Wednesday, 14 October 2015

एक किसान का खुला पत्र!

Why the process of deciding the production cost and selling price of a product is not same throughout every business be it corporate business, FMCG business or Agri-business?

Why it is so that be it corporate or FMCG, they recommend and decide it for themselves whereas for farmers it is govt. and corporate lobby out of which one recommends and other decides behind the scene for farmer?

Certainly farmers have to raise up against this odd.

मा• श्री नरेन्द्र मोदी
(प्रधानमंत्री) भारत सरकार,
मा• श्री मनोहर लाल खट्टर
मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार,

एक किसान का खुला पत्र

श्रीमान जी मैं एक छोटा सा किसान हूं जब आप प्रचार कर रहे थे ,तब आपने किसान हित मे बहुत सारी घोषणाये की थी मैने और मेरे परिवार ने आपके अंदर एक किसान हितेषी राजनेता का चेहरा देखा था ओर मेने ही नही सभी किसान भाईयो ने मिलकर आपको प्रचंड बहुमत दिया है आज मे परेशानी मे हूॅ वर्षा कम होने से धान की पैदाबार कम हुई साथ ही मेरी धान को 1000 रु से 1500 रु प्रति किंव्• ही खरीदा जा रहा है।ग्वार भी 2500 से3000 रु प्रति किंव् लिया जा रहा है।मैं अत्यन्त्य घाटे मे पहुंच गया हूँ पर कर्म करना मेरा धर्म है ऐसा सोचकर मेने साहूकारो व्यापारियो ओर बैको से कर्ज लेकर कपास की फसल बो  दी थी फसल अच्छी थी ।लेकिन सफेद मच्छर और कम बारिश के कारण कपास की फसल में बहुत नुकसान हुआ।मैने पांच एकड़ मे कपास की खेती की थी जिसमे 5 किं•कपास हुई है।
मै आपको क्रम अनुसार मेरी लागत का विवरण देता हूं ।

कपास का ख़र्चा प्रति एकड़ बीज~(1000×3)=3000
डीएपी ~(1250×2)=2500
यूरिया~(300×2)=600
ज़िंक ~(300×1)=300
ग्रामोक्सोम् (450×1)=450
खरपतवार नाशक
ट्रेक्टर द्वारा खेत की जुताई 1000
ट्रेक्टर द्वारा बुवाई 400
 निराई गुड़ाई 1500
10 स्प्रे ट्रेक्टर द्वारा=5000,
पानी दिया 4 बार  =5000

एक आदमी जो खेत मे पानी देने स्प्रे करता है उसे चार महीने मे देता तो ज्यादा पड़ता है।पर आप के द्वारा जो भाव  निर्धारित है 4000 रु जिससे 5 एकड़ में मेरी फसल हुई 20000 रु की।
मेरी लागत हुई 20000×5=100000जिसमे मेरी व् मेरे परिवार की मेहनत छोड़ दी है ।
इसमे मुझ 80000 रु का घाटा है अब आप मेरे आंसुओ को देखते हुये बताईये की क्या कृषि कर्मण पुरुस्कार आपको किसकी मेहनत के कारण मिला था कृषि मे कई समस्याये है मेरे बच्चे परिवार का भरण पोषण इस विषम परिस्थिति मे कैसे होगा ।आप कृषि को लाभ का धन्धा बताने की घोषणाये करके क्या साबित करना चाहते हो इस पत्र मे जो बाते लिखी गई है बह बिलकुल तथ्यो के अनुसार लिखी गई है आप जब चाहे हम किसान सभी तथ्यो के साथ आपके समक्ष उपस्थित हो जायेगे। आप से हम यह दर्द बताकर भीख नही मांगना चाहते. हमे बस हमारी फसल का उचित लागत मूल्य चाहिये यह निवेदन ओर प्रार्थना है अन्त मे एक संदेश,

जब तक दुखी किसान रहेगा
धरती पर तूफान रहेगा ।।

      माननीय मोदीजी धान का भाव पिछले से पिछले साल 3500 रु था पिछले साल 3000 रु की थी ओर इस बार आपने 1500 रु कम कर दिए....
अगर कर्मचारियों की सैलेरी मे साल में सिर्फ 500 रु कम कर दिए तो......क्या होगा पता है.......देश मे हड़तालें हो जायेगी... ताल बंदी होगी ....आपके पुतले जलाये जायेंगे  ये लोग आपको निकम्मे कहेगे......

देश का किसान आपको कुछ नही कह रहा है....ये हमारी बेवकूफी नही है भोलापन है।....एक तो सारी फसल कम हुई है और ऊपर से आप भाव भी कम दे रहे हो कुछ तो शर्म करो।

जिस दिन हमारा सब्र का बाँध टूटेगा उस उस दिन आप व आपकी पार्टी का पता नही चलेगा......

किसान के बेटे है तो इतना शेयर करो कि किसान कितना महान है।।।

प्राथी समस्त किसान भाई🏼🏼

Courtesy: Jaswant Ohlan

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