Sunday, 13 November 2022

स्वर्ण-शूद्र सामाजिक थ्योरी बनाम सीरी-साझी सामाजिक थ्योरी में रॉयल-सम्मान का अंतर् समझिए!

सीरी-साझी थ्योरी में 36 बिरादरी की बेटी पूरे गाम की बेटी बोली जाती है| ससुराल में माँ-बाप के नाम से नहीं अपितु पीहर के नाम से जानी जाती है| आज तलक भी बारातें जाती हैं तो वहां उस गाम की तमाम बेटियों की बिना उनकी जाति-धर्म देखे सम्मान करने हेतु बारातियों के यूँ समूह-के-समूह जा के बैठते आये हैं जैसे किसी दरबार में गए हों| और यह समूह एक बार तो ससुरालियों को उस बेटी की ताकत का आदर-आदर में ही अहसास करवा देते थे कि इस बेटी के साथ सिर्फ इसका परवार नहीं अपितु पूरा गाम है| इस वजह से भी पहले लड़कियों को ससुरालियों द्वारा सताने के मामले कम होते थे| गाम-गमीणे व्यक्ति को गाम की बेटी कहीं पता लग जाए या मिल जाए तो उसको हाथ रुपया दे के आने का रिवाज रहा है| 

क्या देखा है ऐसा शाही ठाठ व् सम्मान एक स्वर्ण-शूद्र वाले सिस्टम की बेटी का? इसमें शूद्र जो हो गई, उसके घर जा के उसका मान करना तो छोडो; स्वर्ण हाल-चाल पूछने भी नहीं चढ़ता उसके दर पे| बस इनका सारा फोकस स्वघोषित स्वर्ण वर्ण की 2-4 जातियों की बेटियों के अपने-अपने मान-सम्मान तक सिमित रहता है| 


यह है स्वर्ण-शूद्र थ्योरी की संकुचित सोच व् सीरी-साझी थ्योरी की विस्तारित व् लोकतान्त्रिक सोच| 


और इस ऐसी सीरी-साझी थ्योरी जिसमें हर एक बेटी, को राजकुमारी जैसा ट्रीटमेंट मिलता है (जो कि स्वर्ण-शूद्र थ्योरी में सिर्फ स्वर्ण तक सिमित है) की जन्मदाता खापलैंड व् मिसललैंड की धरती को ही नजर लगी पड़ी है फंडियों की; कहीं 35 बनाम 1 वालों की| और मजाल है कोई इस सिसकती बन चली इस लोकतंत्र की शाही व्यवस्था बारे किंचित भी चिंतित हो?

यह ब्याह-भात में गए गाम में अपने गाम की सभी बिरादरियों की बराबर से मान करके आने का रिवाज "खापशाही" के नाम से प्रमोट किया जाना चाहिए| यह उदारवादी जमींदारी व् सामंती जमींदारी + राजशाही की तुलना का सबसे उत्कृष्ट पैमाना है| सिर्फ चिट्ठी-पत्री नहीं होती थी से इसको जोड़ना इसको बहुत ही छोटा करके देखना है; क्योंकि चिट्ठी-पत्री तो "सामंती जमींदारी + राजशाही" (स्वर्ण-शूद्र कांसेप्ट पे चलें वाले) इनके लिए भी नहीं होती थी; तो क्या इनके यहाँ है ऐसा विधान? जवाब है नहीं, तो यह था किसके पास? खाप-खेड़ा-खेत की उदारवादी जमींदारी वालों के पास| जैसे-जैसे खापलैंड से बाहर जाते-जाओगे, यह विधान भी खत्म होता जाता है|  सामंती जमींदारी + राजशाही इनके यहाँ तो सिर्फ स्वर्ण की बेटी या राजा की बेटी ऐसा शाही सम्मान पाती थी; परन्तु खाप-खेड़ा-खेत ने हर वर्ग-जाति-धर्म की बेटी को यह सम्मान दिया| इसलिए इसको जितना ऊँचा बना के बता सको, उतना बताया करो|

जय यौधेय! - फूल मलिक 

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