैं, उन्होंने खापों और जाटों के खिलाफ पंजाब और हरयाणा हाईकोर्ट में अर्जी डाली और वो भी तब जब जाटों का ही सीएम था| तो क्या फिर भी किसी जाट या खाप ने उसको कुछ कहा?
2) फिर उसके बाद से तो आधिकारिक तौर पर मीडिया में बैठे आपके यह पूत दिन-रात जाट और खाप के पीछे पड़े रहे| क्या किसी जाट ने इनको कुछ कहा, वो भी बावजूद जाट सीएम होने के?
3) अभी हाल ही में जब इनके समाज का सीएम बना तो किसी भी जाट ने सामूहिक तौर पर ना तो कोई विरोध किया और ना कोई आपत्ति| अपितु सहर्ष अपनाया, स्वीकार किया वो भी बावजूद यह तथ्य जानते हुए कि यह गैर-हरयाणवी समाज से हैं| वरना आप तो जानती ही हैं उत्तराखंड में एक हरयाणवी सीएम बना था, उत्तराखंडी मूल का ना होने की वजह से छ महीने में ही हटा दिए गए थे| और महाराष्ट्र जैसे राज्य में तो "जय माता दी" कोई एक गैर-मराठी को सीएम बना के ही दिखा दे और फिर वो गैर-मराठी बिहारी या पूर्वांचली हो तो कहने ही क्या|
4) और अब जब से इनका सीएम बना है तब से तो "जय माता दी" यह लोग यह भी भूल गए कि अरे जो तुम्हारे भगवान यानी आप "जय माता दी" तक को पूज रहे हैं, तुम्हारी संस्कृति तक अपनी संस्कृति में मिला ली है, जाटों के इन सकारात्मक पहलुओं को दरकिनार करके देखो "जय माता दी" यह जाटों से कैसे-कैसे भाईचारे निभा रहे हैं:
अ) मई 2015 में जाट आरक्षण से इनका कोई लाभ-हानि ना होते हुए भी, उससे कोई लेना-देना ना होते हुए भी यह लोग जाट आरक्षण के विरुद्ध इनके "हरयाणा पंजाबी स्वाभिमान संघ" से धरना भी दिए और ज्ञापन भी|
ब) रोहतक के वर्तमान एमएलए श्रीमान मनीष ग्रोवर (हिन्दू अरोड़ा/खत्री जाति) की ऑफिसियल लेटर-पैड पर एमडीयू को लेटर जाता है कि यूनिवर्सिटी में जितने भी जाट अध्यापक अथवा कर्मचारी हैं उनके रिकॉर्ड चेक किये जाएँ। और पूछे जाने पर एमएलए साहब बड़ी गैर-जिम्मेदाराना ब्यान के साथ ना सिर्फ इससे खुद को अनजान बताते हैं वरन जो यह कृत्य करने वाला था उसकी छानबीन भी नहीं करवाते।
स) 2014 के चुनाओं के मौके पर पानीपत शहर में ट्रकों के कारोबार में जाटों द्वारा बढ़त बना लेने पर वहाँ के स्थानीय हिन्दू अरोड़ा/खत्री नेता श्रीमान सुरेन्द्र रेवड़ी कहते हैं कि जाटों ने कब्जा कर उनका कारोबार छीन लिया। और यह कहते हुए वह 1947 से लेकर आज तक जाट समाज ने उनके समाज को यहां बसने में जो सहयोग दिया उसको एक झटके में सिरे से ख़ारिज करते हैं। वैसे तो आजतक किसी जाट ने ऐसी बात कही नहीं, फिर भी अंदाजा लगाइये "जय माता दी" कि अगर एक जाट यह बात कह दे कि इन्होनें हमारे रोजगार से ले कारोबार तक बंटवा लिए तो इनकी क्या प्रतिक्रिया होगी?
द) "गुड्डू-रंगीला" फिल्म में "हुड्डा खाप" का मजाक उड़ाने पर जब जाट समाज कलेक्टर को इस फिल्म के डायरेक्टर श्रीमान सुभाष कपूर (हिन्दू अरोड़ा/खत्री जाति) के खिलाफ शिकायत करने जाते हैं तो बजाय उनसे माफ़ी मंगवाने में सहयोग करने के आपके यह पूत इसको जाटों की तानाशाही चिल्लाने लगते हैं| मतलब उल्टा चोर कोतवाल को डांटे|
य) और यह तो यह पानी सर से तो तब गुजरा जब खुद सीएम साहब जाटों को "डंडे के जोर पे हक लेने वाले" कह उठे और फिर यकायक दूसरा बयान यह भी दे बैठे कि "हरयाणवी कंधे से नीचे मजबूत और कंधे से ऊपर कमजोर होते हैं!"
