फंडी का नश्लवादी सामंतवाद: फंडी की सबसे बड़ी ताकत होती है उसका अति-घनिष्ठ आंतरिक लोकतंत्र व् उतनी ही घनिष्ट नफरत के साथ दूसरों के आंतरिक लोकतंत्र को तहस-नहस करने के प्रोपगैण्डे| किसानी की भाषा में समझो तो कुछ यूँ कि ऐसा किसान जो आवारा जानवरों से अपने खेत की तो जबरदस्त बाड़ करता ही है साथ-की-साथ यह भी सुनिश्चित करता है कि पड़ोसी के खेत में आवारा जानवर पक्के घुसाए जाएँ| अब क्योंकि खेत का ऐसा पड़ोसी हुआ तो नुकसान तुरंत दिख जाता है व् ऐसे पड़ोसी किसान को रोका जाता है| ऐसे ही यह जो धर्म-कर्म-राष्ट्रवाद के नाम पर फंडी होते हैं इनको देखना शुरू कर लीजिये, बस अगले ही दिन सारी ही तो समस्या खत्म|
आपका मानवतावादी उदारवाद: आप आंतरिक व् बाह्य दोनों लोकतंत्र चाहते हो, वह भी बराबरी से| बस यही सबसे बड़ा अंतर् है आप में और फंडी में| आपकी थ्योरी लचीली की सीमा से भी आगे जा के अति-लचीली वाली केटेगरी है जिसमें आप बाड़ करने की जेहमद नहीं उठाना चाहते| परन्तु जब पड़ोसी आपकी फसल को उजाड़ने या उजड़वाने की नियत का हो तो वह आपके लचीलेपन को आपकी खूबी नहीं अपितु खामी की तरह लेगा| तो लाजिमी है कि ऐसे संवेदनाहीन लोगों से अपनी फसल-नश्ल-अश्ल सबकी बाड़ करके रखिये| इसलिए इनको "just avoid/ignore them " केटेगरी में भी डाल लोगे तो काफी होगा| आप हो "जिओ और, जीने दो" की फिलोसॉफी के लोग परन्तु फंडी है "खुद जियो, औरों को उजाड़ो" फिलोसॉफी के लोग| अब या तो इनको पड़ोस से निकालिये अगर आंतरिक व् बाह्य दोनों लोकतंत्र चाहियें तो अन्यथा इनसे बाड़ कीजिये अपनी|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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