Wednesday 14 October 2015

उतरी भारत और शेष भारत की मूल-संस्कृतियों में जो एक सबसे बड़ा फर्क है!

जहां पूरे भारत में मर्द तो कुरता-कमीज-लुंगी-पजामा या धोती ही पहनता है वहीं औरत के पहनावे के मामले में दोनों की भिन्न सोच है|

उत्तरी भारत को छोड़ शेष भारत में औरत पेटलेस और अधिकतर बैकलेस चोली-साड़ी पहनती हैं अथवा उनकी मूल-सांस्कृतिक ड्रेस यही है| मतलब मर्द और औरत की ड्रेस समान नहीं| मर्द ऊपर से नीचे तक ढंका वहीँ औरत पेट और पीठ पर नंगी|

वहीँ उत्तरी भारत में जम्मू-कश्मीर से ले के आगरा तक औरत की मूल-सांस्कृतिक ड्रेस या तो सलवार-सूट है पहनती है या फिर दामन-कुरता या फिर पश्चिमी उत्तरप्रदेश की तरह साड़ी पर पूरा पेट ढंका कुरता| कुल मिला के पुरुष और महिला के पहनावे में एक समानता कि दोनों ऊपर से नीचे तक ढंके हुए हैं|

कई कुतर्की इसमें तर्क अड़ाते हुए आएंगे कि उत्तर भारत में अत्यधिक सर्दियां पड़ती हैं इसलिए औरतें ऐसे कपड़े पहनती हैं तो ऐसे तर्क का जवाब यही है कि पूर्वोत्तर के पहाड़ों में भी इतनी ही ठंड पड़ती है जितनी उत्तर में तो वहाँ पर बैकलेस या पेटलेस चोली क्यों चलती है?

इसका कारण है कि उत्तरी भारत में जाटू (जाट) सभ्यता के अनुसार ड्रेस परम्परा रही है, जबकि बाकी भारत में पौराणिक परम्परा के अनुसार|

इसका क्या मतलब लिया जाए कि उत्तरी भारत का आदमी शेष भारत के आदमी से कम व्यभिचारी या चक्षु-सुखगामी होता है? तभी तो शायद यह लोग देशभक्ति, अन्नभक्ति और खेलभक्ति से ज्यादा भरे होते हैं|

मानो या ना मानो यह मसला जाटू सभ्यता बनाम पौराणिक सभ्यता है|

वैसे जींस-टी-शर्ट सभ्यता में भी मर्द हो या औरत दोनों ही ऊपर से नीचे तक ढंके होते हैं|

विशेष: मेरी बात काटने को बहुत से लोग यह तर्क उठाएंगे कि अब तो जाटणियां भी चोली पहनने लग गई हैं तो मैं उनको कहूँगा कि मैंने यहां विदेशज नहीं अपितु देशज पहनावे की बात की है|

जय योद्धेय! - फूल मलिक

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