Saturday, 30 November 2019

80 वर्षीय IAS रिटायर्ड ऑफिसर "सर सुखबीर सिंह मलिक जी" से बात करने का सौभाग्य मिला पिछले दिनों!

बोले कि बेटा आप वह काम कर रहे हो जो हम समाज की इलीट क्लास होते हुए भी नहीं कर सके| और वह है हरयाणवी समाज में "KINSHIP - किनशिप" को कंटिन्यू (निरंतरता में जारी रखना) रखने का|

सर ने बताया कि बेटा वक्त की कमी कहो या शहरों में आने के चलते गाम-खेड़ों से हमारा कटाव कहो या उचित मौके नहीं बन पाए या नहीं बना पाए कहो परन्तु यह कमी हमें सालती रही कि हमारी 'किनशिप' कहीं पीछे छूट गई है|

परन्तु जब प्रोफेसर दिव्याज्योति के जरिये आप बारे जाना तो आपसे बातें करने का मन हुआ| आप एक बहुत ही अहम् छूटा हुआ पहलु आगे बढ़ा रहे हो, इसको विशालतम स्तर तक लेकर जाना| क्योंकि हर कामयाबी-शौहरत का अंत हासिल यही है कि अगर आपने जीवन में अपनी 'किनशिप' को कंटिन्यू नहीं रखा तो बुढ़ापे में आपको यह चीज खासी सालती है|

किनशिप का अर्थ: आपके जेनेटिक्स-जनरेशन-कस्टम-कल्चर-भाषा-सोशल आइडेंटिटी व् उसके रुतबे की निरंतरता-स्थिरता-दृढ़ता-अखंडता-प्राकाष्ठा बारे राजनीती व् धर्मनीति से अलग व् समानांतर बनाया जाने वाला आइडियोलॉजिकल थिंकटैंक सोशल प्रेशर ग्रुप, जिसकी कमांड एक पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी (इस कांसेप्ट बारे सबसे जागरूक-सेंसिटिव व् डेडिकेटेड ग्रुप) को एक उत्तराधिकार के रूप में सौंपी जाती है|

सर बोले कि बिहारी देखे, बंगाली देखे, मराठी-तमिल-सिख-मुस्लिम-ईसाई सब देखे| सबने अपनी किनशिप कन्फर्म कर रखी हैं जिनमें गैर-धर्मी या गैर-एथनिसिटी वाले पंख भी नहीं मार सकते, पैर भी नहीं धर सकते| परन्तु हम हरयाणवी इस बारे अभी तक सबसे विखंडित हैं, बेगोल हैं, नॉन-सीरियस हैं| जब दिव्या ने बताया कि आपने यह पहलु विदेश में बैठे हुए भी आठ-दस साल के लगभग वक्त से इतने व्यापक स्तर पर उठाया हुआ है तो अंदर एक रौशनी हुई, तो बात करने का मन हुआ आपसे; इससे पीछे मत हटना कभी| याद रखना अपने बुढ़ापे के लिए हर तरह की इज्जत-शौहरत-ताकत-दौलत-बुलंदी के साथ आप वह 'किनशिप' कमाने जा रहे हैं जिसके लिए हम लोगों तक को इस उम्र में आकर कमी महसूस होती है| काश हम यह किनशिप जारी रख पाते, इसको टूटने नहीं देते तो हरयाणा में फरवरी 2016 शायद ही होता|

Honorable sir, with due respect and honour to your visionary guidance; your words shall always work for me on this path as cement does in holding a building.

अपने बुजुर्गों से बात करते रहिये, चाहे वह गाम-खेड़े में बसते हों या शहरों की RWAs में|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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