पंजाबी-हरयाणवी कल्चर में "सांझी" का व्यवहारिक महत्व:
एक कहावत है हरयाणवी में, "गाम की 36 बिरादरी की बेटी सबकी सांझी होती है" यानि वह पैदा किसी भी बिरादरी में हुई हो, लेकिन बेटी वह सबकी होती है| यही कांसेप्ट पंजाब में है| यह बात इस बात से भी सत्यापित होती है कि गाम की बेटी का पति सिर्फ बेटी के घर-कुनबे या बिरादरी का नहीं अपितु पूरे गाम का जमाई कहलाता है| ऐसा उच्च दर्जे का आदर-मान-स्वीकार्यता रही है पंजाबी-हरयाणवी कल्चर में बेटियों की| हरयाणवी कल्चर का फैलाव वर्तमान हरयाणा, दिल्ली,वेस्ट यूपी, उत्तरी राजस्थान व् दक्षिणी उत्तराखंड तक जाता है|
और इसी "सांझी" शब्द से "सांझी का त्यौहार" बना है| जिसके तहत 36 बिरादरी की बेटियां इकट्ठी हो, घर-गाम की बड़ी औरतों के सानिध्य व् निर्देशन में सांझी मनाती आई हैं| सांझी मूलत: एक रंगोली है जिसके तहत छोटी लड़कियों को आर्ट व् कल्चर सिखाया जाता है व् सुवासण यानि किशोर हो आई लड़कियों को इस 10 दिन की वर्कशॉप के जरिए शादी के बाद के 10 दिनों बारे मानसिक तौर से परिपक़्व किया जाता है| आठवें (कहीं-कहीं सातवें या नौवें दिन) दिन सांझी का भाई उसको लेने आता है| वह 2 दिन रुकता है व् यह ओब्सर्व करता है कि नए घर में मेरी बहन कितनी रची-बसी-घुली-मिली व् बहन के ससुराल वालों ने बहन को अपने कुनबे में कितना स्थान दिया| फिर बहन को ले के दोनों अपने घर आते हैं और भाई यह ओब्सर्वेशन रिपोर्ट अपने माँ-बाप को बताता है| और पहले जमाने में ऐसे ही सुनिश्चित किया जाता था कि बेटी ससुराल में कितनी रची-बसी या ससुराल वालों ने उसको कितना रचाया बसाया|
सिर्फ ससुराल का घर ही नहीं अपितु पूरी ससुराल भी अपनी बहु के प्रति कुछ यूँ प्यार दिखाती है कि जब सांझी व् उसके भाई को जोहड़ों में तैराने जाया जाता है तो यह होड़ होती है कि सांझी को जोहड़ के पार नहीं जाने दिया जाता| उनका संदेश होता है कि हमें हमारी भाभी इतनी प्यारी है कि हम उसको गाम से बाहर नहीं जाने देंगे|
कल से शुरू हो चुकी यह 10 दिन चलने वाली सांझी, पूरे पंजाब-विशाल हरयाणा में अगले 10 दिन तक मनाई जाएगी| यह पंजाबी-हरयाणवी त्यौहार अवधि दहशरे व् रामलीला, बंगाली दुर्गा पूजा, गुजराती गरबा व् नवरात्रों के ही समानांतर मनाया जाता है| इन सभी मैथोलॉजिकल त्योहारों का आदर करते हुए ख़ुशी-ख़ुशी वास्तविकता पर आधारित अपनी सांझी को भी मनाएं व् मनवाएं|
व् इस बार उज़मा बैठक द्वारा खासतौर से इंटरनेशनल स्तर पर 25 अक्टूबर को ऑनलाइन मनाए जा रहे इस त्यौहार को ज़ूम व् उज़मा बैठक के इस फेसबुक पेज पर www.facebook.com/UZMABaithak लाइव देखना ना भूलें|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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