Tuesday, 9 May 2017

एक बार एक "पहुँचा हुआ जाट" सतसंग में चला गया!

वहाँ गीता-पाठ हो रहा था| परन्तु प्रवचन वाले बाबा को पता नहीं था कि आज जाट से वाद-विवाद प्रतियोगिया होवेगी उसकी, बेचारा!

प्रवचन वाला बाबा छूटते ही बोला: भक्तजनों, अब कुछ समय के लिए सांसारिक दुःख-दर्द-मोहमाया-तर्क-वितर्क सब भूलकर अपने आपको मुझे समर्पित कर दो|

जाट बोला: बाबा अगर तर्क-वितर्क आपको समर्पित कर दिए तो बुद्धि क्या ग्रहण करेगी, यह कैसे आंकूंगा?

बाबा: वत्स, धर्म में तर्क-वितर्क नहीं किये जाते, खुद को भगवान को समर्पित किया जाता है|

जाट: पर बाबा, आप तो आपको समर्पित करने की कह रहे, यहाँ भगवान किधर है?

बाबा: वत्स, हम ही तो आपको भगवान से मिलाएंगे| परन्तु उसके लिए तुम्हें कंप्यूटर की भांति अपने दिमाग को फॉर्मेट मारना होगा|

जाट: फॉर्मेट मारना होगा का क्या मतलब बाबा?

बाबा: बेटा जैसे हम किसी भी कंप्यूटर को फॉर्मेट मारते हैं तो उसका पुराना डाटा डिलीट करके, उसमें नया डालते हैं, ऐसे ही आप अपनी बुद्धि से पुराना सब-कुछ डिलीट कर दीजिये|

जाट: परन्तु बाबा, इससे तो मेरे माँ-बाप व् स्कूल-कालेज में मिले गुरुवों की शिक्षा डिलीट हो जाएगी? आप जैसे लोग ही कहते हैं ना कि माँ-बाप और गुरु जो सिखावें उसको ताउम्र शिरोधार्य रखें?

बाबा: तुम जाट हो क्या, जो इतने तर्क-वितर्क करते हो?

जाट: हाँ, बाबा जाट ही हूँ|

बाबा: तो भाई पहले क्यों नहीं बोला; जो "पहुँचा हुआ जाट" हो गया वो तो हमारा भी बाप हो गया| हम तो खुद जाट को देख के तर्क करना सीखते हैं, प्रभु आप कहाँ आ गए हमारी परीक्षा लेने?

जाट: बाबा, यह सब छोड़ो; यह बताओ इंसान कोई मशीन है क्या, जो आप उसके दिमाग को अपने अनुसार फॉर्मेट मारोगे? और आपको कम्प्यूटर्स को इतना ही फॉर्मेट मारने का शौक है तो कोई सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब क्यों नहीं कर लेते?

बाबा: बच्चा, क्यों रोजी- रोटी पे लात मारते हो; कहो तो मैं आज ही नौकरी डॉट कॉम पे जॉब अप्लाई कर दूंगा| अब आज-आज की आज्ञा हो तो प्रवचन पूरे कर लूँ?

जाट: ना बाबा, आज तो आप अपना सीवी अपडेट करो; प्रवचन तो आज जाट देवेगा|

और जाट प्रवचन यही है कि अपनी तार्किक बुद्धि को कभी मत छोडो, किसी बाबा को गिरवी मर धरो| बिना छल-कपट के जियो और जीने दो|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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