Monday, 26 September 2016

व्यापारियों से कहो चीन-पाकिस्तान से सामान लाना बन्द करें, भारतीय जनता को खरीदने की नौबत ही नहीं आएगी!

1920 के असहयोग आंदोलन में सर छोटूराम जी का रोहतक कांग्रेस का प्रभारी होते हुए, गाँधी जी से कांफ्रण्टेशन होता है कि विदेशी सामान को खरीदने का बायकाट सिर्फ दलित-पिछड़ा व् किसान वर्ग ही क्यों करे; व्यापारी और पुजारी वर्ग भी तो करें? और यह मामला इतना बढा था कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की भांति सर छोटूराम कांग्रेस से गाँधी जी को थप्पड़ मार के तो अलग नहीं हुए परन्तु आपसी मर्यादा रखते हुए चुपचाप अलग यूनियनिस्ट पार्टी बना ली थी।

ठीक यही सवाल मैं आज के उन आडुओं से करता हूँ जो सोशल मीडिया पर चीन-पाकिस्तान आदि का सामान ना खरीदने की पोस्टें लिख के खुद को ना जाने कितना बड़ा देशभक्त साबित करने पे लगे रहते हैं ........ वो यह बताएं कि सामान ना खरीदने के यह ललित-निबन्ध टाइप उपदेश उन्हें क्यों देते हो, यह उम्मीद उनसे क्यों बांधते हो जो ग्राहक है; उनसे बांधों ना जो ग्राहक तक चीन का सामान लाता है, यानी व्यापारी वर्ग? उनसे क्यों नहीं कहते कि चीन-पाकिस्तान से बिज़नस बन्द करो| जब ऑटोमेटिकली व्यापारी चीन-पाकिस्तान का सामान भारत लाएगा ही नहीं तो भारतीय ग्राहक खरीदेगा कैसे?

इस कहते हैं कि असली मुद्दे से लेना-देना कुछ नहीं, परन्तु उपदेश देने को कुशल-उपदेशक बहुतेरे!

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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