Tuesday, 17 November 2015

भारत में बढ़ती सब्जियों के दामों और बढ़ती जमाखोरी की यह है असली वजह!

मोदी की रैली में अधिकतर मेरे जैसे कॉर्पोरेट वर्ल्ड में काम करने वाले एम्प्लोयी थे, जिनमें अधिकतर को ठीक उसी तरीके से रैली में हाजिर होने के आदेश दिए गए थे जैसे भारत में जब कोई रैली हो तो प्राइवेट स्कूलों की बसों को जबरन आदेश होते हैं कि उस दिन वो रैली की भीड़ ढोयेंगी और सरकारी कर्मचारी सपरिवार-जानकार रैली में उपस्थित होंगे|

रयूटर न्यूज़ एजेंसी के अनुसार इस रैली पर 2.5 मिलियन पाउंड्स यानी 250 करोड़ रूपये खर्च हुए, जो कि कॉर्पोरेट घरानों ने प्रायोजित किये थे| इससे साफ़ है कि यह कार्यक्रम स्थानीय ब्रिटिश नागरिकों या सरकार द्वारा प्रायोजित नहीं था| यह भारतीय कॉर्पोरेट की रैली थी, जिसकी 6 महीने पहले से तैयारी की गई थी|

और इन प्रायोजित रैलियों के लिए कॉर्पोरेट को पैसा चाहिए, जो कभी प्याज, कभी दाल, कभी टमाटर महंगे बेच-बेच के तो कभी अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल की आधी कीमत होने पर भी उसको अपने यहां महंगा बेच-बेच के आम भारतीय की जेबों से ही वसूला जा रहा है| इसीलिए सटोरियों, जमाखोरों को मनचाहा अवैध भण्डारण करने की छूट से ले के, हर प्रकार के कॉर्पोरेट कर्जे से मुक्ति मिली हुई है|

और यहीं तक सिमित है इनके अच्छे दिन की परिभाषा! कोई भगत या अंधभक्त इस कड़वी सच्चाई को पढ़ के सुलगे तो सौ बार सुलगे| - फूल मलिक

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