Friday, 20 November 2015

राजनैतिक चुटकी है, बुरा नहीं मनाने का!

लालू से मोदी मिले तो स्ट्रेटेजी, केजरीवाल  मिले तो बेइज्जती, वाह रे भगतन क्या मापदंड है तोहार?

अभी बिहार इलेक्शन से दो-एक महीने पहले मुलायम-लालू के बेटे-बेटियों के ब्याह में जनाब मोदी जब गलबहियाँ पा-पा सेल्फ़ी खिंचाई रहे तो वो स्ट्रेटेजी था, अउर कल ललवा ने केजरिया को पकड़ गलबहियां लिए तो बेइज्जती हुई गवा, हुड़ सुसरा बुड़बक।

केजरी-लालू-नितीश-दुष्यंत-ममता-अजित-देवेगौड़ा आदि एक स्टेज पर मिले तो आँख में किरकिरी गिर गवा, अउर उ बख्त जब ई भगवा वाला J&K उग्रवादियों को दबी जुबान समर्थन देने वाली पार्टी से प्यार की पींघ चढ़ाई रहे, तब का आँखों में जाला पड़ गवा था? ओह नाहीं शायद चोर-चोर मौसेरे भाई मिलत रही, एक आईएसआईएस से प्रेम करने वाला और दूजो आरएसएस से।

का रे बुड़बक भगतो, जब सेंटर में बारहवीं पास देश की शिक्षामंत्री झेल सकत हो, गंवार-झाहिल-बदजुबान मंत्रियों-एम्पियों की पूरी फ़ौज झेल सकत हो, तो आठवीं पास ललवा के सुपुत्वा ने कोनों काले चना चबाये हैं का जो वो देश की एक स्टेटवा का डिप्टी सीएम भी नाहीं बन सकत?

अरे हो,आरएसएस का एजेंटवा हरयाणा का चीफ मिनिस्टरवा, तू काहे को दसवीं से नीचे पढ़ा लोगन को उन्हां सरपंच नाहीं बनन देत रे? जब तोरो जैसन असामाजिक जीव अढ़ाई करोड़ का हरयाणा संभाले रही, तो का दसवीं से नीचे पढ़ा हुआ इक दुइ-चार हजार का गाँव नहीं संभाल पाहिं?

हुड़ बुड़बक, किधर हो रे बुधना, ज़रा इन भगतन को हाँक के हमार बाड़ा में बंद करके ताला लगाई के चाबी हमका देई तो जरा! ससुरा जब देखो छूट लेइत है खुल्ला सांड की जोई!

मस्करी, ऊ भी राजनीति का बाघड़ बिल्ला ललवा के साथ, ससुर का नाती सबको ठिकाने ना लगाई दई का?

फूल मलिक

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