Friday, 22 December 2023

बृजभूषण दबदबा इसको कहते हैं!

 आड़ै दिन-रात सारे संघी, लोगों को यह कह के झूठा डराते हैं कि जाटों को वोट ना दियो ना तो यह थामने दबा लेंगे, थारा यह खोस लेंगे, वह खोस लेंगे; जाणूं जाट ना हो गए, शोले फिल्म आळा गब्बर हो गए कि सो जा बेटा ना तो गब्बर आ जाएगा| बता यह दबदबा है जाट-ब्रांड का और बृजभूषण के फिर भी यूं बहम है कि उसका दबदबा सै| यूं ज्युकर संघियों के जाट शब्द का ताप चढ़ा रहै, तेरा नाम ले के न्यू ताप चढ़ाने लायक जिस दिन संघी तेरा नाम इस्तेमाल करेंगे; उस दिन हम भी मान लेंगे बृजभूषण कि है तेरा दबदबा| मेरे बटों की सरकार आई को 9 साल हो लिए; पर "जाट-जाट-जाट का ताप ही नहीं टूट रहा इनका आज भी" कि हर संघी की बाकायदा ड्यूटी है "जाट का नाम ले के डराने की", म्हारे बीच की ही बिरादरियों को डराए रखने की| वरना यह सीधे मुंह एक वोट ही ले के दिखा देवें इनके बढ़िया काम समाज को गिनवा के? इतनी हस्ती बना बृजभूषण फिर कहता जचेगा कि है तेरा दबदबा| जाट का झूठा डर दिखाए बिना तो राजनीति नहीं चलती तेरे जैसों को सपोर्ट करने वालों की| जाट का तो झूठे में भी नाम ले के लोग वोट ले लेवें, इतना दबदबा सै इस नाम का|


दबदबा किसको कहते हैं वह मेवात एपिसोड जो अभी जुलाई 2023 में हो के हटा; जहाँ जाट व् खाप ने उल्टा हाथ क्या खींचा, तेरे जैसे मेवात चढ़ने की राह भूल गए थे; इसको दबदबा कहते हैं बृजभूषण| जिस दिन इतनी हस्ती हो जाए; उस दिन मान लेंगे कि है तेरा दबदबा

सत्यार्थ प्रकाश में एक ब्राह्मण दयानन्द सरस्वती ने जाट को "जाट जी" का सम्मान देते हुए जाट के बारे लिखा है कि, "जो सारी दुनिया जाट जी जैसी हो जाए तो पंडे-पाखंडी भूखे मर जाएँ"| दबदबा इसको कहते हैं बृजभूषण; तेरे बारे आज तक कहीं ऐसा लिखा गया हो ऐसा तो मानें तेरा दबदबा|

दबदबा इसको कहते हैं कि जब महाराजा सूरजमल ने पानीपत की तीसरी लड़ाई से हाथ खींच लिए थे तो सिर्फ इतने मात्र से पानीपत में घुटने टेक रोये थे पेशवे कि खुद चल के मदद देने आये जाट का किस मनहूस घड़ी में अपमान कर बैठे और तब समझ आई कि "बिन जाटां किसनें पानीपत जीते"| दबदबा इसको कहते हैं बृजभूषण| हम तो किसी को छिंटक देवें तो इतने से ही अगले की हार हो जाती है|

तू बाकी छोड़; जिस दिन तेरे पुरखों को 21 बार धरती से मिटा देने वालों की; शोभा यात्रा रोक देगा; उस दिन मान लेंगे तेरा दबदबा| तेरी छाती व् घरों के आगे से निकाल के ले जाते हैं, हर साल वो शोभा यात्रा|

"जाटड़ा और फोड़ा, जितना दबाया उतना उभरा" - राजी मत हो; तेरे ऐसे ब्यान तो जाट के लिए ट्रेनिंग का काम करते हैं|

जय यौधेय! - फूल मलिक

No comments: