Tuesday, 8 December 2020

फंडियों का लोगों को गुलाम बनाने का तरीका बनाम अंग्रेजों का गुलाम बनाने का तरीका!

फंडियों के जुल्मों की तुलना ना गोरों से करो ना औरों से, अंग्रेजों ने कम-से-कम हमारे कस्टम्स तो नहीं छेड़े थे बल्कि उनकी सुरक्षा व् संवर्धन के लिए उल्टा कस्टमरी लॉ बना के दिए थे|


यह वर्णवादी फंडी तो वह जोंक-केंचुएं हैं जो पहले लोगों के कस्टम्स-कल्चर-भाषा को तहस-नहस करके, फिर अपनी कस्टम्स-कल्चर-भाषा लोगों में डालते हैं और फिर लोगों की आर्थिक-संसाधनिक गुलामी शुरू करते हैं|

अंग्रेज आर्थिक-संसाधनिक रूप से गुलाम बनाने से शुरू करते थे और वहीँ तक रहते थे, कस्टम्स-कल्चर नहीं छेड़ते थे| इनका गुलाम बनाने का सिस्टम ही इसके विपरीत है, यह कस्टम्स-कल्चर-भाषा से शुरू करते हैं और फिर आर्थिक-संसाधनिक चीजें हथियाते हैं|

आज का किसान आंदोलन तो महज आर्थिक-संसाधनिक आज़ादी की लड़ाई है, इसके बाद तो कस्टम्स-कल्चर-भाषा की आज़ादी की असली लड़ाई लड़नी है|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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