Thursday, 26 November 2015

कब थे आप सहिष्णु?

कौनसे युग, कौनसी सदी में?
किस कालखंड में सहिष्णु थे आप?
देवासुर संग्राम के समय?
जब अमृत खुद चखा
और विष छोड़ दिया
उनके लिए,
जो ना थे तुमसे सहमत?
दैत्य, दानव, असुर, किन्नर, यक्ष, राक्षस
क्या क्या ना कहा उनको?
वध, मर्दन, संहार
क्या क्या ना किया उनका?
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तब थे आप सहिष्णु?
जब मर्यादा पुरुषोत्तम ने काट लिया था
शम्बूक का सिर?
ली थी पत्नी की चरित्र परीक्षा
और फिर भी छोड़ दी गई
गर्भवती सीता
अकेली वन प्रांतर में?
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या तब, जब
द्रोण ने दक्षिणा में कटवा दिया था
आदिवासी एकलव्य का अंगूठा?
जुएं में दांव पर लगा दी गयी थी
पांच पांच पतियों की पत्नी द्रोपदी
और टुकर टुकर देखते रहे पितामह?
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या तब थे आप सहिष्णु?
जब ब्रह्मा ने बनाये थे वर्ण
रच डाली थी ऊँच नीच भरी सृष्टि?
या तब, जब विषमता के जनक ने
लिखी थी विषैली मनुस्मृति?
जिसने औरत को सिर्फ
भोगने की वस्तु बना दिया था
शूद्रों से छीन लिए गए थे
तमाम अधिकार
रह गए थे उनके पास
महज़ कर्तव्य
सेवा करना ही
उनका जीवनोद्देश्य
बन गया था
और अछूत
धकेल दिये गए थे
गाँव के दख्खन टोलों में
लटका दी गई थी
गले में हंडिया और पीठ पर झाड़ू
निकल सकते थे वे सिर्फ भरी दुपहरी
ताकि उनकी छाया भी ना पड़े तुम पर
इन्सान को अछूत बनाकर
उसकी छाया तक से परहेज़!
क्या यह नहीं थी असहिष्णुता?
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आखिर आप कब थे सहिष्णु?
बौद्धों के कत्लेआम के वक़्त
या महाभारत युद्ध के दौरान
लंका में आग लगाते हुए
या खांडव वन जलाते हुये
कुछ याद पड़ता है
आखिरी बार कब थे आप सहिष्णु?
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अछूतों के पृथक निर्वाचन का
हक छीनते हुए
मुल्क के बंटवारे के समय
दंगों के दौरान
पंजाब, गुजरात, कश्मीर, पूर्वोत्तर,
बाबरी, दादरी, कुम्हेर, जहानाबाद
डांगावास और झज्जर
कहाँ पर थे आप सहिष्णु?
सोनी सोरी के गुप्तांगों में
पत्थर ठूंसते हुए
सलवा जुडूम, ग्रीन हंट के नाम पर
आदिवासियों को मारते हुए
लोगों की नदियाँ, जंगल,
खेत, खलिहान हडपते वक़्त
आखिर कब थे आप सहिष्णु?
दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी के
क़त्ल के वक़्त
प्रतिरोध के हर स्वर को
पाकिस्तान भेजते वक़्त
फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्सएप
किस जगह पर थे आप सहिष्णु?
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प्राचीन युग में,
गुलाम भारत में,
आजाद मुल्क में,
बीते कल और आज तक भी,
कभी नहीं थे आप कतई सहिष्णु
सहिष्णु हो ही नहीं सकते है आप
क्योंकि आपकी संस्कृति, साहित्य, कला
धर्म, मंदिर, रसोई, खेत, गाँव, घर
कहीं भी नहीं दिखाई पड़ती है सहिष्णुता
सच्चाई तो यह है कि आपके
डीएनए में ही नहीं
सहिष्णुता युगों युगों से
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- भंवर मेघवंशी (स्वतंत्र पत्रकार)

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