Tuesday, 31 December 2024

मुजफ्फरनगर जाट हाई स्कूल में चौ० छोटूराम का भाषण!

(जाट गजट, 29 जनवरी 1941, पृष्ठ 6) 


.... मैं आर्य समाजी हूं। समाज में मैंने भी एक बात देखी कि उसके कार्यकर्ताओं ने जाटों की लीडरी उनके हाथ में नहीं दी। उनकी चोटी अपने हाथ में रखी। हम अपने हाथ में अपनी लीडरी चाहते हैं। चाहे अपना खद्दर खुरदाद है तो भी हमें जापान के रेशम से अच्छा है। हमने कह दिया कि चाहे अपना लीडर विद्वान भी कम हो लेकिन जाटों की अगुवाई की डोर हम अपने हाथों में चाहते हैं। अगर हम पंजाब में इस पर अमल न करते तो 90 लाख 92 हजार जाटों की आबादी में उनकी शान को किस तरह से बढ़ाते। यही उनकी शान बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण है कि हमने अपनी लीडरी की बागडोर दूसरों के हाथ में नहीं दी। जब हमारे पुराोहित और पढ़ाने वाले हमारे अपने होंगे उस समय हमारी उन्नति होगी, यही हमारी उन्नति का असली रहस्य है।


मुजफ्फरनगर जाट हाई स्कूल में चौ० छोटूराम का भाषण 

(जाट गजट, 29 जनवरी 1941, पृष्ठ 6) 


.... कांग्रेस का दावा केवल कागज पर है और हमारी पार्टी ने उस पर पंजाब में अमल करके दिखाया है। आप रावलपिंडी से मुजफ्फरगढ़ और गुड़गांव तक, जाकर देहात में पता करें तो आपको इसकी वास्तविकता मालूम हो जाएगी कि हम इस प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए कहां तक क्या कर रहें हैं? हमारे यहां जमींदार और किसान के बीच अंतर नहीं है। आपके यहां अंतर है, हमारे यहां एक बिसवां का भी जमींदार है और बीघे का मालिक भी जमींदार है। आप हमारे यहां किसी भी जमींदार कौम के व्यक्ति से मालूम करेंगे तो वह अपने आपको जमींदार कहेगा, और अगर किसी के यहां ब्याज में भी जमीन आ गई है और वह जमींदार कौम से नहीं है तो वह अपने आपको गैर जमींदार कहेगा चाहे उसके पास जमीन लिखत में भी हो। पंजाब में दो करोड़ 35 लाख की आबादी में चालीस लाख लोग जमीन के मालिक हैं, जबकि यू.पी में साढ़े चार करोड़ की आबादी में बारह लाख लोग जमीन के मालिक हैं। पंजाब में जमींदार कौम वाले को जमींदार कहेंगे। हमारे जमींदार शब्द कौमों के लिहाज से प्रयोग होता है, इसलिए मैं यहां जमींदार शब्द का प्रयोग करूं तो आप वही अर्थ निकालें जो मैने बताए हैं।


”राजपूत गजट और इत्तेहाद पार्टी”, लेख से ... 
(चौ० छोटूराम, जाट गजट, 22 जुलाई 1936, पृ. 6) 

.... अब नया कानून लागू होने वाला है और प्रश्न उठता है कि जमींदार आजाद होना चाहते हैं या गुलाम ही रहना चाहते हैं। सत्ताधारी बनना चाहते हैं या यह चाहते हैं कि उन पर शासन किया जाए।
अगर जमींदार राज चाहते हैं तो उन्हें इत्तेहाद पार्टी के झंडे के नीचे जमा होना चाहिए। अगर वह राजनीतिक और आर्थिक गुलामी चाहते हैं तो उसका सबसे आसान तरीका हिंदू महासभा पार्टी में सम्मिलित होना है। अगर जमींदार हुकूमत चाहते हैं तो उनको इत्तेहाद पार्टी की फौज में सम्मिलित हो जाना चाहिए और अगर वह यह चाहते हैं कि उन पर हुकूमत की जाए तो उन्हें राजा नरेंद्रनाथ और मास्टर तारा सिंह की कमान में चला जाना चाहिए। 
जमींदारों की आजादी की लड़ाई जल्द ही आरंभ होने वाली है। राजपूत गजट इस लड़ाई में काफी सहायता दे सकता है।


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