Monday, 23 December 2019

आज किसान दिवस पर यह फोटो और इसकी बानगी हर किसान की औलाद कम-से-कम जरूर देखे-जाने व् समझे!

आप भी कहोगे कि "किसान दिवस" है पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह का जन्मदिवस है और मैं आपको फोटो बाबा टिकैत की दिखा रहा हूँ? चंद लाईनों में ही मेरा मंतव्य बतला देता हूँ|

इस तस्वीर के जरिये दो बातें याद दिलाना चाहता हूँ:

1 - किन मस्सकतो के बाद मिला था किसानों को "किसान-घाट": सेण्टर से मनाही आने पर बाबा टिकैत ने राजीव गाँधी को दो टूक में कह दिया था कि, "या तो बड़े चौधरी चरण सिंह की समाधि हेतु दिल्ली राजघाट पर जगह दो, अन्यथा 48 घंटे बाद कस्सियों-फावड़ों-कुदालों से महात्मा गाँधी व् इंदिरा गांधी की समाधियाँ ठीक वैसे ही उखाड़ फेंकी जाएँगी जैसे सर्वखाप यौद्धेय राजाराम जाट जी ने गॉड गोकुला जी की शहादत से क्रोधित हो अकबर की कब्र खोद, उसकी हड्डियों की चिता बना के जला डाली थी"| तब जा कर आनन-फानन में राजीव गाँधी के होश ठिकाने आये थे और चौधरी चरण सिंह के पार्थिव शरीर के लिए "किसान-घाट" बनाया गया था| 

2 - "धर्म जरूरी है परन्तु अँधा होने की हद तक नहीं": आज जो भी तमाम जातियों-वर्णों-धर्मों की किसानों की औलादें धर्म नाम की अफीम सूंघें टूल रही हैं आज वह इस फोटो को देखें और अंदाजा लगा लें कि क्या तुम्हारे पुरखों की हस्ती-औकात-बिसात थी कि हिन्दू-मुस्लिम-सिख सब धर्मों के प्रतिनिधि तुम्हारे पुरखों के मुंह ताकते थे और एक आज तुम हो कि तुम इन तथाकथित धर्म वालों के मुंह ताकते फिर रहे हो| बस इसी से अंदाजा लगा लो कि अपने पुरखों के ऐवज में अपनी औकात बढ़ाये हो या घटाए हो| मेरा आशय यह भी नहीं है कि तुम धर्म का अपमान करो परन्तु उसको उसकी जगह पर रखो, सर पर नहीं| धर्म के भीतर आपकी "किसान" नाम से, किसान की औलाद नाम से भी एक हस्ती है, जिसको सबसे ज्यादा कम्पटीशन आपके धर्म वाला व्यापारी हो या पुजारी वह देता है ना कि कोई गैर-धर्मी| और अगर अपनी यह हस्ती और आर्थिक हालत दुरुस्त रखनी है तो धर्मवालों को आपके पुरखों की भाँति उनकी जगह-स्थान दिखा के रखो|

इसी संदेश के साथ आपको "किसान-दिवस" की हार्थिक शुभकामनायें! 

जय यौद्धेय! - फूल मलिक


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