Saturday, 16 July 2022

दूसरा सर छोटूराम बनने निकले थे, बन गए उसके आलोचक मात्र जिसको सर छोटूराम ने ही कलकत्ता में सेठ छाजूराम के यहाँ 3 महीने अज्ञात में रखवाया था!

तुम उसकी आलोचना करते हो तो, उससे पहले सर छोटूराम की करो इस हिसाब से तो? वह तो उस वक्त फिर भी 20 साल का था, परन्तु उसने एक लाला से संबंधित सांडर्स को मारा है, यह जानते हुए भी उसको कलकत्ता में छुपवाने वाले सर छोटूराम तो उस वक्त 43 साल के थे; उससे दोगुनी से भी ज्यादा उम्र के? क्या उनमें इतनी अक्ल नहीं रही होगी, जितनी का भोंडा प्रदर्शन तुम अब कर रहे हो?

जो इस तथ्य को जानते हुए भी देशभक्ति के भगवान के पे बकवाद काट रहा है, वह या तो दबाव में है या किसी निहित स्वार्थ में|
सनद रहे, "पैसों से आइडियोलॉजी नहीं बनती, अपितु आइडियोलॉजी से पैसा बनता है"|
आ गई होगी उसको रहम या निकल लिया होगा सांडर्स को मारने, परन्तु वो उसको सिर्फ एक लाला के लिए मारने गया होगा; यह बहुत हल्का व् बचकाना क्यास मात्र है| उसकी जंग सिर्फ लाला को मारने तक की रहती तो वह भरी असेंबली बीच गोला ना फेंकता| जेल में बैठ विचारों की क्रांति खड़ी ना करता| वह माफिवीर बनने की बजाए हसंते-हँसते फांसी ना चूमता| उसकी प्रसिद्धि इतनी ना चढ़ती कि अंग्रेजों को पब्लिक के डर से उसकी फांसी तय तारीख से एक दिन पहले वह भी गुपचुप करनी पड़ी| ऐसे डंके की चोट पर सब कुछ ना करता कि देशभक्ति के सब आयामों की ऊंचाई छू के गया वो| सैनिकों की शहादत अलग प्रकार की है व् उसकी शहादत अलग प्रकार की; दोनों में कोई तुलना हो ही नहीं सकती|
और नहीं तो इतने ही व्यक्तिगत स्वार्थ में डूबे हो तो अपनी ही ब्रांड-वैल्यू का ख्याल कर लो? किस कोने लगाते जा रहे हो अपने आपको, कभी बैठ के आंकलन किया करो|
और नहीं तो उनसे (फंडियों से) ही सीख लो, जिनको ठीक करने निकले हुए होने का दम भरते हो? देखा है कभी कोई उनमें से अपनी ही कौम के किसी किरदार की यूँ बीच चौराहे झलूस पीटता? एक वो हैं जो उनके वहां के माफीवीरों को भी शूरवीर स्थापित करने पर लगे हैं और एक तुम हो जो "बाल मात्र नुक्स, वो भी क्यास आधारित" से "राई के पहाड़ बनाने" लग बैठे हो? ऐसे जीतोगे फंडियों से? यह हैं सर छोटूराम के रास्ते व् आदर्श?
सौं तुम्हें सर छोटूराम की, अगर आगे ऐसी बकवादें काटो तो!
जय यौधेय! - फूल मलिक

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