दूसरा सर छोटूराम बनने की राह पर हो, परन्तु एक छोटी सी गलती उन्हीं अंधेरों में पहुंचा देगी जहां से आगे ना ताऊ देवीलाल उभर सके थे और ना बाबा महेंद्र सिंह टिकैत|
आप जाटों से दिल्ली में प्रदर्शन मत करवाओ, यह ऐसी जाहिल सरकार है कि जाटों पे तो गोलियां चलवा ही देगी, साथ ही साथ जिन संसाधनों में जाट दिल्ली में जायेंगे, उनको भी फाॅर्स से तुड़वा देगी| कहीं ऐसा ना हो जाए कि दुश्मन आपको दिल्ली में घेरने का चक्रव्यूह रचता रहा और आपको तब खबर हुई जब जाटों की लाशों के साथ-साथ जाटों के ट्रेक्टर-गाड़ियां तक भी तोड़ दिए गए| यह सन्देह मैं इसलिए नहीं जता रहा हूँ कि जाट कायर हैं, या मैं कायर हूँ बल्कि इसलिए जता रहा हूँ क्योंकि कौम के नफे-नुकसान की उसके शक्ति-प्रदर्शन से पहले सोचता हूँ| हो सकता है कि ऐसा ना भी हो, परन्तु इस रास्ते से मंजिल इतनी आसानी से मुहाल नहीं|
इसलिए आप जैसे आज दूसरे छोटूराम बनने की देहली पर जा पहुंचे जाट नेता (बल्कि किसान नेता) को एक अर्ज भरी दरखास कर रहा हूँ कि 20 मार्च को दिल्ली में जाने की बजाये, दो महीने के लिए खाने-पीने के सामान को छोड़ के सुई से ले के बड़ी-से-बड़ी मशीने खरीदने का अपने समाज से बहिष्कार करवा दीजिये| यकीन करिये अपने इस छोटे बालक का अगर जितना जाट समाज आज आपके नेतृत्व में हो रहे रहे धरनों पर जुट रहा है, इसके आधे ने भी आपकी बात मान ली तो यह व्यापारियों की सरकार आपको घर आ के आरक्षण दे के जाएगी|
छोटा मुंह और बड़ी बात, परन्तु आपकी जाट समाज द्वारा बिजली-पानी के बिल इत्यादि भरने बन्द करवाने के ऐलान पर सर छोटूराम जी का महात्मा गाँधी से हुआ एनकाउंटर याद आता है| जब महात्मा गाँधी ने 1922 में अंग्रेजों से असहयोग आंदोलन चलाया था तो सर छोटूराम ने गाँधी से जिरह की थी कि सिर्फ किसान और दलित ही नहीं अपितु पुजारी और व्यापारी से भी कहिये कि वह भी असहयोग करें| उन्होंने कहा था कि इस असहयोग की कीमत के ऐवज में आंदोलन के बाद में अंग्रेजों ने मेरे किसान पर टैक्स वगैरह बढ़ा दिए तो क्या वह पुजारी या व्यापारी भर देंगे या आप भर देंगे? तो गाँधी ने कहा था कि इस बात पर बाद में विचार कर लेंगे, फ़िलहाल आंदोलन चलने दीजिये| तो सर छोटूराम अपने सहयोगियों के साथ यह कहते हुए असहयोग आंदोलन से भी दूर हो गए थे और कांग्रेस भी छोड़े गए थे कि, "कब ईरान से सांप काटे की दवाई आई और कब सांप काटे का इलाज हुआ!'
इसलिए आपके जीवन के इस सुअवसर को पहचानिये और इसका सही फायदा उठाईये; यकीन मानिये निसन्देह दूसरे सर छोटूराम कहलायेंगे|
विशेष: अगर ऊपर बताये असहयोग आंदोलन का मन बने तो अपने इस बालक तो चाहे आधी रात याद कर लेना, न्यूनतम समय में आपकी और समाज की सेवा में हाजिर हो जाऊंगा| परन्तु इन अति में हो चुके प्रदर्शनों से डर लगता है साहेब; इसलिए नहीं कि कायर हूँ, अपितु इसलिए कि मुझे जाट समाज की एक जान भी, एक ट्रेक्टर भी जान से अजीज लगता है|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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