Thursday, 8 December 2016

सरदार पटेल की जाति को राम-कृष्ण की जाति के जैसे रहस्यमयी क्यों बना रखा है?


राम की जाति को लेकर राजपूत और जाटों में बड़ी कलह होती है; दोनों क्लेम करते हैं कि राम राजपूत था तो जाट कहते हैं कि राम जाट था। जबकि इस बीच एक तथ्य और निकला कि राम की जाति का तो राम जाने या उसको बनाने वाले, परन्तु हरयाणा में जो राम-राम बोला जाता है उसका इस राम से कोई कनेक्शन नहीं; क्योंकि राम-राम हरयाणवी का एक शब्द है जिसका हिंदी अर्थ होता है आराम-आराम। यानी जब आप किसी को बोलते हो कि राम-राम, तो इसके जरिये "आप आराम से तो हो" भाव से उसकी कुशलक्षेम पूछ रहे होते हैं; खैर।

अब ऐसा ही किस्सा कृष्ण का बना हुआ है, इन पर तो यादव-गुज्जर-कुर्मी और जाट यहां तक कि राजपूत भी अपना कब्जा बताते हैं; सब अपनी-अपनी जाति का क्लेम करते हैं।

खैर, यह दोनों तो ठहरे माइथोलॉजी के काल्पनिक चरित्र; इनको घड़ने वाले तक इनकी जाति यह कह के छुपा जाते हैं कि भगवान की कोई जाति नहीं होती। क्योंकि जानते हैं कि अगर राम को राजपूत बता दिया तो अगले दिन से जाटों के यहां से राम के नाम चन्दा आना बन्द या जाटों का बता दिया तो राजपूतों के यहां से आना बन्द। परन्तु एक बात जरूर है, जैसे ही सर छोटूराम या बाबा साहेब आंबेडकर नाम के भगवान की बात आती है तो फटाक से उनकी जाति पहले चलवा देते हैं।

सन्दक सी बात है जिसका जन्म हुआ है और भारत में हुआ है, और वो भी माइथोलॉजी में नहीं रियल में हुआ है तो उसकी जाति तो पक्की होनी ही है। ऐसी ही एक पहेली बनी हुई है सरदार वल्लभभाई पटेल जी की जाति। हरयाणा के गुज्जर कहते हैं कि वो गुज्जर थे, यूपी के कुर्मी कहते हैं कि वो कुर्मी थे; तो कभी-कभी और क्योंकि गुजरात में पटेल जाट भी होते हैं तो जाट भी उनको जाट बताने लग जाते हैं।

अब इसको लेकर जो थोड़ी सी रिसर्च सामने आई है वो पेश करता हूँ। मध्यप्रदेश के हरदा डिस्ट्रिक्ट में अर्जुन पटेल (जो खुद जाट हैं) बताते हैं कि सरदार पटेल जाट हैं या नहीं यह तो अभी नहीं पता, परन्तु एक बात पता है कि सरदार पटेल के गाँव में कुर्मी और जाट हैं; गुज्जर नहीं। मतलब इस थ्योरी से सरदार पटेल को गुज्जर कहने वाला कांसेप्ट तो रदद् होता है। अर्जुन आगे बताते हैं कि 01/12/2012 के हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के अनुसार सरदार पटेल जाट हैं (खबर का लिंक नीचे देखें)। भाई के अनुसार 2011 के चुनाव में सरदार पटेल के पोते ने खुद को जाट बताया, अंग्रेजी अखबारों में इसकी खबर भी छपी थी।

अंत में मेरा सिर्फ इतना कहना है कि सरदार पटेल कोई माइथोलॉजी का चरित्र नहीं कि उनकी जाति को प्रसाद की भांति सबमें घुमा के उनके नाम का चन्दा ढकारा जाए। बल्कि मैं इस संशय में यह बात कह रहा हूँ कि अगर वो वाकई में जाट ही हैं तो फिर तमाम जाट संस्थाएं उनको अपने बैनर्स-पोस्टर्स-प्रचार सामग्री में स्थान न देकर उनके साथ अनजाने में अन्याय कर रही हैं। एक पल यह विचार भी आता है कि यह जाट संस्थाएं-सभाएं दशकों से हैं और बहुत शोध भी करती हैं, तो हो सकता है कि इनमें से किसी ने इस विषय पर शोध कर रखा हो तो कृपया मुझे भी उससे अवगत करवाएं; धन्यवाद।

Source: http://www.hindustantimes.com/india/community-power-how-the-patels-hold-sway-over-gujarat/story-WejgSajNL5YcxA3rUf8ajK.html

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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