Tuesday 3 September 2024

पगड़ी बांधने की प्रथा सिर्फ व्यक्ति को आदर देने की प्रथा ही नहीं है, बल्कि उन्हें नेतृत्व प्रदान करने की संज्ञा भी है

 इलियट ने 1830 में जाटों के लिए लिखा है कि "पगड़ी बांधने की प्रथा सिर्फ व्यक्ति को आदर देने की प्रथा ही नहीं है, बल्कि उन्हें नेतृत्व प्रदान करने की संज्ञा भी है।"

जाट हमेशा से सांसारिक मसलों वाली नस्ल रही है। जाट को इस ग्रह के रहस्यों को संभालने वाले अज्ञात बल और सुख दुख के कारणों को खोजने में कभी भी कोई गहरी दिलचस्पी नहीं रही है।
जाट अपनी जिंदगी को खुशहाल जीवनशैली से जोड़ने के लिए कठिन परिश्रम से होकर गुजरना पसंद करता है। वो किसी थोते काल्पनिक ज्ञान में उलझता नही रहा है।
जाट किसी अन्य लोक की कहानियां सुनाने वालो या खुशियों की चाभी देने वाले गुरुओं की कथाओं में नतमस्तक नही रहा। जाट अपने सांसारिक मसलों में ही अपनी जीवनशैली निर्मित करता है।
कि मेरे पशु दूध ज्यादा कैसे देंगे इसके लिए वो किसी अज्ञात बल के भरोसे न रहकर पशु के चारे पानी उसके रहन सहन पर मेहनत करता है।
मेरी फसल की पैदावार कैसे बढ़ेगी। इसके लिए भी अज्ञात बल पर निर्भर न रहकर जाट अपनी मेहनत पर यकीन करता है। किसी प्राकृतिक आपदा के आने के बाद भी जाट किसी प्रार्थना स्थल की शरण में न जाकर फिर से अपनी फसल की पैदावार पर मेहनत करता है।
मेरी नस्ले कैसे स्वस्थ रहेंगी। इसके लिए जाट बढ़िया खान पीन और नई पीढ़ी के लिए स्वस्थ जेनेटिक श्रंखलायुक्त् सामाजिक व्यवस्थाओ से निर्मित वैवाहिक संबंधों में यकीन रखता है।
मेरे बच्चो की आर्थिक संपन्नता नष्ट न हो।पहले अधिक जमीन के लिए ज्यादा सदस्य लगते थे।तो कई भाई बहन होते थे। आज के युग में धन कमाने से ज्यादा पैतृक संपत्ति बचाना अहमियत रखता है।इसके लिए जाटों ने अपनी संतानोत्पत्ति पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया है।
चलते फिरते मेहनत करते सुख दुख में अज्ञात बल का नाम किसी भी ईश्वरीय रूप में ले लेता है।जाट के सारे तीर्थ धाम उसके खेत घर या आमदनी के जरिए में है। ईश्वर के नाम पर तैनात मिडिएटर के पास दर दर भटकना जाट की जेनेटिक कोडिंग में ही नही है।
आज वक्त बदला है। जाट भी पैसे के लिए दौड़ रहा है। आज मजबूत संपत्ति के लिए और बन चुकी संपत्ति को ओर ज्यादा बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है। दूसरो से पिछड़ जाने के किसी अनजाने डर के कारण कुछ भटक गए है।
थोड़ी सी चूक 100%पैसे के लिए दौड़ने के कारण हुई है। जाटों को पैसे के लिए दौड़ने वाला थोड़ा समय बच्चो की निगरानी के लिए देना होगा।
अगर आज हमारा दिमाग अशांत है चिंतित है डर में है तो इसका समाधान भी अपने सांसारिक मसलों को सुलझाने में है। किसी गुरु के पास कोई दवाई नही है।
मै किसी गुरु के विषय में अपशब्द नही कह सकता। हर कोई किसी न किसी की जिंदगी पर प्रभाव छोड़ता है। हो सकता है कुछ लोग प्रभावित होते हो।
मुझे दुख है अपने पगड़ीधारियो पर जो खुद को नेतृत्व बताकर चरणों में समर्पित हो गए। कोई समुदाय या समूह ऐसे नेतृत्वकर्ताओं का क्या करेगा? जो उन्हें किसी भी दुख के समाधान के लिए वास्तविकता की जगह किसी के चरणों में पहुंचा दे।
मै अपील करूंगा कि हमे ऐसे किसी नेतृत्व को नहीं स्वीकारना चाहिए। जो वास्तविकता से ज्यादा समुदाय को किसी के इस्तेमाल का साधन बनाए।
वास्तविक जट्ट

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