Friday, 6 August 2021

एक अंधभक्त ने आजतक पे चौधरी राकेश टिकैत व् अंजना ॐ कश्यप की 'लखनऊ पंचायत' को प्रायोजित बताया!

आज आजतक टीवी पे अंजना ॐ कश्यप के साथ टीवी पंचायत कार्यक्रम में चौधरी राकेश टिकैत द्वारा "जयपुर हाईकोर्ट में पीछे किसी साल में 15 अगस्त के दिन संघ के बीजेपी सीएम द्वारा तिरंगे की जगह भगवा फहराने" की बात उठाने को एक अंधभक्त ने उन्हीं की दी हुई स्क्रिप्ट बताया|

सुन कर मैं चौंका भी व् बड़ी हंसी भी आई और पूछा, "अच्छा, ऐसा क्या स्क्रिप्टेड है उसमें?"
अंधभक्त बोला कि यह हमारी चाल है, राकेश टिकैत को इतना बड़ा लीडर बना के जनता की आँखें बंद करने की कि सब टिकैत पे यकीन करने लग जावें कि देखो टिकैत तो संघ के विरुद्ध बोलते हुए भी नहीं डरता|
मैंने कहा तो यह तो अच्छी बात है ना कि कोई तो लीडर है जो इनकी गलतियों पे बोलने की हिम्मत रखता है|
अंधभक्त फिर बोला, "तुम जैसे मूर्ख लोग, हमारी बातें समझ जाते तो बात ही क्या होती"|
मैं फिर अचंभित, मैंने विषयमित होते हुए पूछा कि साफ़ बोल ना? ऐसा कितने बड़े ओहदे पे है तू इनमें, जो इनकी इतने भीतर की बातें तुझे पता हैं; पी के तो नहीं बैठा?
अंधभक्त बोला कि हम, जब राकेश टिकैत का कद ऐसी-ऐसी प्रायोजित डिबेट्स के जरिए खुद पे हमले करवा के इतना ऊंचा कर देंगे कि संयुक्त किसान मोर्चा में उसका एकछत्र प्रभाव हो जाए तो टिकैत के जरिए हम अपने मनमुताबिक समझौता करवाएंगे व् सिर्फ बिलों में कुछ संसोधन करवा धरने उठवा देंगे, बाकी MSP कानून या अन्य मुद्दों पर कुछ नहीं मिलने वाला किसानों को|
मैंने कहा, "ओ भाई, धन्य हो थम और थारे सगूफे; टिकैत साहब को कोई दूध पीता बच्चा समझा है क्या? उनके पीछे 1907 से ले आज तक की किसान क्रांतियों की विरासत है, वह खुद एक राष्ट्रीय किसान नेता बाबा टिकैत के बेटे हैं| वह, तुम जैसों की चालों को देखते हुए ही बड़े हुए हैं; संयुक्त किसान मोर्चा के साथ चलते हुए कब व् कैसे तुम्हारे घुटने टिकवाएंगे देखते जाओ|"
अंधभक्त: बहम में जीना छोड़ दो|
मखा चोखा भाई, फ़िलहाल तो छोड़ नहीं सकते; हकीकत सामने होगी तो बेशक|
अंधभक्त: तो तैयार रहो, हकीकत से रूबरू होने को|
अरे यार तुम गृहयुद्ध तो नहीं करवा दोगे?
अंधभक्त: राष्ट्रभक्ति व् धर्मभक्ति निभाने को हम कुछ भी कर सकते हैं|
मैं तब से सदमे में हूँ कि यह कैसी वाली सनक है जो हर किताब, हर परिभाषा, हर वैधानिक सविंधान से परे की स्वपरिभाषित राष्ट्रभक्ति व् धर्मभक्ति घड़ के बैठे हैं जो इसके अलावा इनके पल्ले कुछ नहीं पड़ता|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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