Saturday 13 May 2023

हरफूल जाट जुलानी वाले का एक किस्सा, जो सामाजिक भाई- चारे की अदभुत मिसाल है:

 दो तीन दिन पहले मैं गांव गया तो, ताऊ जी ने, हरफूल जाट जुलानी वाले का एक किस्सा सुनाया, जो सामाजिक भाई- चारे की अदभुत मिसाल है।

हुआ यूं की, हरफूल जाट एक अहीरों के गांव से हो कर गुजर रहे थे की, उन्होंने देखा की गांव के बहुत सारे लड़कों के सिर पर पट्टी बंधी हुई थी।
हरफूल ने घोड़ी रोक कर, गली में जा रही एक बुजुर्ग महिला से पूछा की, क्या मामला है। बुजुर्ग महिला ने बताया की, गांव के खेतों में एक डेरा रुका हुआ है, जिसमें बहुत सारी महिला और पुरुषों के साथ-साथ पशु भी है।
ये लोग कई दिन से खेत उजाड़ रहे हैं। मानते नहीं है, इसलिए लड़ाई हो गई।
गांव के सभी लोग इकट्ठे हो कर गए, तो उन पर कुत्ते छोड़ दिए और लाठियां बरसाई। ऐसा वो कई बार चुके है, और कोई रास्ता दिखाई नहीं देता।
हरफूल बोले: मेरे कहने से एक बार फिर कोशिश करो, अबकी बार मैं तुम्हारा साथ दूंगा।
पंचायत बुला कर, पूरी ताकत के साथ दोबारा जाने का फैंसला किया। हरफूल अपनी बंदूक को लेकर साथ- साथ हो लिए।
जैसे ही डेरा वालों ने उन यादव लोगों पर हमला किया, तो हरफूल ने एक दम से आगे बढ़ कर, उनके कुत्तों को मार दिया, और डेरा प्रमुख की भी हत्या कर दी।
महिला ने हरफूल को धर्म का बेटा बना लिया।
कहते हैं की, हरफूल पर जब पहला केस दर्ज हुआ तो, उसकी सगाई हो चुकी थी। उसके बाद हरफूल अपनी होने वाली पत्नी को उस अहीर महिला के घर लाया। वहां उससे गुपचुप शादी की, और हरफूल, अपनी पत्नी के साथ उस महिला के पास ही रहने लगे। अहीर बाहुल्य गांव वालों ने इस बात को हमेशा के लिए राज ही रखा।
Dr Mahipal Gill
Jat कॉलेज रोहतक

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