र) अरे "जय माता दी" यह तो यह भी नहीं सोच रहे कि जाट समाज में मेरे जैसे जाट भी हैं जिन्होनें हमेशा इनको "रेफ़ुजी", "पकिरस्तानी" कहने वालों का विरोध किया|
अब "जय माता दी" आप ही बताओ यह तो वाकई में पानी सर से ऊपर गुजरने वाली बात हो गई ना?
अब किसी दूसरी जाति वाले को खुद में हरयाणत व् हरयाणवी महसूस नहीं होता हो तो क्या किसी जाट को भी नहीं होगा? अब अगर दूसरे समाजों ने स्वार्थों या जिस भी वजह के चलते चुप्पी साध ली है तो क्या हरयाणवी शब्द के अपमान पे जाट भी चुप्पी साध जाए? बस यह नहीं हुआ हमारे पूर्व कमांडेंट हवा सिंह सांगवान जी से और सीएम साहब को उनका ओरिजिन याद दिलवाना पड़ा|
अरे "जय माता दी" ओरिजिन तो सिर्फ सांगवान साहब क्या एस.जी.पी.सी. (S.G.P.C.) के चीफ श्री अवतार सिंह मक्क्ड़ भी याद दिला गए, कह गए कि सीएम का गृह जिला करनाल नहीं अपितु पाकिस्तान में झंग है और सीएम पाकिस्तानी है|
तो अब बताओ "जय माता दी" मुझे क्या गधे ने काटा है कि एक ही बयान देने वाले दो लोगों में से यह सिर्फ सांगवान साहब का पुतला फूंकें और मैं आपको मेरे दिल और घर से बाहर ना करूँ|
वैसे आप भी हैरान हो रही होंगी, कि यह कैसा जाट है कि लठ उठा के उनका सर फोड़ने की बजाय मुझे ही घर से निकाल रहा है| वो क्या है ना "जय माता दी" वो कहते हैं ना कि "चोर को क्या मारना, चोर की माँ को मारो!"। वैसे भी क्योंकि जब आपकी भक्ति करने से भी इनमें इतनी अक्ल नहीं आ पाई कि जाट इनके मित्र हैं या शत्रु तो "जय माता दी" मेरे इनको लठ मारने से थोड़े ही आएगी, बस इसीलिए आपको आज से मेरे घर से बाहर कर रहा हूँ|
क्या है "जय माता दी" कि यह समझ रहे हैं कि हमने हमारे कोमल, निर्मल, सामयिक व् सौहार्दी स्वभाव के चलते उनके द्वारा दी गई आप और उनके काफी सारे अन्य रीती-रिवाज, दूध में पानी की तरह क्या मिला लिए कि वह तो इसको उनकी कोई बहुत बड़ी चालाकी या दिमागी ताकत का प्रतीक मान बैठे हैं| जबकि उनको यह नहीं पता कि उत्तरी भारत में उनके समाज से बाहर अगर आपकी इतनी बड़ी पहचान बनी है तो वो तब जब हम जाट उनसे भाईचारा मानते हुए आपको पूजने लगे, वही "भगवान और भक्ति की वजह से जाट नहीं हुआ, अपितु जाट की वजह से भगवान और भक्ति हुई!" वाली बात के तहत| परन्तु "जय माता दी" अब बहुत हुआ, अब मुझसे आपकी पूजा और आदर का सिलसिला ढोंग लगने लगा है| महसूस होने लगा है कि जब आपके मूल पुत्र ही आपकी पूजा करने की वजह से इतने जहरी और नफरत करने वाले बनते हैं तो फिर कहीं मैं भी उनके जैसा ही ना हो जाऊं, इसलिए मैं आज से आपको मेरे दिल, आत्मा और घर से निकाल कर बड़े आदर सहित बाहर कर रहा हूँ| क्योंकि जब आप उनको ही प्रेम से रहना नहीं सीखा सकती तो मुझे क्या सिखाएंगी| इसलिए आखिरी बार "जय माता दी"!
ओह हाँ चिंता ना करें, वो आपको पूजते रहेंगे मुझे उससे कोई ऐतराज नहीं, परन्तु अब आपको मेरे खुद के अंदर से, मेरे घर के अंदर से, मेरे रिश्तेदारों और मेरे प्रभाव और संबंध में आने वाले हर जाट के घर से आपकी चौकियों की, जगरातों की और भंडारों की विदाई आजीवन सुनिशिचित करवाता चलूँगा यह मन में धार लिया है|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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