Sunday, 21 June 2020

2016-18 के इर्दगिर्द परशुराम जयन्तियों के मुख्यतिथि रहे राजकुमार सैनी के मुखमंडल से सुनिए ब्राह्मण समाज व् उनकी रचनाओं बारे राय!

Note: See the attached video, before reading this post!

यह महाशय वही हैं जिनको 35 बनाम 1 की फायरब्रांड बनाया गया था| अब इस्तेमाल किये जाने के बाद अपनी वास्तविकता पर आख़िरकार आ ही गए|
ऐसे ही तमाम अन्य नेताओं को ध्यान रखना चाहिए कि जाट समाज में अगर यह जज्बा व् माद्दा है कि वह आध्यात्म से ले इकॉनोमी व् सोसाइटी से ले पॉलिटिक्स तक में अपने हिस्से बराबरी से सुनिश्चित रखता आया है तो इससे जलो मत|
1) आध्यात्म में दादा नगर खेड़े, आर्यसमाज, बिश्नोई, बैरागी व् कई डेरों के मालिक होने के साथ-साथ सिखिज्म व् मुस्लिम धर्मों के अगवा होने जरिये, जाट समाज ने अपना हिस्सा सुनिश्चित रखा|
2) इकॉनमी में कृषि-डिफेंस-खेल में लीडिंग के साथ और व्यापार व् नौकरियों में अग्रणी समाजों में रह के, जाट समाज ने अपना हिस्सा सुनिश्चित रखा|
3) सोसाइटी में सोशल इंजीनियरिंग व् समाज-सुधार के नाम की थ्योरी यानि खापोलॉजी, जो विश्व की सबसे प्राचीन सोशल जूरी सिस्टम है, के साथ जाट समाज ने अपना हिस्सा सुनिश्चित रखा|
4) पॉलिटिक्स में राजशाही (महाराजा हर्षवर्धन से होते हुए महाराजा रणजीत सिंह व् महाराजा सूरजमल आदि) से ले लोकशाही (सर छोटूराम-चौधरी चरण सिंह - सरदार प्रताप सिंह कैरों - ताऊ देवीलाल व् अन्य बहुत से स्टेट लेवल लीडर्स की लिगेसी) के साथ अपने हिस्से आध्यात्म-इकॉनमी-सोसाइटी-पॉलिटिक्स में सुनिश्चित रखे|
इस वीडियो में देखिये राजकुमार सैनी समेत तमाम ओबीसी या दलितों के हक किसने मारे, यह जनाब खुद अपनी जुबानी बता रहे हैं| इनके अनुसार जिन्होनें इनके हक़ मारे, जाटों ने तो उन तक को "धौली की जमीनें" दान में दे-दे अपने यहाँ बसाया हुआ है| और वह समाज भी तब चुप रह गया जब 35 बनाम 1 उछला, एक भी यह कहने को आगे नहीं आया कि हमें मत काउंट करो इसमें, 34 बनाम 2 समझो अगर ऐसे ही करना रास्ता बचा है तो| किसी समाज ने नहीं बाँट रखी जमीन जैसी बेशकीमती दौलत इस समाज को जिस अनुपात में जाटों ने दी| और कमाल देखो 35 में काउंट हुए खटटर बाबू ने ही इनसे इस जमीन की मल्कियत छीनी, जो मल्कियत इनके नाम भी चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसा जाट करके गया था|
और अंदरखाते राजकुमार सैनी जैसे इस बात से भली-भांति परिचित हैं कि दिमाग और लठ दोनों की ताकत के बैलेंस वाली जाट कम्युनिटी ही वह कम्युनिटी है जिसके साथ अगर दलित-ओबीसी मिलके रहे तो उसके हक-हलूल दलित-ओबीसी सबसे जल्दी हासिल कर सकते हैं| परन्तु राजकुमार सैनी जैसे नेता ही इन चीजों को हासिल होने देने में बाधा हैं| बल्कि इनकी हरकतें देख कर कई सारे तो जाट भी विचलित हो जाते हैं कि क्या वाकई में मेरा समाज या मेरे पुरखे इतने गलत रहे, जितने राजकुमार सैनी, रोशनलाल आर्य, मनीष ग्रोवर, अश्वनी चोपड़ा या मनोहरलाल खट्टर जैसे फरवरी 2016 पे आग झोंक कर या मूक रह कर समाज को जतलाते दिखे?
खैर, किसी द्वेष-क्लेश के चलते यह पोस्ट नहीं लिखी है और ना ही 35 बनाम 1 का कोई रश्क मुझे| अच्छा है हमारी स्थापना और दृढ ही करके गया फरवरी 2016| जिस प्रकार 1984 के बाद सिख पहले से भी बेहतर बन के उभरे, जाट समाज भी उभरेगा| परन्तु दलित व् ओबिसियों के सैनी जैसे नुमाइंदे औरों की बजाये इन्हीं की राहों के रोड़े ज्यादा साबित होते हैं| जो जनाब की इस वीडियो से झलक भी रहा है|
होंगी जाट समाज में भी कमियां, परन्तु यह कोई तरीके नहीं होते कि तुम 35 बनाम 1 करके अपना गुबार निकालो; बस आपसी कम्पटीशन के इन असभ्य तरीकों से असहमति है अपनी तो| तुम भी इन तरीकों से गुबार तो नहीं निकाल पाते, उल्टा अपना थोबड़ा सा झिड़कवा के बैठ जाते हो; परन्तु बहुतों के दिलों में खामखा की टीस जरूर बैठा जाती हैं ऐसी हरकतें|
बाकी इससे बड़ी विडम्बना व् भंडाफोड़ क्या होगा कि एक वक्त जो व्यक्ति कुरुक्षेत्र का सांसद रहा हो, वही व्यक्ति महाभारत व् कुरुक्षेत्र दोनों को काल्पनिक बता रहा है| ना जाने ब्राह्मण सभाएं अब क्या हश्र करेंगी एक वक्त परशुराम जंयन्तियों के चीफ-गेस्ट रहे सैनी साहब का|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक


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