लड़की वाले लड़के वालों के खेत देखकर आते और खेत में चिंटियों के बिल देखते इससे अनुमान लगाते घर खाता पिता है।घर पर आकर बटोड़ा(पशुओं के गोबर के गोसे से बना) देखकर यह अनुमान लगाते कि गृहिणी चतर व मेहनती है।यानि इस घर में सब कुछ मिलेगा।अपनी बेटी को उस घर में ब्याह देते।
उस समय की जरूरत के हिसाब से यह लोजिकल लगा
लेकिन आजकल पढ लिख बच्चों की शादी के लिए कुंडली मिलान ,मुहूर्त और दिखावे पर खूब अनावश्यक खर्च फिर परिणाम????
Suman Krishnia
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