मंडी-फंडी खुद नफरत नहीं फैलाता, राजकुमार सैनी, मनोहरलाल खट्टर और
रोशनलाल आर्य जैसे मंद्बुद्धियों के जरिये से फैलवाता है, फूट डालता है और
राज हथियाता है| खुद तो यह तभी सामने आता है जब इसको पुष्टि रहती है कि अब
समाज पूरी तरह से बिखरा हुआ है|
इनके पास लोकराज लोकलाज से चलता है व् राजनैतिक-सामाजिक लिहाज-शर्म के नाम पर कुछ नहीं होता| यह कोरी नफरत और फूट डालने की नीति की राजनीती पर फलते-फूलते हैं| क्योंकि पूंजीवादी सिर्फ पैसा कमाने के लिए राजनीति करता है, समाज में शांति-न्याय और व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए नहीं| शांति-न्याय और व्यवस्था की सुदृढ़ता तो इसकी राजनीति के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं|
तो क्या कोई ऐसी सोच या समाज नहीं जो इन मंडी-फंडी में भी फूट डलवा सके? है ऐसी सोच और समाज हर जगह मुमकिन है बशर्ते, लोग मंडी-फंडी की नीतियों को क्रिटिसाइज करने में वक्त ज्याया करने की बजाय, इनकी सामाजिक सरंचना और सूझबूझ पर फोकस करे तो|
आश्चर्य नहीं कि अगर पूछने लगूं कि मंडी-फंडी के समाजों को तोड़ने की कमजोर कड़ियाँ कौनसी-कौनसी हैं तो कोई विरला ही जवाब दे पाये कि यह-यह हैं| जबकि मंडी-फंडी के पास इतनी इंटेलिजेंस और इनफार्मेशन रहती है कि इनको ओबीसी हो, दलित हो या माइनॉरिटी, हर एक की सामाजिक कमजोरी और रग पता होती है|
अत: अगर इनसे पार पाना है तो सिर्फ इनकी नीतियों को क्रिटिसाइज करने से काम नहीं चलने वाला, अपितु इनकी भांति इनके भीतर की सामाजिक सरंचना और इनके कमजोर बिन्दुओं की इंटेलिजेंस और इनफार्मेशन हासिल करने पे और उसको छुपाने की बजाय साझा करने पे (कम-से-कम एक जैसी सोच वालों के साथ) फोकस करना होगा|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
इनके पास लोकराज लोकलाज से चलता है व् राजनैतिक-सामाजिक लिहाज-शर्म के नाम पर कुछ नहीं होता| यह कोरी नफरत और फूट डालने की नीति की राजनीती पर फलते-फूलते हैं| क्योंकि पूंजीवादी सिर्फ पैसा कमाने के लिए राजनीति करता है, समाज में शांति-न्याय और व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए नहीं| शांति-न्याय और व्यवस्था की सुदृढ़ता तो इसकी राजनीति के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं|
तो क्या कोई ऐसी सोच या समाज नहीं जो इन मंडी-फंडी में भी फूट डलवा सके? है ऐसी सोच और समाज हर जगह मुमकिन है बशर्ते, लोग मंडी-फंडी की नीतियों को क्रिटिसाइज करने में वक्त ज्याया करने की बजाय, इनकी सामाजिक सरंचना और सूझबूझ पर फोकस करे तो|
आश्चर्य नहीं कि अगर पूछने लगूं कि मंडी-फंडी के समाजों को तोड़ने की कमजोर कड़ियाँ कौनसी-कौनसी हैं तो कोई विरला ही जवाब दे पाये कि यह-यह हैं| जबकि मंडी-फंडी के पास इतनी इंटेलिजेंस और इनफार्मेशन रहती है कि इनको ओबीसी हो, दलित हो या माइनॉरिटी, हर एक की सामाजिक कमजोरी और रग पता होती है|
अत: अगर इनसे पार पाना है तो सिर्फ इनकी नीतियों को क्रिटिसाइज करने से काम नहीं चलने वाला, अपितु इनकी भांति इनके भीतर की सामाजिक सरंचना और इनके कमजोर बिन्दुओं की इंटेलिजेंस और इनफार्मेशन हासिल करने पे और उसको छुपाने की बजाय साझा करने पे (कम-से-कम एक जैसी सोच वालों के साथ) फोकस करना होगा|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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