Thursday, 26 December 2019

सुनी है बीएचयू में "भूत विधा" का सर्टिफिकेशन कोर्स शुरू हुआ है, सोचा उनको इसके लिए एक चैप्टर सुझा दिया जाए; सिलेबस में जोड़ने हेतु!


तो चैप्टर इस प्रकार है:

चैप्टर का शीर्षक: "जाट ने जब जोड़ा भूत के श्मशान में हल"|

चैप्टर की व्याख्या:

एक बार, एक जाट ने शमशान घाट में हल जोड़ दिया, भूत कितै बाहर जा रहा था। भूतनी जाट न डरावन खातिर कांव कांव करण लागी, पर जाट न कोई परवाह नही की ।

आख़िर भूतनी बोली, “जाट तू यो के करै सै?”
जाट बोल्या, “मैं यहां बाजरा बोवुंगा!”
भूतनी बोली, “हम कित रवैंगे?”
जाट बोल्या, “मनै थारा ठेका कोनी ले राख्या"।
भूतनी बोली, “तू म्हारे घर का नास मत कर, इसके बदले हम तेरे घर मै 100 मण बाजरा भिजवा देगें”!
जाट बोल्या, “ठीक सै लेकिन बाजरा कल पहुॅचना चाहिए नहीं तो मैं फेर आ के हल जोड़ दूंगा”?
शाम नै भूत घर आया तो भूतनी बोली आज तो नास होग्या था, न्यूं न्यूं बणी। जाट 100 मण बाजरे में मान्या सै।
भूत ने भोत गुस्सा आया और बोल्या, "तने क्यों 100 मण बाजरे की ओट्टी, मन्ने इसे जाट भतेरे देखे सै, मन्नह उसका घर बता मैं उसने सीधा कर दूंगा। और भूत जाट के घर गया।
जाट के घर मैं एक बिल्ली हिल रही थी। वो रोज आके दूध पी जाया करती। जाट ने खिड़की में एक सिकंजा लगा लिया और रस्सी पकड़ के बैठ गया कि आज बिल्ली आवेगी और मैं उसने पकडूँगा। भुत न सोची तू खिड़की म बड़के, जाट न डरा दे। वो भीतर न नाड़ करके खुर्र-खुर्र करने लगा। जाट नै सोची कि बिल्ली आगी। उसने फट रस्सी खिंची और भूत की नाड़ सिकंजे मैं फंसगी। वो चिर्र्र–चिर्र्र करने लगा।

जाट बोल्या, "रै तू कोण सै?
वो बोल्या, "मैं भूत सूं"।
जाट बोल्या, "अङै के करै सै?"
भूत बोल्या, “मैं तो न्यू बुझण आया था के तू 100 मण बाजरे मैं मान ज्यागा या पूली भी साथै भिजवानी सै?

पुरखों वाली यह स्वछंदता व् निर्भीक-बेखटक आध्यात्मिकता बनी रहे!

जिस किसी का मौका लगे इस कोर्स-सर्टिफिकेशन में एडमिशन लेवे, वैसे भी मात्र छह महीने का कोर्स है| स्वागत है ऐसे कोर्स का, यह कोर्स हर यूनिवर्सिटी में होने चाहियें ताकि लोग इन बाबे-पाखंडियों के तंत्र-मंत्रों में पड़ने की बजाये हकीकत को लॉजिकली व् साइकोलॉजिकली समझें|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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